हास्य लेखक तारक मेहता का अहमदाबाद में निधन

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प्रसिद्ध हास्य लेखक तारक महेता का लम्बी बीमारी के बाद अहमदाबाद में निधन हो गया है। उनके परिवार ने उनकी देह दान में देने का निर्णय लिया है। मेहता ‘तारक महेता दुनिया ना उंधा चश्मा’ नामक कॉलम से गुजराती समाज में खासे प्रख्यात थे। उनके इसी कॉलम की पुस्तक भी प्रकाशित हुई थी। उस पर से आज चल रहा ‘तारक महेता का उलटा चश्मा’ बना है। वर्ष 2015 में तारक महेता को पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

प्रसिद्ध नाट्यलेखक, हास्य लेखक ‘तारक महेता’ का जन्म 06-12-1929 में अहमदाबाद में हुआ था। वर्ष 1945 में उन्होंने मेट्रिक पास कर 1956 में खालसा कॉलेज ज्वाइन किया था। मुंबई से गुजराती विषय के साथ बी.ऐ. 1958 के भवंस कॉलेज से और बाद मे मुंबई से उसी विषय में एम.ए किया। 1958-59 मां गुजराती नाट्यमंडल कार्यालय में कार्यकारी मंत्री के रूप में फर्ज निभाया था। 1959-60 में ‘प्रजातंत्र’ दैनिक के उप नियामक के तौर पर काम किया। 1960 से 1986 तक वह भारत सरकार के माहीत एवं प्रसारण मंत्रालय के फिल्म डिविज़न में मुंबई में संस्करण लेखक और गेज़ेटेड अधिकारी के तौर पर आसीन रहे थे|
उन्होंने त्रिअंकी नाटक ‘नया आसमान नयी धरती’ (1964), प्रहसन ‘कोथलामाथी बिलाडू’ (1965), त्रिअंकी नाटक ‘दुनियान उंधा चश्मा’ (1965), तारक महेताना आठ एकांकीओ (1978), और ‘तारक महेताना छ एकांकीओ (1983) में दिया है| ‘तारक महेता ना उंधा चश्मा’ (1981), श्रेष्ट हास्य रचनाए (1982), ‘तारक महेतानो टपुडो’ (1982), ‘तारक महेताना टपुडानो तरखाट,(1984), ‘दोढडाह्या तारक महेतानि डायरी’ भाग.1-2 (1984) जेसे उनके हास्य लेख संग्रह प्रसिद्ध है। उन्होंने मेघजी पेथराज शाह: जीवन आने सिद्धि’ (1975) नामक जीवन चरित्र भी लिखा है।