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आईएमए कैडेट की इलाज के दौरान मौत

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करियप्पा बटालियन के नवीन क्षेत्री देहरादून स्थित इंडियन मिल्ट्री एकेडमी (आईएमए) में प्रशिक्षण ले रहे थे। अचानक तबियत खराब होने पर नवीन को अस्पताल ले जाया गया जहां उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।

पुलिस के मुताबिक शानिवार की रात को आईएमए कैडेट नवीन क्षेत्री, जिला दार्जिलिंग, वेस्ट बंगाल की अचानक तबियत खराब हो गई। नवीन क्षेत्री की तबियत खराब होने पर उन्हें आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां नवीन की तबियत और ज्यादा बिगड़ती देख उन्हें महंत इंद्रेश अस्पताल रेफर किया गया, जहां उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। लिस द्वारा आज दिनांक 20/08/17 को  मृतक का पंचायतनामा भर पोस्टमार्टम की कार्यवाही की गई।

अवैध शराब की तस्करी में 2 व्यक्ति गिरफ्तार

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वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदया व पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के निर्देशन व क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश, प्रभारी निरीक्षक कोतवाली ऋषिकेश के नेतृत्व में ऋषिकेश क्षेत्र में अवैध रूप से नशीले पदार्थो एव शराब की तस्करी करने वालों के विरूद्ध अभियान चलाया गया।

अभियान के दौरान देर रात पुलिस टीम संदिग्ध व्यक्तियों/वाहनों की चैकिंग हेतु क्षेत्र में रवाना थे। चैकिंग के दौरान सूचना प्राप्त हुई कि गुर्ज्जर प्लाट गली नं. 9, में टीटू नाम का एक व्यक्ति अपने एक अन्य साथी के साथ शराब लेकर आये हैं व शराब को टीटू के मकान में छिपाने वाले हैं। पुलिस टीम द्वारा मौके पर जाकर देखा तो दो व्यक्ति गत्ते की खाकी पेटियों को उठाकर सड़क से मकान के गेट में रख रहे हैं। इस पर पुलिस टीम द्वारा एकदम से  राजकुमार उर्फ टीटू व राजू भटनागर को पकड़ लिया। पकड़े गये दोनो व्यक्तियों से पूछताछ की तो उन्होने बताया कि हम लोग इस शराब को ऋषिकेश बेचने के लिये लेकर आये थे। पकड़े गये अभियुक्तों के विरूद्ध आबकारी अधिनियम का अभियोग पंजीकृत किया गया, जिन्हे माननीय न्यायालय पेश किया जायेगा।

यह भी अवगत कराना है कि अभियुक्त राजू भटनागर वर्ष 2003 से लगातार ऋषिकेश तीर्थनगरी में अवैध रूप से शराब तस्करी कर रहा है, जिसके विरूद्ध कोतवाली ऋषिकेश में 56 मुकदमें पंजीकृत हैं। यह थाना ऋषिकेश का हिस्ट्रीशीटर भी है। अभियुक्त राजकुमार के विरूद्ध शराब तस्करी के 5 अभियोग पंजीकृत हैं। दोनो अभियुक्तों को पूर्व में गुण्डा अधिनियम के अन्तर्गत जिलाबदर भी किया गया है।

उल्लेखनीय है कि ऋषिकेश क्षेत्र में अवैध रूप से नशीले पदार्थो की तस्करी व बिक्री के विरूद्ध चलाये जा रहे अभियान के तहत अवैध शराब की तस्करी करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध 260 अभियोग पंजीकृत कर 262 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार अभियुक्तों के कब्जे 6232 पव्वे देशी शराब, 844 बोतल अंग्रेजी शराब, 48 केन बियर बरामद की गयी तथा 42 दो पहिया व चार पहिया वाहनों को सीज किया गया।

एनडीपीएस एक्ट के अन्तर्गत 24 अभियोगों में 24 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, जिनके कब्जे से 5 किलो गांजा, 3 किलो 450 ग्राम चरस व 60 ग्राम स्मैक व भारी मात्रा में नशीले कैप्शूल, दवाईयां व इन्जैक्शन बरामद किये गये।

