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चमोली का इंजीनियरिंग कॉलेज ताक रहा छात्रों की राह

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चमोली जिले का एक मात्र इंजीनियरिंग कॉलेज छात्रों की राह ताक रहा है। दो बार की काउंसलिंग के बाद भी अभी तक सीटें भर नहीं पायी हैं। जिले के कोठियालसैंण में संचालित इंजीनियलेज के लिए 325 सीटें विभिन्न ट्रेडों के लिए आंवटित हुई हैं। कॉलेज द्वारा दो बार छात्रों के प्रवेश के लिए काउसिंलिंग भी करवा दी गई है। इसके बाद भी अभी तक 195 सीटें खाली चल रही हैं। अब कालेज प्रशासन इंटर मीडिएट स्तर पर 45 विज्ञान वर्ग के साथ 45 प्रतिशत अंको वाले छात्रों को भी प्रवेश देने की प्रक्रिया शुरू कर सीटों को भरने की कोशिश में लगा है।

इधर, कॉलेज के निदेशक केकेएस मेर का कहना है कि कॉलेज में सभी विभागों में मानकों के अनुसार शिक्षक तैनात हैैं इसके अलावा कॉलेज में हाईटेक लैब, आधुनिक इंडस्ट्रीज में काम आने वाली मशीनें प्रयोगशाला में मौजूद हैं। स्मार्ट क्लास के साथ ही पर्याप्त कक्ष भी उपलब्ध हैं। छात्रों को निशुल्क पुस्तकें भी उपलब्ध करवाई जाती हैं। 

राज्य में भारी बारिश की चेतावनी

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उत्तराखंड में मौसम एक बार फिर से करवट लेने जा रहा है। मौसम विज्ञान केन्द्र देहरादून के मुताबिक सूबे में आज से अगले 48 घंटों में भारी बारिश की संभावना है।
विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार राजधानी देहरादून सहित सूबे में आमतौर पर बादल छाये रहेंगे। उत्तराखण्ड में अनेक स्थानों में हल्की से मध्यम गर्जन के साथ वर्षा हो सकती है। वहीं मौसम विज्ञान केन्द्र देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि अगले 48 घंटों में कहीं-कहीं भारी वर्षा की सम्भावना है।

फूलों की घाटी में बहार, 11 हजार पर्यटकों ने किया दीदार

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विश्व धरोहर फूलों की घाटी में इस बार पर्यटकों का रिकॉर्ड टूट गया है। इस बार पिछले वर्ष की तुलना में रिकॉर्ड पर्यटक फूलों की घाटी का दीदार कर चुके हैं। अब तक 11 हजार से अधिक देशी-विदेशी पर्यटक यहां आ चुके हैं।

आपदा के बाद से यहां पर पर्यटकों की संख्या कुछ कम हुई थी लेकिन इस वर्ष पहुंचे पर्यटकों ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। हालांकि अभी पर्यटकों की संख्या और बढ़ने के आसार हैं क्योंकि फूलों की घाटी अभी 31 अक्टूबर तक खुली रहेगी।
फूलों की घाटी में सबसे ज्यादा फूल अगस्त और सितंबर माह में खिलते हैं। जिसे देखने के लिए पर्यटक ज्यादा लालायित होते हैं और इस समय पर पर्यटकों की संख्या और भी अधिक बढ़ जाती है। प्रभागीय वनाधिकारी नंदादेवी नेशनल पार्क चंद्रशेखर जोशी का कहना है कि इस बार अन्य वर्षों की अपेक्षा अधिक पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि अभी सितंबर माह तक और भी अधिक पर्यटकों के आने की संभावना है।

