11 अगस्त को रिलीज हुई अक्षय कुमार की फिल्म ‘टायलेट एक प्रेमकथा’ ने बाक्स आफिस पर दो सप्ताह का सफर पूरा कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को समर्पित इस फिल्म ने इन दो सप्ताह में 124 करोड़ का सफर करके 2017 में रिलीज फिल्मों में बिजनेस के मामले में टाप पोजीशन बना ली है। बाहुबली 2 को छोड़कर 2017 मे रिलीज फिल्मों में कमाई के मामले में ये फिल्म कमाई के मामले में दूसरे नंबर पर आ गई है। इससे आगे 137 करोड़ की कमाई के साथ शाहरुख खान की ‘रईस’ इस मुकाबले में अब भी नंबर वन पर विराजमान है।
कमाई के मामले में इस फिल्म ने फरवरी में रिलीज फिल्म ‘जॉली एलएलबी 2’ को भी पीछे छोड़ दिया है, जिसने 117 करोड़ की कमाई की थी। अक्षय कुमार की सौ करोड़ से ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में प्रभुदेवा द्वारा संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्म रावड़ी राठौड़ (137 करोड़) के बाद ये अक्षय कुमार की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में भी दूसरे नंबर पर पंहुच चुकी है। इस साल सौ करोड़ के क्लब में आईं दूसरी फिल्मो मे 119 करोड़ की कमाई करने वाली सलमान खान की फिल्म ‘ट्यूबलाइट’ और 103 करोड़ की कमाई के साथ राकेश रोशन की ‘काबिल’ और ‘बद्रीनाथ की दुल्हनियां’ (117 करोड़) रही हैं।
अश्विनी अयैर तिवारी के निर्देशन में बनी बरेली की त्रिकोणीय प्रेमकथा ‘बरेली की बर्फी’ के लिए बाक्स आफिस पर एक सप्ताह का सफर अच्छा रहा। 14 करोड़ के बजट वाली ये फिल्म पहले ही सप्ताह में अपनी लागत वसूल करने में कामयाब रही और पहले सप्ताह में इसकी कमाई 18 करोड़ से ज्यादा रही। रिलीज के पहले दिन फिल्म की शुरुआत सुस्त हुई थी और कमाई सिर्फ 2.50 करोड़ थी, लेकिन शनिवार को 3.50 करोड़ और रविवार को 5 करोड़ से ज्यादा की कमाई के बाद फिल्म की कमाई 10 करोड़ से ज्यादा हो गई। सोमवार से गुरुवार के बीच भी फिल्म का बिजनेस अच्छा रहा। 18 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर चुकी इस फिल्म को दर्शकों की सकारात्मक प्रतिक्रियाओं की मदद मिली।
दिलचस्प सीन और बेहतरीन संवादों वाली इस लव ट्रेंगल फिल्म की त्रिकोणीय प्रेमकथा में एक कोण पर आयुष्मान खुराना, तो दूसरे कोण पर राजकुमार राव थे। इनके बीच कीर्ति सेनन थीं। इस फिल्म के रिलीज से पहले ये तीनों ही कलाकार फ्लाप फिल्मो की मार से त्रस्त थे। आयुष्मान खुराना की यशराज में परिणीती चोपड़ा के साथ बनी फिल्म मेरी प्यारी बिंदू फ्लाप रही थी, तो राजकुमार राव को बहन होगी तेरी से झटका लगा था और राब्ता में सुशांत सिंह राजपूत के साथ जोड़ी बनाकर कीर्ति सेनन को नुकसान उठाना पड़ा था। अब बरेली की बर्फी की बाक्स आफिस पर सफलता ने इन तीनो को मिठास का अहसास भर दिया।
अगले शुक्रवार (1 सितंबर) को रिलीज होने जा रही मिलन लथूरिया की फिल्म बादशाहो को सेंसर बोर्ड ने पास कर दिया है। सेंसर से इस फिल्म को यूए सार्टिफिकेट दिया गया है और फिल्म में किसी तरह की कोई कांटछांट नहीं हुई है। पहलाज निहलानी को सेंसर बोर्ड के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद ये बालीवुड की पहली कमर्शियल फिल्म है, जिसे सेंसर बोर्ड से क्लीयर किया गया है। प्रसून जोशी के चेयरमैन बनने के बाद बिना किसी परेशानी के ये फिल्म पास कर दी गई।
