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एसएसपी ने लिया दीपावली के अवसर पर यातायात एवं सुरक्षा व्यवस्था का जायजा

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दीपावली/धनतेरस पर्व के अवसर पर शहर की यातायात एवं सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया गया। जिसमें एसएसपी ने  प्रिंस चौक, सहारनपुर चौक, पटेलनगर से बल्लीवाला से बल्लूपुर चौक तक, बल्लूपुर से बिंदाल पुल से घंटाघर तक यातायात एवं सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया गया।

एसएसपी ने समस्त थाना प्रभारियों को त्यौहार के दौरान सतर्क एवं भ्रमणशील रहनें एवं अपने-अपने क्षेत्रों में यातायात व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने के लिए निर्देशित किया गया। चेकिंग के दौरान विधानसभा तिराहे पर नियुक्त कांस्टेबल दीपक कुमार को ड्यूटी के दौरान अनुपस्थित मिलने पर एसएसपी ने तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया।

इसके अतिरिक्त ड्यूटी के दौरान पूरी लगन और मेहनत के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करने वाले पुलिसकर्मियों उ.नि. दयाल सिंह, का. आशा लाल, का. अमित रावत हॉक मोबाइल, का. जितेंद्र आई.आर.बी.), हे.का. भीम सिंह, का. प्रमोद प्रभात कट, उ.नि. दीवान लाल, का. खलील जावेद, का. वीरेंद्र हॉक मोबाइल को नगद पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।

तलवार की सिक्वल बनाएंगी मेघना गुलजार?

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आरुषि हत्याकांड में इलाहबाद हाईकोर्ट द्वारा आरुषि के माता-पिता राजेश तलवार और नुपूर तलवार को रिहा करने के फैसले के बाद इस कांड में नया मोड़ आ गया है। इस कांड पर फिल्म तलवार बनाने वाली निर्देशिका मेघना गुलजार के हवाले से खबर आ रही है कि वे इस कांड में आए इस मोड़ के बाद अपनी फिल्म का सिक्वल बनाने पर विचार कर रही हैं।

सूत्रों का कहना है कि मेघना गुलजार अब आरुषि के माता-पिता के एंगल से फिल्म का सिक्वल बनाना चाहती हैं, जिसमें बेटी को खोने और बेटी के कत्ल के आरोप में जेल की सजा को लेकर कहानी होगी। सूत्रों का कहना है कि मेघना ने कहानी के खाके पर काम करना शुरु कर दिया है। ये भी संभावना है कि मेघना गुलजार इस योजना को लेकर आरुषि के माता-पिता से मुलाकात करने जा सकती हैं।

मेघना गुलजार की फिल्म में इस कांड में नौकर और उसके दोस्तों को आरुषि की हत्या के लिए जिम्मेदार माना था, जबकि इसी विषय को लेकर बनी मनीष गुप्ता की फिल्म में आरुषि के माता-पिता को हत्या का दोषी माना गया था। मेघना की फिल्म में इस कांड की जांच करने वाली एजेंसियों के अधिकारियों की आपसी तनातनी को भी दिखाया गया था।

इरफान ने इस फिल्म में जांच करने वाली एजेंसी के बड़े अधिकारी का रोल किया था।

12 जनवरी को अनुराग कश्यप की फिल्म मुक्केबाजी

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अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी फिल्म ‘मुक्केबाज’ को अगले साल 12 जनवरी को रिलीज करने का फैसला हुआ है। पहले ये फिल्म 10 नवंबर को रिलीज होने जा रही थी, लेकिन इस दिन तीन और फिल्मों के रिलीज को देखते हुए इसकी रिलीज को स्थगित करने का फैसला किया है।

अनुराग की ये फिल्म इस साल मुंबई फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली है। ये फिल्म यूपी के एक देहात की है, जहां का एक नौजवान मुक्केबाजी में देश का नाम रोशन करने के लिए एक मौका पाने का संघर्ष करता है। फिल्म की मुख्य भूमिकाओं में विनीत कुमार और जिमी शेरगिल हैं।

