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नोटबंदी के एक साल बाद, दून शहर में ऑनलाईन लेन-देन में हुई बढ़त

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देहरादून: सरकार के आश्चर्यजनक कदम नोटबंदी की पहली सालगिरह  के बाद से आखिर क्या बदलाव आए यह जानना जरुरी था।नोटबंदी होने के बाद कई लोगों को डिजिटल लेनदेन करने के लिए मजबूर होना पड़ा।लेकिन एक साल बाद अगर देखें तो इससे काफी बदलाव आया है।

इसी कड़ी में टीम न्यूजपोस्ट ने शहर के विभिन्न भागों में दुकानों, सड़क के किनारे विक्रेताओं और व्यापारिक प्रतिष्ठानों, दोनों बड़े और छोटे, में एक छोटा सर्वे किया, केवल यह देखने के लिए क्या शहर में ऑनलाइन भुगतान की ओर सकारात्मक शुरुआत हुई है? यहां बाजारों में जाकर पता चला कि बहुत से नकद आधारित लेनदेन डिजिटल मोड में बदल चुके हैं।

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चकराता रोड के किनारे खाने का स्टाल लगाने वाले राजकुमार बताते हैं कि, “मेरे पेटीएम बटुए में मेरे पास 10 हजार रुपये हैं। नोटबंदी के बाद, ग्राहक ई-वॉलेट के माध्यम से भुगतान करना चाहते थे बस फिर तबसे ही मैंने भी मोबाइल वॉलेट का उपयोग करना शुरू कर दिया था। यह एक बेहद आसान और सुविधाजनक मोड है हालांकि शुरुआत में मुझे थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन अब मुझे यह इस्तेमाल करना ज्यादा आसान लगता है।राजकुमार ने बताया कि हमारे यहां आने वाले युवाओं में 50% से अधिक युवा अब डिजिटल पेमेंट पसंद करते हैं। “

नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले साल 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला किया जिससे पूरे राष्ट्र को जैसे झटका लग गया था। पैसों को वापस जमा करने के लिए एटीएम और बैंकों के बाहर वो सारी भीड़ लग गई थी जो आम दिनों पर सड़कों पर दिखाई देती थी।

“शुरू में, लोग मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल करने या डिजिटल भुगतान करने में संकोच करते थे लेकिन अब इन मोडों के साथ लोग काफी सहज हो गए हैं।या हम ये भी कह सकते हैं, वे उन चीजों को खरीदने या बेचना पसंद करते हैं, जो डिजिटल लेनदेन के जरिए हो सके। अगर पहले एक या दो लोग मोबाइल वॉलेट का उपयोग कर रहे थे, तो अब पांच से छह हो चुका है। हालांकि, यह भी सच है कि इनमें से कई लोग युवा हैं जो पहले से ही इंटरनेट बैंकिंग इस्तेमाल करते थे,” घंटाघर के पास एक मेडिकल स्टोर के मालिक सुनील राणा ने बताया।

अब समय ऐसा आ गया है कि आइसक्रीम पार्लर से, किराने की दुकानों से सैलून तक, डेबिट कार्ड या मोबाइल वॉलेट के माध्यम से पेमेंट का विकल्प लगभग हर जगह है।वहीं दूसरी ओर, निवासियों की एक छोटी संख्या ऐसी भी है जो मानते हैं कि डिजिटल भुगतान नकदी के उपयोग को आसानी से बदल नही सकता हैं।

रेखा नेगी, एक देहरादून स्थानीय ने कहा, “मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल करना सबसे आसान काम है। लोग इसे आसानी से इस्तेमाल करते हैं और पिछले एक साल से, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिला है। मुझे नहीं पता है कि देश की अर्थव्यवस्था में कितना बदलाव आया है लेकिन यह निश्चित रूप से बदला है कि कई लोगों, विशेष रूप से युवाओं की लेन-देन की आदतों में बदलाव आ चुका है। हम में से अधिकांश आज पेटीएम का उपयोग करते हैं। “

उत्तराखंड की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर निवेदिता करेंगी फाउंडेशन डे की पेरड का नेतृत्व