इमरजेंसी के बैकड्राप पर बनी इस मसालेदार फिल्म की कहानी राजस्थान की है, जहां 6 लोगों की एक गैंग सरकारी खजाने की लूट करती है। इस गैंग में अजय देवगन, इलियाना डिक्रूज, ईशा गुप्ता, इमरान हाश्मी, संजय मिश्रा और विद्युत जंवाल है। फिल्म में नुसरत फतह अली खान की कव्वाली मेरे रश्के कमर… का रीमिक्स वर्शन है, जो अजय देवगन और इलियाना पर फिल्माया गया है। इमरान हाश्मी और ईशा गुप्ता की जोड़ी पर यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी फिल्म दीवार में शशि कपूर और परवीन बाबी पर फिल्माए गए गाने कह दूं तुम्हें… या चुप रहूं… के नए वर्शन को फिल्माया गया है। साथ ही फिल्म में सनी लियोनी के साथ इमरान हाश्मी का आइटम सांग है।
मिलन लथूरिया के निर्देशन में बनी इस फिल्म का निर्माण टी सीरिज ने किया है। ये इस साल रिलीज होने वाली अजय देवगन की पहली फिल्म है। इसके बाद दीवाली पर उनकी दूसरी फिल्म गोलमाल 4 रिलीज होगी, जिसका निर्देशन रोहित शेट्टी ने किया है।
कमेटी के करोड़ों रुपये लेकर फरार होने के मामले की जांच शहर कोतवाली के साथ ही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम भी करेगी। एसएसपी ने एसपी क्राइम के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया है। इस टीम में तेज-तर्राक इंस्पेक्टर व दारोगाओं को शामिल किया गया है।
22 अगस्त को जीआईजी मॉल के संचालक सविंदर सिंह निवासी कनखल कमेटी के करोड़ों रुपये लेकर फरार हो गया था, जबकि उसकी पत्नी गुरप्रीत सिंह उर्फ निशी को गिरफ्तार कर लिया गया था। शहर कोतवाली पुलिस ने सविंदर व गुरप्रीत के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था, लेकिन आरोपी का सुराग नहीं लग सका। आरोपी का मोबाइल भी 22 अगस्त की शाम से ही बंद है।
वहीं स्थानीय लोगों की बढ़ती शिकायतों व आक्रोश को देखते हुए एसएसपी कृष्ण कुमार वीके ने एसपी क्राइम प्रकाश चंद के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया है। एसआईटी में क्राइम इन्वेस्टिगेशन यूनिट, सिविल पुलिस व विभिन्न अनुभागों में तैनात तेज तर्राक बारह पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया है। एसआईटी को शहर कोतवाली पुलिस का सहयोग करेगी। आरोपी की तलाश में पुलिस टीमें उप्र, दिल्ली, देहरादून समेत अन्य स्थानों में भेजी जा रही हैं, जिसमें एसआईटी के सदस्य भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि एसआईटी को इस बावत निर्देश दिए गये हैं कि सबसे पहले वे इसका पता लगाएं कि आरोपी के पास किन-किन लोगों का आना जाना था। लोगों की सूची तैयार कर उनसे पूछताछ की जाए।
पुलिस ने तीन बैंकों को नोटिस जारी कर गुरप्रीत सिंह व सविंदर के बैंक खाते में मौजूद नकदी के बारे में जानकारी देने को कहा है। बता दें कि सविंदर का सुराग नहीं लगने के बाद शहर कोतवाली पुलिस ने कनखल स्थित मकान व जीआईजी मॉल खंगाला था। यहां से पुलिस ने प्रॉपर्टी से संबंधित बैनामे, तीन अकाउंट खाते आदि दस्तावेज बरामद किए थे। बैंक पासबुक अपडेट नहीं होने के कारण पुलिस को वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है।
इस पर पुलिस ने आईडीबीआइ, पीएनबी व एक्सिस बैंक के प्रबंधक को पत्र लिखकर बैंक में मौजूद धनराशि के बारे में जानकारी देने की बात कही है। चौकी प्रभारी रमेश सैनी ने बताया कि अवकाश होने के चलते खाते में नकदी के बावत जानकारी नहीं मिल सकी है। सोमवार को जानकारी मिलने की उम्मीद है।उन्होंने बताया कि कार, स्कूटी व बुलेट का भी पता चला है।