विनीत कुमार ने इससे पहले अनुराग की फिल्म ‘गैंग आफ वासेपुर’ में काम किया है। आनंद एल राय और ईरोज कंपनी इस फिल्म के साथ सहनिर्माता के तौर पर जुड़ी हैं। इससे पहले अनुराग की बतौर निर्देशक फिल्म राघवन 2.0 थी, जिसमें नवाजुद्दीन की प्रमुख भूमिका थी और बाक्स आफिस पर ये फिल्म बुरी तरह से फ्लाप साबित हुई थी।

रेस 3 में निगेटिव नहीं होगा सलमान का किरदार

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सलमान खान की नई फिल्म रेस 3 की शूटिंग कुछ दिनों के लिए टाली जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, इसकी वजह फिल्म में उनके किरदार में निगेटिव शेड्स हैं, जिनको करने से सलमान ने मना कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि सलमान ने फिल्म का निर्देशन करने जा रहे रिमो डिसूजा और निर्माता रमेश तौरानी को साफ तौर पर कह दिया है कि वे फिल्म में अपने किरदार में निगेटिव होने को स्वीकार नहीं करेंगे।

कहा जाता है कि सलमान के दखल के बाद उनके किरदार पर फिर से काम शुरु किया जा रहा है और इस वजह से फिल्म की शूटिंग का पहला शेड्यूल शुरु होने में देरी हो सकती है।

हालांकि रमेश तौरानी इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि तय समय पर अपने किरदार के पाजिटिव सीनों के साथ सलमान शूटिंग शुरु कर दें। ये भी मुमकिन है कि पहले शेड्यूल में सलमान और उनके साथ काम करने जा रहीं जैक्लीन फर्नांडिज पर एक गाना फिल्मा लिया जाए। इस फिल्म में इन दोनों के अलावा बाबी देओल को साइन किया गया है।

रमेश तौरानी ने रेस 3 में बाकी किसी कलाकार का नाम तय होने की खबर को खारिज कर दिया है।

उत्तराखण्ड के दीपक का एशिया कप में चयन

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रणजी ट्रॉफी में दिल्ली की ओर से विस्फोटक बल्लेबाजी कर रहे रामनगर निवासी अनुज रावत ने सफलता की ओर एक और कदम बढ़ाया है। उनका चयन 9 से बीस 20  नवंबर को मलेशिया में होने वाले एशिया कप के लिए इंडिया की अंडर-19 टीम में हुआ है।

लेफ्ट हैंड का यह बल्लेबाज इन दिनों रणजी ट्रॉफी में दिल्ली की ओर से खेलते हुए दो मैचों में अभी तक 71 और 74 रनों की शानदार पारी खेल चुका है। इंडिया की अंडर 19 टीम में आ जाने से उसके पिता वीरेंद्र पाल सिंह रावत, मां आशा रावत, भाई प्रशांत ने कहा कि अनुज अपनी मेहनत के बल पर अंडर 19 में भी अपने बल्ले का कमाल दिखाएगा। 

उन्होंने बताया कि भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली के कोच एवं द्रोणाचार्य सम्मान से नवाजे गए राजकुमार शर्मा उसके खेल पर बराबर नजर रखे हुए हैं। क्रिकेट एसोशिएशन ऑफ उत्तराखंड के जिला सचिव दीपक मेहरा एवं मीडिया प्रभारी कमल पपनै आदि ने कहा कि अनुज एशिया कप में उत्तराखंड ही नहीं देश का नाम रोशन करेंगे।