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उत्तराखंड के इतिहास में यह पहली बार होगा जब जब एक महिला भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी 9 नवंबर को राज्य के 18वें फाउंडेशन के दिन पुलिस लाइन मैदान में इस साल, रईजिंग डे परेड का नेतृत्व करेंगी।

उत्तराखंड केडर की 2007 बैच के आईपीएस अधिकारी, निवेदिता कुकरेती जो वर्तमान में देहरादून जिले के वरिष्ठ अधीक्षक पुलिस (एसएसपी) के रूप में सेवा कर रही हैं, परेड की कमांडर रहेगी जो हर साल 9 नवंबर को उत्तराखंड के गठन के लिए आयोजित किया जाता है।

एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने न्यूजपोस्ट से बातचीत में कहा कि, ”यह मेरे लिये गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि, “हर अधिकारी को परेड की कमान करने का मौका मिलना एक गर्व का क्षण होता है और ये ‘राईजिंग डे परेड’ का नेतृत्व करने का मेरा पहला मौका होगा।” इससे पहले वह अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के रूप में 2011 में रईजिंग डे परेड में दूसरे-कमांड में थी।

पिछले दो परेड में, आईपीएस अधिकारी सदानंद दाते कमांडर थे और ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ का नेतृत्व करते थे। इस वर्ष, निवेदिता कुकरेती 10 बटालियन, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), अग्निशमन सेवाओं, सिटी पेट्रोल यूनिट (सीपीयू) और कुत्ते के दस्तों के दल का नेतृत्व करेंगी।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि सम्मेलन के अनुसार देहरादून का एसएसपी परेड कमांडर होता हैं, लेकिन कई बार अन्य आईपीएस अधिकारियों से परेड का नेतृत्व करवाया जाता है।

निवेदिता कूकरेती ने कहा कि, “परेड की सेवा एक अनुशासन का प्रतीक है और इससे यह संकेत मिलता है कि हम एक व्यक्ति की कमान के तहत आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं। परेड, पुलिस बल की स्पष्ट ताकत दर्शाती है।”

शिशु गृह में पढ़ाई व सफाई व्यवस्था चौपट

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देहरादून। शासन भले ही शिशु निकेतन को हर साल करीब 45 लाख रुपये का बजट बच्चों पर खर्च करने के लिए दे रहा हो, लेकिन उसका निकेतन में सुचारू इस्तेमाल देखने को नहीं मिला। आलम ये है कि शिशु गृह में बच्चों की सफाई व्यवस्था से लेकर शिक्षा व्यवस्था तक चौपट पड़ी है। पांचवी कक्षा में पढऩे वाला बच्चा कक्षा एक के सवाल भी हल नहीं कर पा रहा है और बच्चों के खेलने के लिए बनाया गया पार्क खंडहर में तब्दील हो चुका है। स्टॉफ ने बच्चों को शिशु गृह के कमरों में ही बंद कर जेल की तरह रखा हुआ है। मंगलवार को समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य शिशु निकेतन में निरीक्षण करने पहुंचे तो इसका खुलासा हुआ। इस दौरान उन्होंने शिशु गृह के स्टॉफ जमकर फटकार भी लगाई।