नगर के ऐतिहासिक नंदा देवी महोत्सव की शुरुआत कदली वृक्ष आमंत्रण यात्रा के साथ प्रारंभ हो गई। शनिवार की सुबह कदली खामों की शोभायात्रा पूरे नगर का भ्रमण करते हुए नंदा देवी मंदिर पहुंची। छोलिया टीम की आकर्षक प्रस्तुति ने यात्रा में चार चांद लगाए। नंदा देवी मंदिर से गाजे-बाजे व नगाड़े-निशान के साथ कदली वृक्ष आमंत्रण यात्रा शुरू हुई।
मां नंदा-सुनंदा के जयकारों के साथ निकली धार्मिक व सांस्कृतिक यात्रा रायस्टेट स्थित माधवकुंज निवास पहुंची। जहां पं. विपिन चंद्र पंत के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राजा की भूमिका निभा रहे कैलाश बिनवाल, विधायक करन माहरा, नंदा देवी समिति अध्यक्ष हरीश साह आदि ने पूजा-अर्चना और अनुष्ठानों के साथ विधिवत कदली वृक्षों को आमंत्रित किया।
रविवार से नंदा-सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण शुरू होगा।
28 अगस्त को अपराह्न जूनियर, सीनियर स्कूल वर्ग की चित्रकला, ऐपण प्रतियोगिता होगी, सायं बाल कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी जाएगी। 29 को ब्रह्म मुहूर्त में नंदा-सुनंदा की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। कदली आमंत्रण यात्रा में कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष मोहन नेगी, विमल भट्ट, एलएम चंद्रा, पंकज साह, किरन साह, जयंत रौतेला, यतीश रौतेला, सतीश पांडे सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
विश्व के अनेक देशों से बीएपीएस स्वामीनारायण सम्प्रदाय के 200 से अधिक पूज्य संत, साधक एवं सेवक परमार्थ निकेतन आश्रम पधारे। परमार्थ निकेतन के दिव्य प्रांगण में परमार्थ गुरुकुल के ऋषि कुमारों एवं आचार्यगणों ने सभी संतों का भव्य स्वागत एवं अभिनन्दन किया।
अक्षरधाम स्वामीनारायण सम्प्रदाय के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आध्यात्मिक पूज्य संत त्याग वल्लभ स्वामी जी महाराज ने अपने 200 से अधिक संतों के साथ परमार्थ निकेतन आश्रम के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज से भेंट की। इस दौरान पूज्य स्वामी ने 30 वर्ष पूर्व सन 1987 के दिव्य क्षणों को याद करते हुए कहा कि पूज्य त्याग वल्लभ स्वामी महाराज से हुई भेंट की पावन स्मृतियां शनिवार भी हृदयपटल पर विद्यमान है। इस संस्थान ने पूरे विश्व में अक्षरधाम मन्दिर दिल्ली के अलावा 110 मन्दिरों का निर्माण किया है।
वहीं स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने सभी पूज्य संतों का अभिनन्दन करते हुए कहा कि भारत ही नहीं पूरे विश्व के वंदनीय संत त्याग वल्लभ स्वामी महाराज ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज कल्याण के लिये समर्पित कर दिया। उन्होंने समाज में ही स्वामीनारायण के दर्शन करते हुये भारत ही नहीं पश्चिम की धरती पर अनेक शिक्षण संस्थान, चिकित्सालय एवं सेवा मन्दिरों की स्थापना की है। इस संस्थान के उद्देश्य इतने महान है कि यहां का हर संत एक चलता फिरता मन्दिर है।
