आठ साल में 82 बाघों की मौत, कौन है जिम्मेदार?

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हरिद्वार, उत्तराखंड के कॉर्बेट और राजाजी नेशनल पार्क की केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में अलग पहचान है। ऐसे में वन विभाग भी पार्क सहित जंगलों में बाघ, गुलदार, हाथी, हिरण समेत दूसरे जंगली जानवरों की देखरेख में कोई कमी नहीं छोड़ता। लेकिन हालिया सर्वे के मुताबिक उत्तराखंड में पिछले आठ साल में बाघों के मौत के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, बीते आठ साल में अबतक कुल 82 बाघों की मौत हो चुकी है।

बता दें कि प्रदेश में वर्तमान में बाघों की संख्या वन विभाग के मुताबिक, 362 है। उत्तराखंड बाघों के संरक्षण में कर्नाटक के बाद दूसरे स्थान पर आता है, लेकिन प्रदेश में बाघों के पूर्ण संरक्षण के बावजूद बाघों की मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, यह चैंकाने वाली बात है। वर्ष 2010 से 2017 के बीच बाघों की मौत का ये आंकड़ा 82 तक पहुंच चुका है, जिसमें वर्ष 2011 में 18 अौर वर्ष 2015 में सर्वाधिक 13 बाघों की मौत हुई। इस साल अब तक 12 बाघ मर चुके हैं।

प्रदेश में बाघों के बढ़ते मौत के आंकड़े के मद्देनजर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने चिंता जताते हुए महकमें के अधिकारियों को इस मामले की तुरंत जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि यह पता लगाया जाना चाहिए कि कहीं बीमारी के चलते तो बाघों की मौत नहीं हो रही है या फिर विभाग की ओर से कोई लापरवाही बरती जा रही है?