निरीक्षण के दौरान मंत्री ने बच्चों से पढ़ाई से संबंधित सवाल पूछे तो बच्चे बगले झांकने लगे। कापियां चैक की तो उसमें कुछ लिखा ही नहीं था और सर्दी के मौसम में बच्चों को सिर्फ एक चादर पर बैठा दिया गया। पढ़ाई की स्थिति को देखकर मंत्री ने शिक्षिका के बारे में पूछा तो पता चला कि फिलहाल वहां शिक्षिका है ही नहीं। जिस पर मंत्री ने नाराजगी जाहिर की।
खंडहर बना बच्चों के खेलने का पार्क
मंत्री जी ने बच्चों के खेलने के लिए बनाए गए पार्क को देखा तो भड़क ही उठे। पार्क खंडहर में तब्दील हो चुका है, बड़ी-बड़ी घास व झाडिय़ां पार्क में पैर पसार गई। इस पर भी मंत्री जी ने स्टॉफ को जमकर फटकारा और तुरंत पार्क की हालत को ठीक करने के निर्देश दिए।
पीडि़त लड़की से की बात
इसके बाद उन्होंने गर्म पानी से घायल हुई पीडि़त लड़की मौली से बात की, इस पर लड़की सिर्फ यही बता पाई कि किसी ने उसके ऊपर गर्म पानी डाला है। इसके बाद मंत्री जी ने इस संबंध में स्टॉफ से सवाल पूछे, लेकिन किसी कर्मचारी ने उनके पास कुछ भी जानकारी होने से इन्कार कर दिया। इस पर मंत्री जी ने बोल ही दिया कि ‘स्टॉफ चीजों को छिपाने की कोशिश कर रहा है और बच्ची को समय से उपचार नहीं मिला, यहां तक कि घटना के कई दिन बाद भी स्टॉफ ने लड़की की सुध नहीं ली।
न लाइब्रेरी में पढऩे की किताबें
शिशु गृह में निरीक्षण के बाद समाज कल्याण मंत्री बालिका निकेतन पहुंचे। यहां बालिकाओं से पढ़ाई के बारे में पूछा तो कोई सटीक जवाब नहीं मिला। कर्मचारियों से पूछताछ की तो पता चला कि बालिकाओं की पढ़ाई करने के लिए न यहां किताबें उपलब्ध हैं और न लाइब्रेरी बनाई गई।
एक घंटे में बदल दी चादरें
मंत्री के निरीक्षण की सूचना मिलते ही शिशु व बालिका निकेतन के स्टॉफ ने एक घंटे के भीतर जहां पूरे परिसर को साफ कर दिया। पुराने बिस्तर हटाकर नए रखे दिए गए। कमरों को व्यवस्थित कर दिया। पुराने बर्तन हटाकर नए रखे दिए, नया आरओ लगा दिया। बच्चों के बैठने के लिए नई चादर लगा दी गई और इसके अलावा अन्य व्यवस्थाओं को चाक चौबंद कर दिया गया।
किसी को बख्शा नहीं जाएगा
निरीक्षण के बाद पत्रकारों से बातचीत में समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि शिशु व बालिका निकेतन में बहुत सारी अव्यवस्थाएं हैं। लड़की के साथ जो घटना हुई, उसमें दोषी को सिर्फ हटाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यहां व्याप्त तमाम खामियों को लेकर सचिव के साथ बैठक बुलाई जा रही है। जिसके बाद सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाएगा। 

पुलिस ने भारी मात्रा में बरामद की विस्फोटक सामग्री

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गोपेश्वर। चमोली पुलिस ने मंगलवार को सघन वाहन चेंकिग के दौरान एक वाहन में सात पेटियों में भरी अवैध विस्फोटक सामग्री बरामद किया है। जिसमें 1018 नाइट्रेट मिश्रण पाउडर की छड़े तथा 375 मीटर विस्फोेट फ्यूज मिला है। पुलिस ने वाहन चालक को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
पुलिस अधीक्षक चमोली तृप्ति भट्ट ने बताया कि मंगलवार को कोतवाली चमोली प्रभारी सतेंद्र सिंह पुलिस टीम के साथ पीपलकोटी के पास सघन वाहन चैकिंग कर रहे थे। इस दौरान एक पीकअप से सात पेटियों में रखी विस्फोटक सामग्री बरामद किया है। वाहन चालक योगेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है तथा वाहन को सीज कर दिया गया है। अभियुक्त के खिलाफ विस्फोटक अधिनियम के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत कर लिया है।

अरुणिमा सिन्हा की बायोपिक में कंगना

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अरुणिमा सिन्हा की जिंदगी पर बनने जा रही बायोपिक फिल्म में उनका रोल कंगना करेंगी। अरुणिमा सिन्हा एक हाकी खिलाड़ी रही हैं। ट्रेन में एक हादसे में अपनी एक टांग गंवाने के बाद उन्होंने माउंट एवरेस्ट की चोटियों पर विजय हासिल की। ये बायोपिक फिल्म उनकी जिंदगी पर लिखी किताब पर आधारित होगी।