कल से विराजमान होंगे गणपति

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ऋषीकेश में गणपति उत्सव धूम धाम से मनाया जाता है जिसकी सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है। तीर्थनगरी ऋषिकेश कि खासियत यह है कि यहाँ हर साल यात्रा पर बड़ी दूर-दूर से श्रद्धालु आते है ऐसे में आगामी दिनों तक नगर के पंडालो में यात्रा पर आये यात्री और विदेशी बड़ी संख्या में हिस्सा लेते है, और घर से दूर गंगा के तट पर गणपति उनके विघ्नों को दूर कर लेते है।
ऋषिकेश देव भूमि का प्रवेश द्वार होने के साथ साथ, विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व भी करता है गंगा के तटों पर बसे आश्रमो में हर तीज त्योहार को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है, ऋषिकेश के बंगलामुखी में गणपति महोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है, यहाँ गणपति की मूर्ति को विशेष रूप से सजाकर पंडाल को एक थीम के अनुसार तैयार।
बंगलामुखी आश्रम के संचालक महाराज राहुलेश्रानन्द ने बताया की इस बार के गणपति की थीम शीश महल रहेगी जिसमे पुरे पंडाल को महाराष्ट्र से आये कारीगर शीशों से सेट की डिज़ाइनिंग कार रहे है और गणपति की विषर प्रतिमा को तरह तरह के आभूष्णों से सजाया जा रहा है। शुक्रवार की सुबह गणपति को मंडप में विराजमान करके पूजा अर्चना की जाएगी और दस दिनों तक चलने वकाले इस फेस्टिवल में विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जायेगा।

पुलिसिंग में लायें और सुधारःडीजीपी रतूडी

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प्रदेश पुलिस मुखिया अनिल कुमार रतूडी ने जनपद उधमसिंहनगर के अधिकारियों की क्राइम बैठक लेते हुए जनपद पुलिस अधिकारियों के जमकर पैंच कसे। डीजीपी ने जहां पुलिस को और बेहतर कार्य करने के निर्देश दिये, वहीं पुलिससिंग में सुधार के लिए कडे निर्देश भी दिये। एसएसपी कार्यालय के सभागार में आयोजित क्राइम बैठक में डीजीपी ने जहां अधिकारियों से आंकडों पर चर्चाए की वहीं बढते आपराधिक ग्राफ को रोकने के लिए और बेहतर करने के निर्देश दिये।
उन्होने कहा कि, “पुलिस सबसे पहले जनता का विश्वास जीते, जनता का विश्वास कायम करने के बाद ही पुलिस बेहतर काम कर सकती है और जनता की ताकत से बेहतर परिणाम भी सामने आयेंगे।” डीजीपी ने ऩये तौर तरीके से पुलिस की कार्यशैली में बदलाव लाने के निर्देश देते हुए कहा कि पुराने ढर्रे को बदले और नये तरीके से काम करें।
साईबर के इस युग में अपराध के तरीके जिस तरह से बदल रहे है उसी तरह से आपराधियों की सोच से आगे पुलिस की सोच होनी चाहिए और पुलिस खुद को अपडेट रखे। उन्होने पुलिस के जवानों के दर्द को भी साझा करते हुए कहा कि सिपाहियों को सबसे अधिक मशक्कत करनी पडती है और उनकी कुछ जायज मांगे है जिनपर शासन स्तर पर जल्द ही निर्णय आ जाएगा। डीजीपी ने बताया कि जल्द ही प्रदेश के पर्वतीय और मैदानी जिलों में 20 नये थाने और चौकिंयां खोली जाएेगी।

राष्ट्रीय पुस्तक मेले की तैयारियों का उच्च शिक्षा मंत्री ने लिया जायजा

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राजधानी देहरादून स्थित परेड ग्राउण्ड में 28 अगस्त से पांच सितम्बर तक आयोजित होने वाले राष्ट्रीय पुस्तक मेले की तैयारियों एवं व्यवस्थाओं का उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ धन सिंह रावत ने सम्बन्धित अधिकारियों के साथ स्थलीय निरीक्षण कर जायजा लिया।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि देहरादून में पहली बार राष्ट्रीय स्तर का पुस्तक मेले का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें लगभग 150 राष्ट्रीय स्तर के पब्लिशर्स भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि मेले का उद्घाटन उत्तराखंड के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री द्वारा सुबह 11 बजे किया जाएगा। इस अवसर पर नेशनल बुक के चैयरमैन प्रो बलदेव शर्मा को भी आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि पुस्तक मेला का शुभारम्भ 28 अगस्त 2017 को होगा जो जिसका समापन 05 सितम्बर शिक्षक दिवस के अवसर पर किया जाएगा।
इस मेले में राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकारों,बुद्धिजीवियों और पत्रकारों को भी आमंत्रित किया जाएगा। पुस्तक मेले में पुस्तक लेने वालों के लिए 20 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस मेले में प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थाओं के छात्र-छात्राओं को शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पुस्तक मेले में प्रतिदिन लगभग तीन से चार हजार तक छात्र/छात्राएं प्रतिभाग करेंगें। इस अवसर पर प्रत्येक दिन मंत्रीगण, विधायकगण एवं उच्च शिक्षा के कुलपति मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग करेंगे। इस अवसर पर कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डाॅ हर्षवंती बिष्ट, मातबर सिंह रावत सहित सम्बन्धित अधिकारी मौजूद रहे।