देवप्रयाग से ऋषिकेश जा रहा ट्रक नदी में गिरा, तीन की मौत दो घायल

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देवप्रयाग से ऋषिकेश जा रहा ट्रक UA 09-6016 व्यासी के समीप सड़क से नीचे लगभग 100 मी0 नदी में गिर कर दुर्घटनाग्रस्त हुआ। जिसमे चालक सहित 5 लोग सवार थे। मौके पर 3 मृतक, 2 घायल, घायल ऋषिकेश रेफर। मौके पर पुलिस टीम, खोज बचाव टीम, तहसीलदार पावकीदेवी। खोज बचाव कार्य जारी।

लोक भाषाओं के संरक्षण में ‘उड़ान’ से जगी उम्मीद

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उत्तराखंड राज्य निर्माण की मूल भावना में से एक स्थानीय बोली-भाषाओं का संरक्षण और संवर्द्धन भी था लेकिन अब तक जितनी भी सरकारें आई राज्य में बोली जाने वाली मुख्यत: तीन स्थानीय बोली-भाषा गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी के उत्थान के लिए कोई ठोस कदम नही उठा पाई । ऐसे में ऋषिकेश में एक निजी स्कूल उड़ान द्वारा अभिनव पहल शुरू किया गया है जिससे भाषा की समृद्धता के प्रति उम्मीद जगी है।

उत्तराखंड की प्रमुख भाषा गढ़वाली और कुमाऊनी विलुप्त होने की कगार पर है और ऐसे में वहीं, एक आशा की किरण ऋषिकेश के उड़ान स्कूल से जगी है। स्कूल में लोगों की सहायता से गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है । हिन्दी और अंग्रेजी के साथ ही उड़ान स्कूल में एक विषय के तौर पर गढ़वाली और कुमाऊनी भी सिखाई जाती है, जिसके फलस्वरुप यहां पढ़ने वाले बच्चों को फिर चाहे वो गढ़वाली हो या यूपी, बिहार, बंगाल के सभी को गढ़वाली बोली भाषा की समझ आने लगी है।

आशा की किरण उड़ान स्कूल में जरूर दिखती है लेकिन सरकारी प्रयासों के बिना लोकभाषाओं का संरक्षण संभव नहीं है, समय की मांग है कि गढ़वाली, कुमाऊनी जैसी लोकभाषाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाए।

उत्तराखंड में लम्बे समय से गढ़वाली और कुमाऊनी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने और लोक भाषा एकेडमी के गठन की मांग होती रही है और राज्य में जौनसारी, बुक्सा, थरुआटी, भोटिया और राजी लोकभाषाएं बोलने वाले भी हैं, जिनकी संख्या अधिक नहीं है। राज्य में कुमाऊनी और गढ़वाली बोलने वालों की संख्या लगभग पच्चीस-पच्चीस लाख है, जबकि इन भाषाओं को समझने वालों की संख्या कहीं अधिक है, फिर भी सरकार की ओर से ऐसे कार्यो में अभी तक दिलचस्पी नही दिख रही है।

उड़ान स्कूल के संचालक डॉ. राजे नेगी ने बताया कि, “स्कूल में बच्चों को प्रार्थना भी गढ़वाली में करवाई जाती है और स्कूल का मकसद है कि नई पीढ़ी को लोकभाषा गढ़वाली और कुमाऊनी के प्रति रुची जगाना है।” 

मसूरी की 100 साल से भी पुरानी एतिहासिक जनमाष्टमी

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जनमाष्टमी, हिन्दुओं का मुख्य त्यौहार है, अौर पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में, खासकर पहाड़ों की रानी मसूरी में जनमाष्टमी की महत्ता अलग ही है। सनातन धर्म मंदिर समिति के अंर्तगत आने वाले राकेश अग्रवाल इस पुरानी परंपरा को अाज भी जीवित रख रहे हैं।टीम न्यूज़पोस्ट से हुई खास बातचीत में राकेश ने बताया कि, “पहले गढ़वाल में केवल मसूरी और इंडो-चाईना बार्डर पर भगवान कृष्ण की डोली जनमाष्टमी पर निकाली जाती थी, अाज 100 साल से ऊपर हो चुके हैं और यह परंपरा मसूरी में चली आ रही है।