वहीं शनिवार पूरे संसार से पर्यटक केवल ताजमहल देखने ही भारत नहीं आते बल्कि अक्षरधाम की भव्यता, दिव्यता एवं पवित्रता से प्रभावित होकर आते है। स्वामी जी ने कहा कि भारत केवल इसलिये महान नहीं है कि उसके पास ताजमहल है। लाल किला, जुहू चैपाटी, कश्मीर की वादियां, मां गंगा और हिमालय है बल्कि भारत के पास गंगा की पवित्रता धारण करने वाले, हिमालय की ऊंचाई और सागर की गहराई अपने जीवन में समाने वाले संत विद्यमान हैं, सादगी, सात्विकता, सरलता और सहजता के साथ समाज में ही प्रभु का दर्शन करने वाले साधक एवं सेवक है।’
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आध्यात्मिक पूज्य संत स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं पूज्य संत त्याग वल्लभ स्वामी जी महाराज ने अनेक वैश्विक समस्याओं पर चिंतन किया तथा समाज कल्याण के लिये दोनों संस्थाओं ने मिलकर कार्य करने पर प्रतिबद्धता दिखायी।
चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के मार्गदर्शन में स्वामीनारायण संस्थान के सभी संत, सेवक एवं साधकों ने विश्व में शुद्ध जल की उपलब्धता होती रहे। इस हेतु वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी में सहभाग किया। सभी ने मिलकर कर संकल्प लिया कि अपने-अपने संस्थानों, क्षेत्रों एवं परिसर से स्वच्छ भारत मिशन के लिये कार्य करेंगे।
चिदानन्द महाराज ने रुद्राक्ष सा पवित्र जीवन जीने वाले संतों को रुद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया। तत्पश्चात परमार्थ गंगा तट पर होने वाली सायंकालीन दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फूलों के बुके को रिसाइकिल कर धूप और अगरबत्ती निर्माण को प्रोत्साहित कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सार्थक पहल की है। मुख्यमंत्री ने फूलों के बुके को भी पर्यावरण संरक्षण और रोजगार सृजन का जरिया बना दिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने पुराने हो रहे बुके का सदुपयोग करके एक संदेश भी दिया है।
मुलाकात के दौरान बुके देकर अभिवादन, एक सामान्य शिष्टाचार बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बुके की जगह बुक देने का रिवाज प्रचलित किया है। जिसके बाद से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र अब किताब भेंट कर ही अभिवादन करते है, हालांकि मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री से मिलने वाली अधिकांश लोग अब भी बुके भेंट करते है। इसके उचित उपयोग की चिंता मुख्यमंत्री को रहती है।
मुख्यमंत्री को जितने भी बुके दिए जाते हैं, पुराने होने पर उन्हें कूडे के ढेर में फेंकने के बजाय पुराने बुके को देहरादून स्थित नारी निकेतन को सौंप दिया जाता है। नारी निकेतन में रह रही संवासिनियां इन बुके का सदुपयोग करती हैं और इन्हें रिसाइकिल कर अगरबत्ती और धूप बनाने के काम में प्रयोग करती है। इस तरह एक बुके का न सिर्फ सदुपयोग होता है बल्कि इसके द्वारा सूक्ष्म रोजगार का सृजन भी होता है।
जिला प्रोबेशन अधिकारी(डी.पी.ओ.)मीना बिष्ट ने मुख्यमंत्री की इस पहल का धन्यवाद देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उन्हें भेंट किये जाने वाले बुके, नारी निकेतन को देने व रिसाइकिल करने का यह कदम उठाया है। इस पहल से वहां रह रही संवासिनियों का न सिर्फ मनोबल बढ़ा है, बल्कि धूप और अगरबत्ती बनाने के लिए कच्चा माल भी आसानी से उपलब्ध हो रहा है। इस पहल से महिलाएं कम लागत पर अगरबत्ती व धूप निर्माण कर पा रही हैं।
सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन यह एक सच हैं। एक 20 साल का लड़का बिना किसी ट्रेनिंग,कोचिंग या क्लास के केवल टीवा और यूट्यूब के विडियो देखकर इतना अच्छा डांस कर सकता है कि वह डांस इंडिया डांस और डांस प्लस जैसे शो के आॅडिशन क्लियर कर ले।
ऐसा ही एक डांसर है 20 साल का अनूप परमार। भारत के आखिरी गांव माणा(बद्रीनाथ) का रहने वाला अनूप यूं तो फ्रीस्टाईल डांसिंग करता है।लेकिन हाल ही में अनूप ने अपना ”गढ़वाली गाना मेरी गाजिणा” का विडियो बनाया और उसको यूट्यूब पर डाला है।इन गाने के डांस मूव्स देखकर आप नहीं कह सकते कि यह बिना ट्रेनिंग का डांसर हैं।
अनूप से हुई न्यूजपोस्ट टीम की बातचीत में अनूप ने बताया कि ”वह हमेशा से डांस करना चाहते थे और दुनिया के बेस्ट डांसर लेस टिव्ंनस को अपनी प्रेरणा मानते हैं”।अनूप बताते हैं कि ‘मुझे डांस सीखने के लिए यूट्यूब एक माध्यम मिला मैं उसमें डांस के बारे में जब भी सर्च करता तो हर बार लेस टिव्नस दिखते,फिर धीरे-धीरे मैं उनके डांसिंग एटिट्यूड को सीखता गया और अपने स्टेप खुद बनाता गया’।अनूप कहते हैं कि ”मैं भविष्य में अपने गांव माणा को अपने डांस के माध्यम से लोगों के बीच मशहूर करना चाहता हूं क्योंकि माणा एक ऐसा गांव जिसके बारे में शायद अभी भी लोगों को ज्यादा पता नहीं होगा,ऐसे में अगर मैं अपने स्तर पर अपने गांव और अपने राज्य उत्तराखंड के लिए कुछ कर पाउं तो इससे बड़ी उपलब्धि मेरे लिए कुछ नहीं होगी”।
आज से 5 साल पहले अनूप ने डांस इंडिया डांस शो देखकर अपना हूनर पहचाना।पहले उन्होंने अपने घरवालों से डांस क्लास ज्वाईन करने की बात कहीं लेकिन घर वालों के मना करने पर वह टीवी में डांस के अलग-अलग शो देखकर डांस सीखने लगे। खुद डांस करने के साथ-साथ वह अपने ही गांव के दो और बच्चों को भी डांस सिखाते हैं।अनूप कहते हैं कि ”मैं खुद इतना परफेक्ट नहीं हूं कि किसी को सीखा सकूं लेकिन यह इन दोनों बच्चों में भी डांस को लेकर जुनून हैं,इसलिए मैं इन्हें डांस सिखाता हूं”।अनूप बताते हैं कि ”भले ही पहले मेरा परिवार मुझे मेरे डांस में सपोर्ट नहीं करता था लेकिन मेरी काबलियत देखकर आज मेरा परिवार और मेरे दोस्त सब मुझे सर्पोट करते हैं”।
आज अनूप खुद अपने डांस मूव्स और अपने स्टेप बनाते हैं और उसे लोगों तक पहुंचाते हैं।अनूप का मानना है कि ”एक छोटी सी जगह से कुछ अलग करना अपने आप में बड़ी बात हैं लेकिन तब तक संर्घष करते रहेंगे जब तक उन्हें उनका मुकाम नहीं मिलता”।टीम न्यूज़पोस्ट की तरफ से अनूप को आने वाली सभी चुनौतियों के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।
यहां देखें अनूप और उनके स्टूडेंट अर्पित का डंस विडियोः
बद्रीनाथ हाईवे के भूस्खलन वाले स्थानों का ट्रीटमेंट अब हाइड्रो सीडिंग सिस्टम से किया जाएगा। ट्रायल के तौर पर बद्रीनाथ हाईवे पर मैठाणा भूस्खलन जोन में इस सिस्टम से ट्रीटमेंट कार्य शुरु भी कर दिया गया है। हाईवे के अन्य भूस्खलन क्षेत्रों में भी हाइड्रो सीडिंग सिस्टम से भूस्खलन की रोकथाम की जाएगी।
बद्रीनाथ हाईवे पर 21 ऐसे भूस्खलन व हैं जो बारिश में एनएच तथा बीआरओ के लिए सिर दर्द बन जाता है। आय दिन इन स्थानों पर मार्ग अवरुद्ध हो जाना एक सामान्य सी प्रक्रिया हो गई है। मैठाणा में वर्ष 2013 की आपदा के बाद से लगातार भूस्खलन हो रहा है। यहां करीब साढ़े तीन सौ मीटर तक हाईवे दस मीटर तक धंस गया है।