ज़ुबिन नौटियाल के सुरों को मिला अंतर्राष्ट्रीय सम्मान, बनें इंडियन सेलीब्रिटी अंम्बेसेडर

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बॉलीवुड में अपनी जगह बना चुके उत्तराखंड के मशहूर संगीतकार ज़ुबिन नौटियाल अब ना केवल देश में बल्कि देश के बाहर भी लोगों के पसंद बने हुए हैं।अपनी मखमली आवाज से लोगों को मोहित करने वाले ज़ुबिन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़े सम्मान से नवाज़ा गया है। र्किगिज में होने वाले ‘इंटरनेशनल स्नो-लेपर्ड कंजरवेशन फोरम 2017’ में जुबिन को ब्रांड एम्बेसडर चुना गया है।

उत्तराखंड के ज़ुबिन को र्किगिज जाकर लोगों को अपनी दिल को छू लेने वाली आवाज का जादू बिखेरने का मौका मिला है।  यहां ज़ुबिन मशहूर पाॅप स्टार माईकल जैक्सन के मशहूर गाने ‘हील द वर्ल्ड’ को अपनी आवाज़ में पेश करेंगे। आपको बतादें कि जुबिन खुद उत्तराखंड के हैं जौनसार से हैं और वह अपने को पहाड़ों से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं।

न्यूज़पोस्ट से हुई खास बातचीत में उन्होंने बताया कि “यह गाना इंडियन राग तिलक काॅमद से शुरु होगा और माइकल जेक्सन का मशहूर गाना, ‘हील द वर्ल्ड’ से खत्म होगा। उन्होंने कहा कि, “मैं वहां विश्व में शांति और स्नो-लेपर्ड को बचाने की मुहिम के बारे में जागरुकता पैदा करना चाहता हूं, क्योंकि यह जानवर खत्म होने की कगार पर हैं।”

यह दो दिन का उत्सव, किर्गीज में गुरुवार से शुरु होगा, जिसमें बतौर इंडियन सेलिब्रिटी अंम्बेसेडर के तौर पर जुबिन शिरकत करेंगे। “यह मुद्दा मेरे दिल के करीब है, मैं बहुत समय से सोशल वर्क और बाकि मुद्दो पर काम कर रहा हूं। यह एक सुंदर जानवर है और मेरे दिल के बहुत करीब भी, मुझे एक स्टेज मिल रहा है जहां से मैं अपने दिल की बात एक अंर्तराष्ट्रीय मंच के माध्यम से कह सकता हूं। यह मेरे लिए बहुत ही शानदार और कभी ना भूलने वाला पल होगा।”

र्किगिज में होने वाले इस दो दिवसीय कार्यक्रम में दुनियाभर के मेहमानों के साथ-साथ भारत के प्रधानमंत्री मोदी भी शिरकत करेंगे।

गणेश चतुर्थी पर रंग-बिरंगी मूर्तियों से सजीं दून की दुकानें

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गणेश चतुर्थी 25 अगस्त को है और इस बार गणपति दस के बजाय 11 दिन तक विराजमान रहेंगे। पांच सितंबर को आनंद चतुर्दशी के दिन बप्पा की विदाई होगी। द्रोणनगरी में आधा दर्जन से ज्यादा गणेश महोत्सव होते हैं और घरों में भी गणपति बप्पा को लाया जाता है। इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं और बाजार में बप्पा की आकर्षक मूर्तियां सजी हैं।

आपको बतादें कि चतुर्थी को गणपति भगवान की पूजा अर्चना से घर में संपन्नता, समृद्धि, सौभाग्य और धन का समावेश होता है। गणपति बप्पा की मूर्ति को घर लाएं और पवित्र स्थान पर स्थापित करें। फिर धूप, दीप, पान, सुपारी, नारियल और पान के पत्तों से ‘ऊं गं गणपतये नम:’ मंत्र का जाप करते हुए पूजन करें और आरती उतारें। गणेश भगवान को मोदक का भोग लगाएं।

अगर आप अपने घर में बप्पा को विकाजना चाहते हैं तो बप्पा को विराजमान करने का शुभ मुहूर्त