फिल्म का निर्माण करने वाली टीम का कहना है कि कंगना के साथ बातचीत अंतिम दौर में है और जल्दी ही इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी। कंगना इस वक्त अपनी फिल्म मणिकर्णिका की शूटिंग में व्यस्त हैं। इन दिनों राजस्थान के जयपुर में फिल्म का शेड्यूल चल रहा है। कंगना की ये फिल्म अगले साल अप्रैल में रिलीज होगी।

अरुणिमा की जिंदगी पर बनने वाली फिल्म के निर्देशक का नाम अभी तक तय नहीं है। कंगना ने इस साल सिमरन के रिलीज से पहले घोषणा की थी कि मणिकर्णिका के बाद वे किसी और निर्देशक की फिल्म में काम नहीं करेंगी और खुद अपनी फिल्मों का निर्देशन करेंगी। फिल्में बनाने के लिए कंगना ने ‘मणिकर्णिका फिल्म्स’ नाम से एक प्रोडक्शन कंपनी शुरु की है।

‘मणिकर्णिका’ झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जिंदगी पर है, जिसमें सोनू सूद, अंकिता लोखंडे और सुरेश ओबेराय भी नजर आएंगे। टीवी एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे की ये पहली फिल्म होगी।

रणदीप हुड्डा के साथ संतोषी की फिल्म

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सरागढ़ी के युद्ध पर फिल्म बनाने को लेकर अजय देवगन और अक्षय कुमार की फिल्मों का विवाद अभी पूरी तरह से सुलझा भी नहीं था कि राजकुमार संतोषी ने मैदान में उतरते हुए नवंबर में पंजाब में इसी विषय पर फिल्म की शूटिंग शुरु करने की घोषणा कर दी। राजकुमार संतोषी की फिल्म में नायक का रोल रणदीप हुड्डा करेंगे और उनके अलावा फिल्म में डैनी भी काम करने जा रहे हैं।

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मिली जानकारी के अनुसार, पंजाब के अलग अलग इलाकों में 40 दिन लंबा शेड्यूल पूरा करने के बाद फिल्म का अगला शेड्यूल कजाकिस्तान में अगले साल मार्च से शुरु होगा और ये शेड्यूल 45 दिन का होगा। इन दो शेड्यूल के बाद फिल्म की मुख्य शूटिंग पूरी हो जाएगी। संतोषी की ओर से ये नहीं बताया गया है कि वे अपनी फिल्म कब तक रिलीज करेंगे। इसी विषय पर करण जौहर की कंपनी के साथ मिलकर अक्षय कुमार केसरी नाम से फिल्म शुरु कर रहे हैं।

पहले इस फिल्म में सलमान खान की कंपनी पार्टनर थी, लेकिन सलमान ने खुद को इस फिल्म से अलग कर लिया है। केसरी का निर्देशन अनुराग शर्मा कर रहे हैं। इसी विषय पर अजय देवगन ‘संस आफ सरदार’ (सन आफ सरदार की सिक्वल) बनाने की घोषणा कर चुके हैं, लेकिन अजय का कहना है कि उनकी फिल्म शुरु होने में समय लगेगा और अक्षय की फिल्म के साथ उनका टकराव नहीं होगा।

कुछ दिनों पहले खबर थी कि इस विषय को लेकर अजय और अक्षय के बीच टकराव को देखते हुए संतोषी ने अपनी फिल्म बनाने का इरादा त्याग दिया है। राजकुमार संतोषी इससे पहले भगत सिंह पर फिल्म बनाने को लेकर भी टकरा चुके हैं। उन्होंने अजय देवगन के साथ ‘भगत सिंह’ पर फिल्म बनाई थी और इसी विषय पर सनी देओल ने बाबी को लेकर फिल्म बनाई थी और दोनों फिल्में एक साथ रिलीज हुई थीं। सरागढ़ी का युद्ध इसलिए चर्चित रहा, क्योंकि हवलदार इशान सिंह के नेतृत्व में सिख रेजीमेंट की एक छोटी सी टुकड़ी ने आक्रमाणी अफगानिस्तानी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था।

