सीएम और मंत्री होंगे लोकायुक्त के दायरे में

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    उत्तराखंड में प्रचंड मतों से और जनता के भरोसे से सत्ता में आयी भाजपा सरकार अब भ्रष्टाचार को भी जड़ से उखाड़ना चाहती है। इसलिए 2011 में खंडूरी सरकार के जमाने में पास हुए लोकायुक्त एक्ट को लेकर फिर सामने आई है और एक बार फिर इसे विधानसभा में पेश कर दिया गया है। भ्रष्टाचार पर युद्ध और भ्रष्टाचारियों को सामने लाने की मुहिम सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहले ही छेड़ दी है।बिना यह सोचे की सीएम और उसके मंत्री भी इस एक्ट के अंर्तगत आऐंगं सीएम रावत ने यह एक्ट लागू करने का मन बना लिया है। इस एक्ट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि सीएम और उसके मंत्री भी इसके दायरे में होंगे।
    आपको बता दें कि 2012 में विजय बहुगुणा की सरकार ने अपने हिसाब से लोकायुक्त एक्ट पारित किया था, जिसमें सीएम को इसके दायरे से बाहर कर दिया गया था। मगर त्रिवेंद्र सरकार ने सीएम को उसके अधीन रखकर यह जाहिर करने का इरादा जताया है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ वाकई में सख्त कदम उठाना चाहते है।
    कुछ इस तरह का होगा लोकायुक्तः
    एक अध्यक्ष, जो मुख्य न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। या, एक विख्यात व्यक्ति, जिसकी भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों, सार्वजनिक प्रशासन, सतर्कता, वित्त, कानून और प्रबंधन से संबंधित विषयों में 25 से अधिक वर्षों की विशेषज्ञता है।
    अधिकतम चार सदस्यों, जिनमें से 50 प्रतिशत न्यायिक सदस्य होंगे। लेकिन, लोकायुक्त सदस्यों का 50 प्रतिशत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाओं से होगा।
    लोकायुक्त के मुख्य बिंदु-
    किसी भी मामले में, प्रारंभिक जांच या निरीक्षण के लिए निर्देश दे सकते हैं।
लोकायुक्त की अनुमति के बिना अधिकारी को स्थानांतरित करना संभव नहीं है।
किसी भी मामले में वकील के अलावा अन्य वकीलों का एक पैनल बना सकते हैं,
जांच करते समय लोकायुक्त को सिविल कोर्ट की सभी शक्तियां प्राप्त होंगी।
    इन्हें लोकायुक्त बनाया नहीं जा सकता-
    संसद के किसी भी सदन के सदस्य, किसी भी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र के विधानमंडल का कोई सदस्य नहीं होगा।
अपराध के दोषी व्यक्ति को लोकायुक्त संस्था का सदस्य नहीं बन सकता है।
45 वर्ष से कम उम्र के कोई व्यक्ति लोकायुक्त संस्था का हिस्सा बनने में सक्षम नहीं होगा।
किसी भी पंचायत या नगर पालिका का कोई सदस्य लोकायुक्त संस्था का हिस्सा नहीं होगा।
एक व्यक्ति जिसे संघ या किसी भी राज्य की सेवा से हटा दिया गया है।
एक राजनीतिक दल या व्यापारी से संबंधित व्यक्ति
यदि ट्रस्ट या लाभ का पद आयोजित किया जाता है, तो ऐसे व्यक्ति पद से पहले इस्तीफा दे देंगे।