जनमाष्टमी का जूलुस हर साल, जनमाष्टमी के बाद आने वाले रविवार को मनाया जाता है। मसूरी के आसपास के गांव जैसे कि क्यारकुली, भट्टा को बलराम और कृष्ण भगवान से जोड़ कर देखा जाता है, इन गांवों के सभी लोग 2-3 दिन तक शहर में हो रहे मेले में अपनी पारंपरिक पोशाक में आकर इस दिन का इंतजार करते थे।

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भगवान कृष्ण की डोली ठीक 1:30 बजे सनातन धर्म मंदिर, लैंडोर बाजार के प्रांगण से निकल कर पूरे शहर में अपने भक्तों के बीच घूम कर, रात 8 बजे मंदिर वापस आती है। लगभग एक दर्जन झांकी जिनमें छोटे-छोटे बच्चें कृष्ण-राधा की तरह तैयार होकर झांकियों के साथ आने वाली गाड़ियों के उपर बैठते हैं। इस दिन के लिए उत्तराखंड संस्कृति विभाग भी अपनी दो झांकियां यहां भेजता हैं।

हजारों की संख्या में लोग मसूरी की सकरी गलियों में इकठ्ठा होकर भगवान कृष्ण की झांकी में फूलों की बारिश करते हैं और आर्शीवाद ग्रहण करते हैं। यह जूलुस मसूरी के इतिहास का एक अभिन्न अंग बन चुका है जिसे आने वाली पीढ़ियां अभी जुड़ नहीं रही हैं, राकेश जी कहते हैं कि, “हम परंपराओं का निर्वहन कर रहे हैं, आगे आने वाली पीढ़ी को अलग ही चुनौतिय़ों और चिंताओं से गुजरना है।”

लेकिन अाज भी सब खोया नहीं है, अाने वाली पीढ़ी में बहुत से जुजहारू यूवा है जैसे कि निखिल ⁠⁠⁠⁠⁠अग्रवाल जिनका मानना है कि, “हम अपने बड़ों से सीख रहे हैं, और हमेशा कोशिश यह रहती है कि हम इस परंपरा को आगे लेकर जाए और पिछली पीढ़ी से भी अच्छा करें।

जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति गठन को लेकर प्रशासन भी असमंजस में

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एक ओर राजनैतिक दलों के सदस्य, जागेश्वर मंदिर,अल्मोड़ा के प्रबंधन समिति  के पदों पर कब्जा जमाने को बेताब हैं। दूसरी ओर अंतिम सूची तैयार करने में प्रशासन के पसीने छूटे हुए हैं। प्रबंधन समिति का गठन आला अधिकारियों के लिए गले की फांस बना हुआ है। इसी का नतीजा है कि एक माह बीतने के बावजूद अधिकारी सूची को राज्यपाल तक नहीं पहुँचा पाए हैं।

दरअसल, जागेश्वर प्रबंधन समिति का कार्यकाल बीते जून में ही खत्म हो गया था। लिहाजा तत्कालीन डीएम सविन बंसल ने बीते 28 मई को कमेटी गठन की विज्ञप्ति जारी कर दी थी। आवेदन के लिए भाजपा नेताओं का जमावड़ा लग गया था। जिसमे प्रदेश से लेकर मंडल स्तर के भाजपाइयों ने आवेदन किये थे। इस मामले ने मीडया में खूब सुर्खियां बटोरी थी। मामला संज्ञान में आते ही डीएम ने मामले की जांच आनन-फानन में एलआईयू को शौप दी थी। एलआईयू जांच में छह भाजपाई और दो कांग्रेसियों द्वारा कमेटी में पद के लिये आवेदन की पुष्टि हुई थी। लिहाजा डीएम ने पूरी प्रक्रिया को  निरस्त कर दिया था। इससे प्रदेश की राजनीति में भी भूचाल आ गया था।