चीन और भारत की सीमा पर मिट्टी के जल रहे दीये

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सीमांत के बाजारों में चीन निर्मित दीये गायब हैं। सभी बाजारों में मिट्टी के दीये बिक रहे हैं। बाजारों में मिट्टी के दीयों की मांग भी काफी अधिक है। पर्वतीय जनपद होने के कारण यहां पर मिट्टी के दीये नहीं बनते हैं। बिकने के लिए दीये बरेली से लाए जाते हैं। विगत कुछ वर्षो से मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ने लगी थी। इस वर्ष तो दीयों की मांग सबसे अधिक है। इसी के चलते पिथौरागढ़ में स्थानीय लोगों सहित बाहर से पहुंचे युवा और बच्चे मिट्टी के दीये बेच रहे हैं। मिट्टी के ही रंगे दीयों के स्थान पर ग्राहक मिट्टी के दीये मांग रहे हैं। नगर के प्रमुख सिमलगैर बाजार में लगभग दो दर्जन स्थानों पर मिट्टी के दीये बिक रहे हैं।

सिमलगैर बाजार में मिट्टी के दीये बेच रही महिला तराना और उसके बच्चे बताते हैं कि नगर में बरेली से लाए गए दीये बिक रहे हैं। पहाड़ों में दीये नहीं बनते हैं जिसके चलते मैदान से पहुंचे दीये बेचे जा रहे हैं। नगर में भी लगभग दो दर्जन से अधिक स्थलों पर दीये बेचने वाले बताते हैं कि सुबह से लेकर सायं तक दीये खरीदने वाले पहुंच रहे हैं। दीपावली तक दीयों की अच्छी बिक्री होने की आस बनी है। बीते वर्षो से इस बार दीयों की बिक्री अधिक हो रही है। वहीं मिट्टी के दीये खरीद रही महिलाओं ने बताया कि परंपरा के अनुसार दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं। महिलाओं ने चीन के दीयों के बारे में अनभिज्ञता जताई। उनका कहना था कि उनके घरों पर हमेशा मिट्टी के दीये जलते हैं। दीपावली पर्व में रविवार एकादशी से दीये जलने लगे हैं जो भैयादूज तक जलाए जाएंगे। साल में अन्य पर्वो के लिए भी दीपावली में ही मिट्टी के दीये खरीद कर रख लेती हैं।

मोबाइल पर मनाएं अपनी दीपावली को खास

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दीपावली के पावन पर्व पर दीयों की जगमगाती रोशनी के बीच आतिशबाजी का अपना अलग ही मजा होता है। फुलझड़ी और अनार की जगमग रोशनी और पटाखों की आवाज के बीच दिवाली (दीपावली) का उल्लास दोगुना हो जाता है लेकिन कोर्ट के आदेश और प्रदूषण के बढ़ने का खतरा इस रंग में भंग की तरह है। इसके बाद भी आप इसका लुत्फ उठा सकते हैं। खास बात यह कि इसके लिए पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ेगा। मोबाइल पर आॅनलाइन एक टच के बाद आप आतिशबाजियों का मजा ले सकते हैं। 

मोबाइल पर मनाएं अपनी दीपावली को खास
आजकल लगभग हर काम मोबाइल पर ही होता है। एप्लीकेशंस की दुनिया ने हमारी दुनिया बदल दी है। आपकी दीपावली को ओर सेफ, मजेदार, शानदार, लजीज और यादगार बनाने के लिए कई मोबाइल ऐप हैं। रंगोली बनाने से लेकर लक्ष्मी पूजन तक, हर काम के लिए मोबाइल ऐप हैं। ऐसी ही कुछ ऐप्स के बारे में हम बता रहे हैं जिन्हें गूगल प्ले स्टोर से फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है।

दिवाली क्रैकर 
आप पटाखे भी चलाएंगे और प्रदूषण भी नहीं होगा। इस ऐप में आप वर्चुअल पटाखे चला सकते हैं। आवाज सुनकर अहसास ही नहीं होगा कि पटाखा मोबाइल पर चला है। ऐप में आप कई तरह के पटाखे चला सकते हैं। रॉकेट से लेकर चकरी तक यहां सबकुछ है। बच्चों को ऐप बहुत पसंद आएगी। वे असल पटाखे भी चला सकेंगे और उन्हें कोई नुकसान भी नहीं होगा। फोन को दिवाली टच देने के लिए इसमें मैजिक टच वॉलपेपर भी हैं। इसकी साथ ही खुशियों को बांटने वाले दीपावली के त्यौहार पर अब आपको फॉरवर्ड किए मेसेज से बधाई देने की जरूरत नहीं है। प्ले स्टोर पर दर्जनों ऐसी एप्लीकेशन मौजूद हैं, जिनके जरिए आप अपने दोस्तों रिश्तेदारों को हिंदी और अंग्रेजी के अलावा कई दूसरी भाषाओं में भी बधाई दे सकते हैं। खास बात यह कि एप्लीकेशन में आप संदेश भेजने का समय भी निर्धारित कर सकते हैं। मतलब मेसेज अभी सेट कर लें और आपके दिए समय पर खुद ही चला जाएगा।

