पंचेश्वर बांध पर ग्रामीणों में बना संशय

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    पंचेश्वर बांध को लेकर पक्ष और विपक्ष द्वारा दिए जा रहे अलग-अलग बयानों को लेकर प्रभावित क्षेत्र की जनता परेशान है। बयानों के भ्रमजाल में फंसी जनता ने अब सरकार से सही स्थिति सार्वजनिक करने की मांग की है।

    पंचेश्वर बांध परियोजना बनने के बाद सीमांत जिले की सर्वाधिक उपजाऊ भूमि काली नदी के जल में जलमग्न हो जाएगी। जोग्यूड़ा, बगड़ीहाट से लेकर पंचेश्वर तक की सारी भूमि तराई, मैदान की तरह ही उपजाऊ है। अतीत में इस जमीन में साल भर तीन फसलें उगती थी। आज भी इस घाटी के लोग अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर हैं। नदी घाटी का क्षेत्र होने के कारण पानी को लेकर कोई समस्या नहीं रहती है। इस क्षेत्र के पंचेश्वर बांध परियोजना के डूब क्षेत्र में आने के बाद से आए दिन बांध के पक्षधर और विरोध करने वाले पहुंच रहे हैं। दोनों अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। जिसे लेकर सीधे सादे ग्रामीण भ्रम की स्थिति में हैं। सच और झूठ का आकलन नहीं कर पा रहे हैं।

    तहसील डीडीहाट के तल्लाबगड़ क्षेत्र में जनता काफी परेशान है। इस क्षेत्र में अधिकांश लोग आज भी गांवों में ही जमे हैं। क्षेत्र में पलायन अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा कम है। पर्याप्त खेती के अलावा आम, च्यूरा, अमरूद, लीची के बागों के मालिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं। तल्ला बगड़ की जनता का कहना है कि जनता बांध विरोधी नहीं है परंतु अपने भविष्य को लेकर परेशान है। सरकार उनके पुनर्वास और विस्थापन के लिए सही स्थिति नहीं बता रही है। अपने पुश्तैनी गांवों को छोड़ कर जिस स्थान पर उन्हें बसाया जाएगा इसका भी स्पष्टीकरण नहीं कर रही है।

    जनता का कहना है कि प्रभावितों को विश्वास दिलाने की जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार नेताओं के माध्यम से नहीं अपितु सार्वजनिक रूप से प्रभावितों के हित में घोषित होने वाले कार्यो का खुलासा करे। जनता पुनर्वास, विस्थापन, रोजगार, पेंशन, भूमि के बदले भूमि, बच्चों की शिक्षा, छात्रवृत्ति, चिकित्सा और आवागमन की सुविधा चाहती है। यह सब सरकार को सबसे पहले स्पष्ट करना चाहिए। तभी जाकर प्रभावित अपने गांव, घर व भूमि के त्याग के बारे में सोचेंगे। इस संबंध में 14 नवंबर को क्षेत्र की जनता जौलजीवी मेले में आ रहे प्रदेश मुख्यमंत्री से मिल कर उन्हें अपनी भावनाओं से अवगत कराएंगे।