इसके बाद एक जुलाई को प्रशासन की ओर से दोबारा विज्ञप्ति जारी की गई थी। सूत्रों के मुताबिक पहली मर्तबा राजनैतिक कारणों से जिन नेताओं का आवेदन निरस्त किया गया था, उन्होंने दोबारा आवेदन कर दिए थे। वह नेता पद हथियाने को एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।20 जुलाई को आवेदन की अंतिम तिथि रखी गई थी। इस बार प्रबन्धक पद के लिए 16 जबकि उपाध्यक्ष पद कब लिए चार आवेदन सामने आए हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी से जुड़े नेताओं के नाम आगे बढ़ाने के लिए अधिकारियों पर जबर्दस्त प्रेसर पड़ रहा है। यदि प्रशासन छह नेताओं के नाम आगे फारवर्ड करता है तो छह वास्तविक दावेदार बाहर हो जाते हैं। ऐसे हालात में बड़ा बवाल होने की भी पूरी आशंका अधिकारी जता रहे हैं। लिहाजा वह अब भी असमंजस में पड़े हुए।
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एलआईयू रिपोर्ट और विज्ञप्ति बन रही है फ़ांस
पिछले डीएम ने आवेदन पत्रों की जांच एलआईयू से कराई थी। तब एलआईयू ने जो रिपार्ट डीएम को सौंपी थी उनमे सभी अयोग्य आवेदकों के नाम, राजनीतिक पद, नेताओं से सम्बंध और राजनैतिक बैकग्राउंड का पूरा जिक्र किया है। इसके अलावा तत्कालीन डीएम ने अखबारों में दूसरी बार जो विज्ञप्ति जारी की है उसमें एलआईयू की रिपोर्ट का साफ-साफ हवाला देते हुए सात आवेदकों के राजनीति से जुड़े होने के कारण आवेदन निरस्त करने का जिक्र किया है। ऐसे हालात में तमाम दबावों के बाद भी अधिकारी अपनी कलम नहीं फसाना चाहते हैं।

कोर्ट जाने की भी तैयारियां पूरी
सूत्रों के मुताबिक वास्तविक दावेदार प्रसाशन के हर मूवमेंट पर नजर रखे हुए हैं। उन दावेदारों का मानना है कि प्रशासन योग्य लोगों की पैरवी करे। राजनैतिक व्यक्ति के चयन होने पर योग्य दावेदारों ने मामले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की ठानी हैं। बाकायदा उन्होंने तमाम साक्ष्य भी एकत्र कर लिए हैं।

जिले के कुछ नेता दे रहे दखल
सूत्रों के मुताबिक बीते चुनाव में सहयोग के एवज में जिले के  नेता अपने कार्यकर्ताओं को मंदिर कमेटी में बिठाने को आमादा हैं। ये नेता नियम विरूद्ध तरीके से अपने कार्यकर्ताओं को पद दिलाने के लिए सत्ता की हनक अधिकारियों पर गांठ रहे हैं। इससे लोगों में खासा आक्रोश भी व्याप्त है। सूत्रों के मुताबिक मंदिर में दखल दे रहे नेताओं की शिकायत उसी पार्टी के कुछ नेता राष्टीय स्तर के दो शीर्ष नेताओं तक पहुंचा चुके हैं। आने वाले दिनों में ऐसे नेताओं के खिलाफ पार्टी स्तर पर  कार्रवाई की सम्भावना भी जताई जा रही है। इलाके के युवा भी ऐसी भृष्ट सोच रखने वाले नेताओं को चुनाव में सबक सिखाने का मन बना चुके हैं।