  • 25 अगस्त
  • सुबह 11.06 से दोपहर 1.38 बजे तक

 

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गणेश चतुर्थी का त्यौहार ना केवल उनका त्यौहार होता है जो बप्पा को अपने घरों में विराजते हैं बल्कि उनका भी होता है जो पूरे साल आज के दिन का इंतजार करते हैं।जी हां किशनपुर चौक देहरादून से लेकर बिंदाल पुल तक रंगा-बिरंगी मूर्तियों से सजी दुकानें इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। अलग-अलग रंग और दाम में उपलब्ध ये मूर्तियां इस दौरान आने जाने वाले सभी का मन मोह ले रहीं हैं। गणेश की मूर्तियां अपनी दुकान सजाए महेश बताते हैं कि इस त्यौहार का वह बेसब्री से इंतजार करते हैं।इस दिन के लिए उनके पास हर रंग और हर साईज के गणेश जी की मूर्ति उपलब्ध हैं।महेश बताते हैं कि हमारी महीनों की मेहनत तब सफल होती है जब लोग अपनी पसंद की मूर्तियों को अपने घर में विराजते हैं।मूर्ति खरीदने राजपुर रोड से किशनपुर चौक पर आई पूजा बताती हैं कि हर साल उनके घर गणेश जी की मूर्ति विराजी जाती हैं और वह हमेश यहीं से अपने घर के लिए मूर्ति लेकर जाती हैं।पूजा कहती हैं कि यहां आने के बाद एक मूर्ति को चुनना कठिव होता है क्योंकि सभी मूर्तियां एक से बढ़कर एक होती हैं।

पर्यटकों के बीच ”क्वीन ऑफ वैली” के नाम से मशहूर हैं चमोली की यह गाईड

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फूलों की घाटी में पर्यटकों के साथ अनामिका

यू तो हजारों लोग गाईड बनकर लोगों को जगह-जगह घूमाने का काम करते हैं, लेकिन जब एक लड़की यह काम करें तो बात अलग हो जाती है।जी हां चमोली के पुलना गांव निवासी अनामिका चौहान जो केवल 22 साल की है वह टूरिस्ट गाईड बनकर देश-विदेश से आए टूरिस्ट को पहाड़ों की खुबसूरती से रुबरु करा रही हैं।

2013 की आपदा में अनामिका का गांव भ्यूंडार तबाह हो गया जिसके बाद उनका परिवार पुलना में रहता है। एचएनबी गढ़वाल यूनिर्वसिटी से बॉटनी में बीएससी करने के बाद अनामिका ने गाईड प्रोफेशन को अपना करियर चुना। आज अनामिका महीने में 100 से अधिक लोगों को उचाईं वाले क्षेत्र की सैर करा रही हैं।अनामिका के पिता विनोद चौहान घांघरिया में यात्रा सीजन में होटल चलाते हैं। पिछले एक साल से अनामिका घांघरिया से गाईड का काम कर रही हैं। शायद उत्तराखंड के ऊंचें पहाड़ों में अनामिका ही अकेली ऐसी लड़की हैं जो इस काम को कर रही हैं।

अनामिका 11 हजार से 17 हजार तक की ऊचाईं वाले पहाड़ो पर चढ़ती है जिसके लिए बहुत ही मजबूत जज्बे की जरुररत होती है।अनामिका ना केवल भारतीय पर्यटक बल्कि विदेशों के पर्यटकों को भी हिमालय की खूबसूरती से रुबरु करवाती हैं।

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आनामिका से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि वह हर साल देसी, विदेशी टूरिस्ट को फूलों की घाटी, हेमकुंड और काग भुसंडी ताल आदि उच्च हिमालयी जगहों की ट्रेकिंग कराती हैं। अनामिका ने कहा कि उनके क्षेत्र में बहुत से पुरुष गाईडिंग का काम करते हैं, “उन्हें देखकर मैनें यह सोचा क्यों ना मैं भी यह काम करुं?” बस फिर अनामिका ने अपनी राह गाईडिंग के रुप में चुनी।आज वह महीने में 200 से अधिक पर्यटकों को उच्च हिमालय की सैर कराती हैं।अनामिका ने बताया कि, “आस्ट्रेलिया,जापान,बंगाल,दक्षिण भारत और देश के अलग-अलग कोने से आने वाले टूरिस्ट को हिमालय की सैर करा चुकी हैं।” इतना ही नहीं इस क्षेत्र में इकलौती महिला गाईड होने के नाते और बॉटनी बैकग्राउंड होने के नाते उन्हें हिमालय की वनस्पतियों के बारे में आसानी होती हैं। इसके अलावा उनके काम से खुश पर्यटक उन्हें ”क्वीन ऑफ वैली” के नाम से पुकारते हैं।