वहीं, वर्ष 2016 में राज्य सरकार ने भूस्खलन क्षेत्रों के ट्रीटमेंट का कार्य सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) से हटाकर लोक निर्माण विभाग (एनएच) को दे दिया था। बीते मई माह को एनएच की ओर से भूस्खलन का ट्रीटमेंट कार्य इटली की मेगा-फेरी कंपनी को दिया गया। कंपनी के इंजीनियरों द्वारा भूस्खलन क्षेत्र में वायो इंजीनियरिंग सिस्टम के तहत हिल साइड करीब दो मीटर तक क्रेटवाल (जाली वाली दीवार) लगाई जा रही है। साथ ही भूस्खलन से कमजोर पड़ी पहाड़ी पर हाइड्रो सीडिंग सिस्टम के जरिए हरी घास और विभिन्न प्रजाति के पौधों के बीजों का रोपण किया जा रहा है।
परिवहन मंत्रालय देहरादून के इंजीनियर रजत पांडे ने बताया कि हाइड्रो सीडिंग सिस्टम के तहत पहाड़ी पर ऐसी प्रजाति के पौधों का बीज बोया जाता है, जिनकी जड़ें लंबी होती हैं। इससे मिट्टी नीचे की ओर नही खिसकती है।
क्या है हाइड्रो सीडिंग सिस्टम
केमिकल के साथ स्थानीय प्रजाति के पौधों के बीज, खाद, फर्टिलाइजर, बूसा और हरी घास मिला कर एक मशीन में डाले जाते हैं। बाद में इस मिश्रण को स्प्रे से कमजोर पहाड़ी पर डाला जाता है। करीब एक सप्ताह के भीतर तेजी से पौधे और हरी घास उगनी शुरु हो जाती है। इससे एक माह के भीतर पहाड़ी पर हरियाली आ जाती है। इसके बाद मिट्टी से भूस्खलन थम जाता है। साथ ही बारिश का पानी भूमिगत होने के बजाय सीधे नीचे की ओर बहना शुरु हो जाता है।
पंचेश्वर बांध भारत-नेपाल के बहुत बड़े इलाके की ऊर्जा और सिंचाई की जरुरतों को भले ही पूरी करे, लेकिन हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। भारत-नेपाल के बीच सरकार दुनिया के सबसे बड़े बांध को बनाने की योजना पर लगातार आगे बढ़ रही है। ऐसे में ये सवाल उठना लाज़मी है कि टिहरी से तीन गुना बड़ी पंचेश्वर बांध की झील किस तेजी से पर्यावरण को प्रभावित करेगी।
पंचेश्वर बांध को लेकर जिस प्रकार से बैठकों में विरोध का स्वर देखने को मिला यह भी चिंता का विषय है। बांधों के प्रभाव का बारीक अध्ययन करने वालों की मानें तो इससे जहां पहाड़ों में भू-स्खलन की घटनाओं में बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगा। वहीं, इस झील से पैदा होने वाले मानसून से बादल फटने की संभवनाएं बनी रहेंगी। पहाड़ों में साल भर नमी और कोहरे की मार झेलनी पड़ सकती है। अतिसंवेदनशील ज़ोन फाइव में प्रस्तावित इस बांध से जहां भूकम्प के झटकों में इजाफा होने की आशंका है, वहीं 116 वर्ग किलोमीटर की महाझील कई खतरों को एक साथ आमंत्रित करने के लिए काफी है।
वहीं प्रस्तावित पंचेश्वर बांध ऊंचाई के लिहाज से विश्व का सबसे ऊंचा बांध होगा और 311 मीटर ऊंचा ये बांध दुनिया के उस हिस्से में प्रस्तावित है, जहां दुनिया की सबसे युवा पर्वत श्रृंखला है। जानकारों की मानें तो बांध बनने से हिमालय की तलहटी में 116 वर्ग किलोमीटर एरिया में पानी का भारी दबाव बनेगा। इस इलाके में पहले से ही भू-गर्भीय खिंचाव बना हुआ है, जिस कारण भारतीय प्लेटें यूरेशिया की ओर लगातार खिंच रही हैं। धरती के गर्भ में हो रही इस हलचल में मानवीय हस्तक्षेप जले में नमक का काम कर सकता है।
पर्यावरण मामलों के जानकार प्रकाश भंडारी ने बताया कि इतने भारी दवाब से कभी भी पहाड़ की धरती कांप सकती है। इसका खामियाज़ा पहाड़ों में रहने वालों के साथ ही मैदानी इलाकों को भी भुगतना पड़ेगा।