डेढ साल से फरार कबूतरबाज,दो अभियुक्त सहित गिरफ्तार

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2016 में प्रीतम सिंह, शीशमझाड़ी, मुनि की रेती,टिहरी गढवाल ने थाना ऋषिकेश पर सूचना अंकित करायी कि कुछ व्यक्तियों द्वारा विदेश भेजने के नाम पर दो लाख रूपये की ठगी कर ली व विदेश नही भेजा गया। सूचना पर थाना ऋषिकेश पर अभियुक्त कमल सिंह राणा, टिहरी गढवाल व नीरव कपाड़िया,गुजरात के विरूद्ध धोखाधड़ी का मु.अ.सं. 201/16, धारा 420 भादवि का अभियोग पंजीकृत किया गया।

कमल सिंह राणा को गिरफ्तार कर 2016 में जेल भेजा गया, अभियुक्त नीरव कपाड़िया की गिरफ्तारी के लिये कई बार उसके सम्भावित पतों पर दबिश दी गयी परन्तु वह पुलिस को चकमा देकर निकल गया।  विवेचना के मध्य एक अन्य अभियुक्त अरूण कुमार, हरियाणा का नाम प्रकाश में आया। मुख्य आरोपी नीरव कपाड़िया की गिरफ्तारी के लिये वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून द्वारा ढाई हजार रूपये का ईनाम घोषित किया गया था।

डेढ वर्षो से अभियुक्तगण गिरफ्तारी से बचने के लिये विभिन्न राज्यों में छिपते रहते थे। पुलिस द्वारा लगातार विभिन्न राज्यों में इनके सम्भावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही थी परन्तु अभियुक्तगण शातिर होने के कारण पुलिस की गिरफ्त में नही आ रहे थे। प्रवीण सिंह कोश्यारी, ऋषिकेश द्वारा विशेष टीम बनाकर उत्तरप्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा व गुजरात आदि भेजी गयी। पुलिस टीम द्वारा उपरोक्त स्थानों पर लगातार दबिश दी गयी। पुलिस टीम को जानकारी मिली कि दोनो अभियुक्त राजस्थान होकर हरिद्वार पर पुनः किसी व्यक्ति को विदेश भेजने के नाम पर ठगने के लिये आ रहे हैं।

दिनांक 20.08.17 को समय 7.30 बजे पुलिस टीम द्वारा दोनो अभियुक्तों नीरव कपाड़िया व अरूण कुमार को हरिद्वार रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार कर लिया गया। अभियुक्तगण के आपराधिक इतिहास की जानकारी की जा रही है।

अपराध करने का तरीका :-

पकड़े गये व्यक्तियों के सम्बन्ध में यह जानकारी मिली कि यह भी सीधे साधे व्यक्तियों को विदेश भेजने का लालच देकर वर्किंग वीजा के नाम पर टूरिस्ट वीजा देकर उन्हे विदेश भेजते थे, जिनकी अवधि समाप्त होने की जानकारी व्यक्तियों को नही दी जाती थी, जिससे उक्त व्यक्ति विदेश में ही फंस जाते थे। इस प्रकार काम कराने के नाम पर भेजने के बजाय उक्त अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी कर टूरिस्ट वीजा में व्यक्तियों को भेजकर उनके साथ धोखाधड़ी की जाती थी।