पल्टन बाजार स्थित व्यापारी अनिल गोयल ने बताया कि, “दिवाली कभी भी पूजा के बिना पूरी नहीं हो सकती लेकिन पूजा की विधि के लिए धार्मिक किताबें खंगालने की जरूरत नहीं है, मोबाइल में इसके लिए भी ऐप उपलब्ध हैं। एप में पूजा के पूरे सामान की लिस्ट भी है, इसमें भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की शानदार तस्वीरें भी हैं, पूजा करने के बाद मोबाइल ऐप में ही आप भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की आरती भी सुन सकते हैं।”

इको फ्रैंडली इलेक्ट्रोनिक पटाखे भी हैं मौजूद
दीपावली आते ही मन में साज सजावट और धमाकेदार पटाखों की ही तस्वीर बनती है। दीपावली रंग बिरंगी लाइट्स के साथ जश्न का त्यौहार है। इस बीच खुशियों के इस महौल में शोर-शराबे से भरे बम पटाखे भी जमकर कानों में गूंजते हैं लेकिन अब इसका भी उपाय मार्केट में आ गया है।

तकनीकि के इस दौर में इलेक्ट्रॉनिक पटाखों ने मार्केट में कदम रखा है, जो न सिर्फ धुंए और बेहिसाब शोर शराबे से निजात देते हैं बल्कि इको फ्रैंडली भी है। बिजली से चलने वाले यह पटाखे लाइट एमिटिंग डायोड (एलईडी) की मदद से चिंगारी और साउंड सर्किट के जरिए हूबहू पटाखों जैसी ही आवाज देते हैं। इलेक्ट्रॉनिक क्रैकर्स का इस्ताल न सिर्फ पर्यावरण के लिए बेहतर है बल्कि इसके इस्तमाल से जलने का भी खतरा नहीं है। हालांकि इनकी कीमत अभी आम पटाखों से थोड़ी ज्यादा है लेकिन अभी भी लोग इन्हें काफी पसंद कर रहे हैं।

देवभूमि में जल्द गूंजेंगा बीट्ल्स का गीत संगीत

तो बहुत जल्द आप अपने ज़माने के मशहूर बैंड बीटल्स के संगीत का आनंद ऋषिकेश में उठा सकेंगे। ऋषिकेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां बीटल्स फेस्टिवल आयोजित किया जाएगा। आपको बता दें कि 60 और 70 दशक का मशहूर बैंड बीटल्स की पहचान ऋषिकेश स्तिथ चौरासी कुटिया से ही हुई थी। यही वो जगह है जहां से उन्होंने अपने प्रसिद्ध गीत लिखे और तब से ये जगह पश्चमी पर्यटकों की जुबान पर है। ऐसे में यहां पर्यटन को और बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड पर्यटन विभाग यहां बीटल्स फेस्टिवल का आयोजन करने जा रहा है।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि “बीटल्स ग्रुप के 50 वर्ष पूरे होने पर वर्ष 2018 में चौरासी कुटिया में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा”। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम वन विभाग व पर्यटन विभाग संयुक्त रुप से करेंगे और इस कार्यक्रम में बीटल्स से जुडी वस्तुओं और संगीत का प्रदर्शन किया जायेगा। इस मौके पर संगीत फेस्टिवल को मनाने के लिए विदेश से मशहूर संगीतकार जॉर्ज हैरिसन के बेटे धानी हरिसन ऋषिकेश आकर अपने ग्रुप के साथ परफॉरमेंस करेंगे।

