तो क्या इस बार हो पायेगा गढ़वाल और कुमांऊ मंडल का विलय

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उत्तराखंड में पर्यटन आमदनी का प्रमुख जरिया है। लेकिन इसी पर्यटन को बढ़ाने के लिये बनाई गई दोनो सरकारी संस्थाऐं गढ़वाल और कुमाऊं मंडल विकास निगम लगातार नुकसान में ही चल रही हैं। इसी के चलते समय समय पर पर्यटन से जुड़ी और नुकसान में चल रही तमाम सरकारी संस्थाओं के विलय की मांग उठती रही है। अब बीजेपी सरकार ने एक बार फिर इस कवायद को शुरु कर दिया है।
सरकार की इस कवायद को खर्चों में कटौती और भिखरे कामों को सही दिशा देने की तरह देखा जा रहा है।(बाइट कर्मचारीू संघ) लेकिन वहीं एक तबका ऐसा भी है जो इस कदम के खिलाफ है। कर्मचारियों का ये तबका मानता है कि विलय करने से अलग अलग संस्थाओं के अधिकारियों की वरिष्ठता पर तो असर पड़ेगा ही साथ साथ काम करने भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
जीएमवीएन और केएमवीएन के आधीन राज्य भर में गेस्ट हआउस संचालित किये जाते हैं। बेहद सुंदर लोकेशन पर होने के बावजूद इनमें से अधिक्तर गेस्ट हाउस नुकसान में ही चल रहे हैं। इसी के कारण करीब एक दशक से इन सभी इकाईयों के विलय की कोशिशें चल रही हैं।
हांलाकि इस बार सरकार ने मन बनाया है कि वो इस विलय को अमली जामा पहना कर ही दम लेगी।