भूतपूर्व सैनिक संगठन ने मुख्यमंत्री को किया सम्मानित

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भूतपूर्व सैनिक संगठन ने  मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता मिलन हाॅल में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सम्मानित किया। द्वितीय विश्व युद्ध के सैनिकों एवं सैनिक विधवाओं की मासिक पेंशन केा रू.4000 से बढ़ाकर रू.8000 किये जाने पर भूतपूर्व सैनिकों ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही उत्तराखण्ड के युवाओं को सेना भर्ती में लम्बाई में 3 सेन्टीमीटर की छूट प्राप्त होने पर भी मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र रावत के प्रयासों की सराहना करते हुए उनको सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि के साथ वीर भूमि है। उन्होंने कहा कि जो वीर सैनिक सीमा पर देश की रक्षा के लिये अपने प्राणों की बाजी लगाते हैं उनके परिवार के बारे में सोचना सरकार और समाज का दायित्व है। उन्होंने हाल ही में शहीद मेजर कमलेश पाण्डे और शहीद नरेन्द्र सिंह बिष्ट के परिजनों से हुई मुलाकात का स्मरण करते हुए कहा कि शहीदों के परिजनों का ध्यान रखना सरकार का नैतिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि आर्थिक सहायता तो सरकारें देती ही है लेकिन हमें शहीद के परिवार की समग्र रूप से चिन्ता करनी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीदों के परिवार को किस प्रकार से समग्र सहायता दी जाय, इस पर वे विचार कर रहे हैं। इसके लिये उन्होंने भूतपूर्व सैनिकों से भी सुझाव देने को कहा। उन्होंने कहा कि सैनिकों-भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिये और कौन-कौन से कदम उठाये जा सकते है, इनका विस्तृत परीक्षण कर रहे हैं। घोषणाएं करना आसान है लेकिन जिम्मेदार व्यक्ति जब घोषणा करे तो वो पूरी भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सैनिकों के कल्याण के सुझाये गये सभी उपायों पर गंभीरता से विचार किया जायेगा।
इससे पूर्व कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मसूरी क्षेत्र के विधायक श्री गणेश जोशी ने मुख्यमंत्री द्वारा लिये गये निर्णय के लिये उनका आभार व्यक्त किया।

भेड़ पालकों के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित

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उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड की समीक्षा बैठक में भेड़-पालकों के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किये गए जिसमें मुख्यतः राज्य के भेड़ पालक समुदाय के 28 शिक्षित बेराजगार नवयुवकों को प्रशिक्षण मुहैया कराते हुए 15 रुपये प्रति किलों ऊन की दर से ऊन कतरन ग्रेडर/संग्रह कार्य के लिए दिये जाने पर संस्तुति की गयी।
बैठक में महिला कल्याण एवं बाल विकास, पशुपालन भेड़ एवं बकरी पालन मंत्री रेखा आर्य द्वारा राज्य सेक्टर योजना के तहत भेड़-बकरी पालकों का अनिवार्य रूप से पंजीकरण करवाने के भी निर्देश दिये। उन्होंने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत भेड़-बकरी पालकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम कराने के भी निर्देश दिए, जिसके तहत पशुलोक ऋषिकेश एवं भैंसवाड़ा अल्मोड़ा में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
इस योजना के तहत 29 मशीन ऊन करतन शिविर, चिकित्सा शिविर एवं 13 भेड़ प्रदर्शनियों का आयोजन का प्रस्ताव पारित किया गया। मार्च 2017 में 21 चयनित नवयुवकों को केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर राजस्थान से एवं देश की प्रतिष्ठित ऊन मण्डी बीकानेर से प्रशिक्षण प्राप्त कराया जा चुका है।
मंत्री ने कि राज्य के आठ बड़े बाहुल्य जनपदों में भारत सरकार की एकीकृत भेड़-ऊन सुधार योजना के तहत जनपद उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, पिथौड़ागढ, देहरादून पौड़ी एवं बागेश्वर में संचालित की जा रही हैं, जिसमें ढाई लाख भेड़ों को लाभान्वित करने का लक्ष्य प्रस्तावित किया गया है।
मंत्री ने राज्य के भेड़ पालकों के लिए भी बीमा योजना संचालित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने महिला बकरी पालन योजना के तहत राज्य में महिलाओं के हितार्थ परित्यक्ता महिला, विधवा महिला, निराश्रित महिला, दिव्यांग महिला, अकेली रह रही महिलाओं एवं आपदा प्रभावित महिलाओं के लिए योजना संचालित है। उन्होंने यह भी निर्देश दिये हैं कि योजना के क्रियान्वयन के समय इस बात का ध्यान रहे कि कोई महिला अन्य किसी पेंशन का लाभ तो नही ले रही है, ऐसी महिलाएं योजना के लिए पात्र नही है। उन्होंने वर्ष 2017-18 के लिए 30 लाख की धनराशि, 75 ईकाईयों की स्थापना के लिए प्रस्ताव पारि किया गया। बोर्ड बैठक में ऊन की दरों का भी निर्धारण पर भी विचार-विमर्श किया गया है।
बैठक में उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के अन्तर्गत राजकीय भेड़/बकरी प्रजनन प्रक्षेत्रों के सुदृढीकरण एवं आधुनिकरण के प्रस्ताव को प्रस्तावित किया गया। इस दौरान भेड़-बकरी पालकों के चरान-चुगान के परमिट के सम्बन्ध में भी चर्चा की गयी, जिस पर मत्रीं द्वारा वन विभाग द्वारा शासनादेश जारी करने हेतु कार्रवाई की जानी है। इस सम्बन्ध में पूरी जानकारी से उन्हें अवगत कराते हुए पत्रावली प्रस्तुत कराने के निर्देश दिए।
उत्तराखण्ड पशुधन एवं उत्तराखण्ड पशुधन एवं उत्पाद विपणन निगम लि. बनाये जाने, उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के ढांचे एवं कार्मिक की कमी, भेड़-बकरी पालकों का सहकारिता विभाग के अन्तर्गत पंजीकरण कराने एवं राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम (एनसीडीसी) से लाभान्वित किये जाने आदि बिन्दुओं पर चर्चा की गयी तथा उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड की गवर्निंग बाॅडी हेतु 16 सदस्यों में से नौ सदस्यों का चयन करने का प्रस्ताव प्रस्तावित किया गया।
उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में अतिरिक्त कार्मिकों की तैनाती के सम्बन्ध में भी चर्चा की गयी। बैठक में पंतजलि योगपीठ के साथ सहयोग, बकरी स्वयंवर में प्रतिभागिता के सम्बन्ध में विचार-विमर्श, मोबाईल डिपिंग टैंक क्रय करने, राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्रों की भेड़ों के ग्रीष्मकालीन प्रवास/बुग्याल के दौरान कार्मिकों के यात्रा एवं अन्य भत्तों के सम्बन्ध में विचार-विमर्श एवं बकरी प्रदर्शनी के आयोजन के सम्बन्ध में चर्चा की गयी।
मंत्री द्वारा बोर्ड की बैठक प्रत्येक छ माह में अनिवार्य रूप से करने के भी निर्देश दिए, जिसमें पशुपालकों की समस्याओं एवं सुझाव पर भी विचार-विमर्श किया जा सके। बैठक में अपर सचिव वित्त अर्जुन सिंह, निदेशक डाॅ. एस.एस बिष्ट, मुख्य अधिशासी अधिकारी डाॅ. अविनाश आनन्द सहित सम्बन्धित अधिकारी एवं भेड़ पालक उपस्थित रहे।