अपने इस हौसले से अनामिका ने एक बात साबित कर दी हैं कि कोई भी काम मुश्किल नहीं होता अगर मन में लगन और विश्वास हो तो कठिन से कठिन काम आसान हो जाता है।अनामिका की मां को गर्व है कि उनकी बेटी एक ऐसा काम कर रही जो ज्यादातर पहाड़ो में पुरुष करते हैं।अनामिका के इस काम ना केवल उनके माता पिता गर्व महसूस करते हैं बल्कि पूरा राज्य उनके जज्बे को सलाम करता हैं।

दून की बेटी ज्योत्सना ने “दौड़कर” रचा इतिहास

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17 साल की ज्योत्सना रावत कोई आम पहाड़ी लड़की नही है। देहरादून की इस लड़की ने दुनिया की सबसे मुश्किल दौड़ों में से एक को पूरा कर के इतिहास रच दिया है। ज्योत्सना इस दौड़ को पूरा करने वाली पहली औऱ सबसे कम उम्र की भारतीय घावक रहीं। 17 अगस्त को “ला- अल्ट्रा- दी हाई” नाम की इस दौड़ का आंठवा अध्याय लेह में हुआ।

111 कि.मी वर्ग में ज्योत्सना ने हिस्सा लिया औऱ इस दौड़ को पूरा कर ये रिकाॅर्ड अपने नाम किया। दौड़ के इलाके और वातावरण के कारण दुनिया की सबसे मुश्किल दौड़ों में गिने जाने वाली इस दौड़ को पूरा करने के लिये ज्योत्सना ने 19 घंटे और 46 मिनट का समय लिया।

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ज्योत्सना कहती हैं कि जबसे उनको याद है, वो दौड़ ही रही हैं। तीन बच्चों में वो सबसे बड़ी हैं। उनके पिता, यशवनत सिंह रावत, बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट हैं औऱ खुद भी काफी बढ़िया खिलाड़ी हैं और राज्य और अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते हैं।

अपनी मैराथाॅन के बारे में बात करते हुए वो कहती हैं कि, “मेरी स्कूल की पढ़ाई चल रही थी और मेरे पास क्लास 12 में साइंस है इसके चलते में दोड़ की तैयारी ठीक तरह से नही कर पा रही थी।”

दौड़ की शुरुआत रात 8 बजे 17,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित 63 किमी नुब्रा वैली से हुई जो खाड़दुंगला  इलाके से होकर गुजरती है।  ज्योत्सना का टारगेट था इसे अगले दिन दोपहर 4 बजे तक पूरा करने का। वो कहती हैं कि, “उस ऊंचाई पर तापमान स्थिर नहीं होता। रात मे माइनस से दिन में 40 डिग्री तक पहुंच जाता है। रात में एक समय तो तापमान काफी गिर गया था और हम सूरज निकलने की प्रार्थना करने लगे। इस दौड़ को जीतने के लिये शारीरिक क्षमता के साथ मानसिक स्थिरता बहुत जरूरी है।” लेकिन इन सभी परिस्थितियों से लड़ते हुए ज्योत्सना ने ये दौड़ पूरी कर ली।

अभी के लिये ज्योत्सना की प्राथमिकता है उसकी पढ़ाई, वो कहती हैं कि, “मैं दौड़ के साथ-साथ पढ़ाई भी पूरी करना चाहती हूं। इसके बाद मैं ज्यादा मेहनत और ट्रेनिंग के साथ इस रेस का आखिरी पढ़ाव जो कि 333 किमी का है उसे पूरा करना चाहती हूं।”

उत्तराखंड की बेटी कहती है कि, “मैं कभी मैडेल या स्थान के लिये नही ंदौड़ती बल्कि ये मेरे लिये डी-स्ट्रैस करने के समान है।” वो कहती हैं कि “मेरा मकसद होता है दौड़ को किसी भी हालत में पूरा करना। मुझे चीजें अधूरी छोड़ना पसंद नही है।”

टीम न्यूजपोस्ट की तरफ से ज्योत्सना को ढेर सारी शुभकामनाऐं।