17 साल, 8 मुख्यमंत्री और विकास की राह देखता उत्तराखंड

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    उत्तराखंड आज अपना 17वां जन्मदिन मना रहा है। पहाड़ी राज्य की कल्पना से बने उत्तराखंड को 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाके को काट कर बनाया गया था। राज्य बनाने के लिये एक लंबा और कड़ा संघर्ष उत्तराखंड के लोगों को करना पड़ा। आज राज्य स्थापना दिवस के मौके पर राज्यभर में 13 ज़िलों में तरह तरह के कार्यक्रम आयोजित किये गये। मौजूदी बीजेपी सरकार और मुख्यमंत्री भी इस मौके को राज्य के लिये अपने विज़न को समझाने में लगे हैं। फिर चाहे दिल्ली में हो रहे कार्यक्रम हो या देहरादून में बंद कमरों के अंदर आयोजित किया गया रैबर।

    राज्य बनाने की लड़ाई की अनन्य कहानियों में रामपुर तिराहा गोलीकांड के साथ-साथ मसूरी में हुए गोली कांड की भी अहम भूमिका रही। 2 सितंबर 1994 को अलग राज्य की मांग करते हुए मसूरी शहर में हुए गोली कांड में 6 लोगों ने अपनी जान गवांई थी। इन्ही शहीदों को याद करते हुए मसूरी प्रेस क्लब ने शहीद स्थल पर एक सकार्यक्रम का आयोजन भी किया।

    इस घटना में अपने पिता को खो चुके नरोत्तम सिंह का कहना है कि, “जिस मकसद से अलग पहाड़ी राज्य के लिये लड़ाई की गई थी वो मकसद कहीं खो सा गया है। वो कहते हैं कि “हांलाकि एक लंबा समय बीत चुका है राज्य बने लेकिन, राज्य ने अभी भी कुछ खास हासिल नहीं किया है। जबतक विकास राज्यभर के गांवों में नहीं पहुंचता है तबतक सही मायने में अलग राज्य के लिये अपनी प्राणों की आहूति देने वालों को श्रद्धांजलि नही मिलेगी।”

    “पिछले 17 सालों में उत्तराखंड ने किसी और राज्य की ही तरह सैंकड़ों तरह के वादे और इरादों का राजनीतिक मंचन देखा है, तमाम तरह के राजनीतिक उठा पठक का गवाह बना है, 2013 में केदारनाथ आपदा जैसी परेशानियों का दर्द सहा है। लेकिन इन सबके बीच पहाड़ के आम आदमी के विकास की बात हकीकत से काफी दूर रह गई है,” कहना है लेखक गणेश सैली का जोकि   उत्तराखंड की लड़ाई का एक अभिन्न अंग रहे है।