ट्रैक्टर चोरी कर भाग रहे चोरों को लोगों ने दबोचा

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डोईवाला कोतवाली क्षेत्र के भोपाल पानी (थानो) से ट्रैक्टर चोरी कर भाग रहे चोरों को लोगों ने पकड़कर पुलिस के हवाले किया। शुक्रवार देर रात भोपालपानी से चार लोग ट्रैक्टर चोरी कर भाग रहे थे। इस बीच गांव के लोगों ने भुईया मंदिर के पास संदिग्ध स्थिति में ट्रैक्टर लेकर जा रहे लोगों को रोका तो उनमें से दो भाग निकले। अन्य दो को लोगों ने दबोच लिया और पुलिस के हवाले किया।

ट्रैक्टर चोरी की घटना को अंजाम देने चारों लोग मुरादाबाद निवासी है। पुलिस चोरों से पूछताछ कर रही है। डोईवाला कोतवाली क्षेत्र से हाल के ही दिनों तीन ट्रैक्टर चोरी हो चुके हैं, जिनकी कोई जानकारी अभी तक नहीं लगी है। पुलिस ने बताया कि मामले में पूछताछ जारी है इनसे चोरी के अन्य मामले भी खुल सकते हैं। चोरों को पकड़ने वालों में शशांक सोलंकी, रविन्द्र सोलंकी, राकेश मनवाल, सोनम मनवाल राहुल मनवाल, किशोर सोलंकी आदि ग्रामीण शामिल थे।