फन्ने खां के सेट पर हादसा

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निर्माता राकेश ओमप्रकाश मेहरा की निर्माणाधीन नई फिल्म ‘फन्ने खां’ के सेट पर एक गंभीर हादसा हो गया, जिसमें फिल्म की महिला सहायक निर्देशिका घायल हो गई। मिली जानकारी के अनुसार, फिल्म की शूटिंग सड़क पर हो रही थी, जिसमें एक बाइक सवार भी हिस्सा ले रहा था। बताया जाता है कि बाइक सवार तेज गति के साथ आगे बढ़ा और वहां मौजूद महिला सहायक से टकरा गया। इस हादसे में महिला सहायक को गंभीर चोट लगी। उनको तुरंत अस्पताल पंहुचा दिया गया।

फिल्म की टीम की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि, “अब महिला सहायक की तबियत बेहतर है और जल्दी ही वे फिर से शूटिंग पर लौट आएंगी।” जानकारी के अनुसार, लापरवाही के लिए बाइक सवार के खिलाफ पुलिस में केस हो गया है और पुलिस ने मामले की जांच शुरु कर दी है।

राकेश ओमप्रकाश मेहरा के प्रोडक्शन में बन रही इस फिल्म में ऐश्वर्या राय, अनिल कपूर, राजकुमार राव और दिव्या दत्ता प्रमुख भूमिकाओं में हैं। इसका निर्देशन अतुल मांजरेकर कर रहे हैं। ये फिल्म अगले साल जून में रिलीज होगी। इस फिल्म में ऐश्वर्या राय के साथ पहली बार राजकुमार राव की जोड़ी नजर आएगी।

राज्य से 11.50 हजार करोड़ आयकर वसूली का लक्ष्य

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देहरादून। नोटबंदी के एक साल बाद आयकर विभाग ने भी कालेधन को लेकर घेराबंदी व पारदर्शी भुगतान की तमाम व्यवस्थाएं की। इसी क्रम में अब निरंतर बढ़ रही आयकर रिटर्न को देखते हुए आयकर विभाग ने अपना लक्ष्य बढ़ा दिया है। मुख्य आयकर आयुक्त प्रमोद कुमार गुप्ता के मुताबिक, इस वित्तीय वर्ष (2017-18) में राज्य में 11.50 हजार करोड़ रुपये आयकर वसूल करने का लक्ष्य रखा गया है। यह लक्ष्य पिछले वित्तीय वर्ष 2016-17 के मुकाबले 16 फीसद अधिक है।

पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य से 10.32 हजार करोड़ रुपये का आयकर प्राप्त हुआ था। इसमें करीब छह हजार करोड़ रुपये अकेले ओएनजीसी से प्राप्त हुए थे। नोटबंदी के बाद खातों में जमा बड़ी राशि और उसके रिटर्न फाइल करने की अब समाप्त हुई अवधि को देखते हुए माना जा रहा है कि चालू वित्तीय वर्ष में आयकर का ग्राफ काफी बढ़ जाएगा। इसके अलावा वर्तमान में जिस तरह कैशलेस ट्रांजेक्शन में इजाफा हुआ है ऑनलाइन या चेक से भुगतान करने को लेकर कई नियम बने हैं, उससे भी आयकर में बढ़ोतरी होने की उम्मीद की जा रही है। मुख्य आयकर आयुक्त गुप्ता के अनुसार नोटबंदी के बाद जो भी नई व्यवस्था बनी है, उन्हें देखते हुए ही यह लक्ष्य बढ़ाया गया है। उम्मीद है कि यह लक्ष्य आसानी से हासिल कर लिया जाएगा।

उत्तराखण्ड पुलिस ने प्रतियोगिता में जीते 9 पदक

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पुलिस मुख्यालय उत्तराखण्डदेहरादून में अनिल के. रतूड़ीपुलिस महानिदेशकउत्तराखण्ड ने 66वीं आँल इण्डिया पुलिस रेस्लिंग कलस्टर- 2017 मे पदक प्राप्त खिलाड़ियों से मिलकर उन्हें शुभकामनायें देते हुये भविष्य में होने वाली प्रतियोगिताओं के लिए कड़ी मेहनत व लगन से अभ्यास करने को लिये प्रेरित किया गया।