आपको बता दे की विदेशी सैलानियों में इस आश्रम को देखने का बड़ा क्रेज है, रोजाना यहाँ विदेशी पर्यटक घूमने पहुंचते है। मशहूर बैंड बीटल्स की उत्पत्ति ऋषिकेश के महर्षि महेश योगी के आश्रम से हुई थी। यहाँ बनाये गए गीतों ने पुरे विश्व को अपनी धुनों से दीवाना बना दिया था। 2018 में बीटल्स के ऋषिकेश आगमन को 50 साल पुरे होने जा रहे है जिसको लेकर ब्रिटेन के साथ साथ के साथ साथ भारत में भी उत्सुकता बनी हुई है। औऱ पर्यटन विभाग भी बीटल्स फेस्टिवल को मनाने की तैयारी में जुट गया है।

राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर ऋषिकेश पहुँचे आयुष मंत्री हरक सिंह रावत

ऋषिकेश में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे आयुष मंत्री हरक सिंह रावत बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल और पालिका अध्यक्ष दीप शर्मा भी मौजूद रहे, आपको बता दे की इस कार्यक्रम में आयुर्वेद के इतिहास और आयुर्वेद के महत्व के बारे में चर्चा की गई, कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे मौजूद रहे। मीडिया से बात करते हुए हरक सिंह रावत ने आयुष मंत्रालय को स्वास्थ्य मंत्रालय से अलग करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया, उन्होंने बताया कि आयुष मंत्रालय पहले स्वास्थ्य मंत्रालय में हुआ करता था तब आयुर्वेद और आयुष पर ध्यान नहीं दिया जाता था लेकिन अब आयुर्वेद चिकित्सा पर बड़ी तेजी से काम हो रहा है.

दीपावली की चकाचौंध में खो गई बग्वाल

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गोपेश्वर,  दीपावली की चकाचौंध में पहाड़ में मनायी जाने वाली बग्वाळ जाने कहां खो गई। नये दौर में सब कुछ बदला तो पहाड़ों की धरती भी अछूती न रही। मगर संतोष इस बात पर है कि पहाड़ के कुछ इलाकों में आज भी बग्वाळ अपने अतीत की कुछ न कुछ परंपरा जीवित रखे हुए है।

गोपेश्वर अब नगर बन गया है, मगर बग्वाळ को लेकर पुरानी परंपरा अभी भी है। पूरा शहर दीपावली के दिन बिजली की लड़ियों से जगमगाता है, मगर गोपीनाथ मंदिर के शीर्ष पर तेज कलश जलाने की परंपरा अभी भी है। आतिशबाजी को लेकर भले ही नयी बहस छिड़ी हो, मगर चमोली के कई गांवों में अभी भी दीपावली पर भेल्यु खेलने की परंपरा जिंदा है। गोपीनाथ मंदिर और दीपावली का गजब का संबंध है। यहां कभी 64 गांवों के लोग अपनी देहरी पर तब दीपक जलाते थे, जब इस मंदिर के शीर्ष पर तेल कलश जलता और शंख बजाया जाता था।

हालांकि कुछ गांवों ने यह परंपरा विसार दी, मगर गोपेश्वर गांव, पाडुली, पपडियाणा, ग्वीलों, चमडांउ समेत छह गांव के लोग आज भी इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। दीपावली के तीन दिनों के अलग-अलग गांव के लोग अपने-अपने गांव से सरसों के तेल का कलश व नया धान लेकर मंदिर के चौक में पहुंचते है। यहां पर तेल कलश और 501 दीपकों की पूजा होेती है और फिर एक आदमी मंदिर के शीर्ष पर तेल कलश लेकर पहुंचता है। मशाल से उस दीपक को जलाता है और शंख बजाता है, तब गांव के लोग अपने घरों की देहरी पर दीपक जलाते हैं।