अशोक कुमार, सचिव उत्तराखण्ड पुलिस खेल नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि, “27 अक्टूबर 2017 से 31 अक्टूबर 2017 तक पुणे, महाराष्ट्र में आयोजित हुई 66वीं आँल इण्डिया पुलिस रेस्लिंग कलस्टर-2017 मे उत्तराखण्ड पुलिस के खिलाड़ियों ने कुश्ती(पुरूष एवं महिला)/वेटलिफ्टिंग/ कबड्डी/बाक्सिंग प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया, जिसमें वेटलिफ्टिंग में महिला आरक्षी दीपा मेहरा ने स्वर्ण पदक, मुख्य आरक्षी ममता कुटियाल ने रजत पदक एवं आरक्षी रीना कैंतूरा ने कांस्य पदक जीता।”

बाक्सिंग के पुरूष वर्ग में आरक्षी अमित कुमार ने रजत पदक, आरक्षी विशाल सिंह ने कांस्य पदक तथा महिला वर्ग में महिला आरक्षी विनीता मेहर ने कांस्य पदक, महिला आरक्षी संगीता ने कांस्य, महिला आरक्षी नम्रता कंसियाल ने कास्य पदक जीता।

प्रतियोगिता मे लगभग 40 टीमों द्वारा प्रतिभाग किया गया, जिसमें बी.एस.एफसी.आर.पी.एफ,पैरा मिल्ट्री फोर्स भी सम्मिलित हुई। इस प्रकार उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा प्रतियोगिता में 1 स्वर्ण, 4 रजत तथा 4 कांस्य: कुल 9 पदक अर्जित किये गये।

सर्दियों की दस्तक और खराब पड़े सीसीटीवी कैमरों ने पहाड़ों की रानी में चोरों के हौंसले किये बुलंद

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पिछले दो हफ्तों में मसूरी में बदमाशों ने चोरी की तीन वारदातों को अंजाम दिया है। जिसके चलते शहर की पुलिस हरकत में आ गई है। तीन साल पहले शहर में लगे 12 सीसीटीवी कैमरों की मरम्मत की जा रही है। ये कैमरे लंबे समय से खराब पड़े थे, तीन लाख रुपये की लागत से लगे इन कैमरों का मकसद था शहर की ट्रैफिक व्यवस्था के साथ-साथ असामाजिक तत्वों पर नज़र रखना।

मसूरी इंस्पेक्टर राजीव रौथन कहते हैं कि, “बिना कैमरों के शहर पर नज़र रखना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। हमें उम्मीद है कि नवंबर के आखिर तक नये कैमरों का काम पूरा हो जायेगा।” हांलाकि इस बार की खरीद मसूरी नगर पालिका करेगी पर इन सभी कैमरों के संचालन व रखरखाव मसूरी पुलिस करेगी। इन कैमरों की मदद से मसूरी के खास इलाके जैसे की लाइब्रेरी चौक, पिक्चर पैलेस, केंपटी टैक्सी स्टैंड आदी पर निगरानी रखी जायेगी”।

सर्दियों में गिरते तापमान और स्कूलों की छुट्टियों के चलते शहर में दुकाने जल्दी बंद हो जाती हैं जिसके चलते चोरों और बदमाशों के लिये शहर का इलाका अपनी हरकतों को अंजाम देने के लिये और मुफीद हो जाता है।

इंस्पेकटर रौथन कहते हैं कि, “सर्दियों में पर्यटकों व गाङियों की संख्या कम होने के कारण हमने आठ पुलिस अधिकारियों को जिन्हे ट्रैफिक मैनेजमेंट की ड्यूटी पर लगाया गया था वहां से हटाकर शहर में रात में  गश्त करने के लिये लगाया है।”

ये अफसोस की बात है कि हमारे यहां पर सरकारी तंत्र किसी अप्रिय घटना के घटने के बाद हरकत में आता है और ऐसा ही कुछ मसूरी में खराब पड़े सीसीटीवी कैमरों के केस में हुआ है। अब उम्मीद यही कर सकते हैं कि आने वाले दिनों में नये कैमरे शहर को और सुरक्षित बनाने में मदद कर पायेंगे।