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ब्रेकिंग न्यूजः एनएच घोटाले के मुख्य आरोपी ने किया सरेंडर

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रुद्रपुर- एनएच घोटाले के मुख्य आरोपी और निलम्बित पीसीएस अधिकारी ने आखिर पुलिस और एसआईटी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, लम्बे समय से पुलिस और एसआईटी को छका रहे थे डीपी सिंह अपने दो वकीलों के साथ अचानक एसएसपी आफिस पहुंचे और सभी को चौंका दिया, डीपी सिंह लम्बे समय से पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ रहे थे, उनके खिलाफ एसआईटी ने लूक आउट नोटिस के साथ ही कुर्की के नोटिस बी जारी कर दिये थे, जिसके बाद उनकी कोर्ट में सरेन्डर करने की सम्भावनाओं को देखते हुए खुफिया पुलिस भी तैनात की गयी थी साथ ही उनके की ठिकानों पर भी पुलिस तैनात की गयी थी लेकिन अचानक नाटकीय ढंग से डीपी सिंह दो वकीलों के साथ एसएसपी आफिस पहुंचे जहां एसआईटी और एसएसपी बंद कमरे में उनसे बातचीत कर रहे हैं गौरतलब है कि कभी हाई कोर्ट तो कभी सुप्रिम कोर्ट की सरण में जाकर अपना बचाव कर रहे डीपी सिंह को जब कहीं से राहत नहीं मिली तो डीपी सिंह ने आखिर सरेंडर कर दिया,

हत्या का खुलासा, दो गिरफ्तार

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हल्द्वानी- बिजली सामान के व्यापारी विकास की हत्या के मामले का खुलासा करते हुए पुलिस ने दो आरोपियों तस्लीम पुत्र अली मोहम्मद निवासी किच्छा और दूसरा गुलफाम निवासी काशीपुर को बदोच लिया। एसपी सिटी ने बताया ने बताया कि पैसों के लेनदेन को लेकर विकास की हत्या की गई थी।

खुलासा करते हुए एसपी सिटी ने बताया कि तस्लीम ने विकास की दुकान से 119000 का माल लिया था जिसकी एवज में उसने विकास को एक चेक दिया था, चैक 16 तरीक का था और उसके पास पैसे की व्यवस्था नहीं हो पाई थी, उसने गुलफाम को पैसे के लालच में लेकर विकास की हत्या कराने का प्लान बनाया। 16 नवंबर को तस्लीम आपने साथी गुलफाम को विकास की दुकान पर ले गया लेकिन भीड़ भाड़ वाले इलाके में गुलफाम ने हत्या करने से मना कर दिया और फिर दोनों ने कामलवागंज में बृजवासी स्कूल के पीछे खाली प्लाट पर हत्या करने की योजना बनाई। हत्या वाले दिन तस्लीम ने विकास को फोन कर अपने पैसे ले जाने को कहा और फिर उसको तय की गई जगह पर बुलाया जहां गुलफाम पहले से ही घात लगा कर बैठा था।

गुलफाम ने पीछे से विकास पर लोहे की सरिया से हमला किया और फिर विकास के जूते से उसका गला घोंट कर हत्या कर दी।

डीपी की तलाश में पुलिस, कास्तकारों से पुछताछ कई को नोटिस

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रुद्रपुर- एनएच मुआवजा घोटाले के आरोपी पूर्व विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी डीपी सिंह की धरपकड़ के लिए पुलिस ने फिर से कवायद तेज कर दी है। सिंह की गिरफ्तारी के लिए तीन टीम गठित की गई हैं। साथ ही उनके हाई कोर्ट और जिला न्यायालय में सरेंडर करने की संभावनाओं पर भी पुलिस नजर गड़ाए हुए है।

एनएच-74 मुआवजा घोटाले में एसआइटी अब तक निलंबित एक पीसीएस अधिकारी समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इधर गिरफ्तारी से बचने के लिए पूर्व एसएलएओ डीपी सिंह पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट की शरण में गए, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इस पर पूर्व एसएलएओ डीपी सिंह ने बीते दिनों दोबारा सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी। सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने डीपी सिंह को पहले सरेंडर करने के आदेश पारित किए हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने पर पुलिस डीपी सिंह की तलाश में जुट गई है। इसके लिए पुलिस की तीन टीम, देहरादून व लखनऊ के साथ ही दिल्ली में उनकी तलाश में जुट गई है। वह नैनीताल स्थित उत्तराखंड हाई कोर्ट या फिर रुद्रपुर स्थित जिला न्यायालय में सरेंडर न करें, इसे देखते हुए भी पुलिस कोर्ट में आने जाने वालों पर नजर रखे है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक डीपी सिंह की तलाश की जा रही है।

एनएच मुआवजा घोटाले की जांच कर रही एसआइटी ने मंगलवार को जसपुर तहसील के पांच काश्तकारों से पूछताछ की। सुबह 11 बजे से शुरू हुई पूछताछ दोपहर दो बजे तक चली। इस दौरान काश्तकारों से भूमि की 143, मुआवजा संबंधी जानकारी ली गई। साथ ही उनके बयान दर्ज किए गए। एसआइटी के मुताबिक बुधवार को भी कुछ और काश्तकारों से पूछताछ होगी।

एनएच मुआवजा घोटाले में जसपुर और काशीपुर तहसील की जांच के बाद एसआइटी ने बाजपुर तहसील की जांच शुरू कर दी है। बाजपुर तहसील के दस्तावेजों का अध्ययन कर अब एसआइटी नोटिस भेजने की कवायद में जुट गई है। इसके लिए एसआइटी ने मंगलवार को बाजपुर तहसील के छह काश्तकारों को नोटिस भेजा है। साथ ही उन्हें निर्धारित तिथि पर उपस्थित होकर अपने बयान दर्ज कराने को कहा है।

जानलेवा बनी बिजली की तारें

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रानीखेत- विकासखंड सल्ट में ऊर्जा निगम की लापरवाही एक बार फिर सामने आई। रथखाल बाजार में एकाएक बिजली के तार गिर गए। संयोगवश करंट की चपेट में आने से तीन ग्रामीण बाल-बाल बच गए और बड़ा हादसा टल गया।

मानिला के मुख्य बाजार रथखाल में एलटी लाइन के तीनों फेस चिंगारियों के साथ सड़क में आ गिरे। इस दौरान बाजार में खरीददारी कर रहे तीन ग्रामीण बाल-बाल बचे। बिजली के तार गिरते ही मौके पर हड़कंप मच गया। यह घटना देव सिंह की दुकान के पास हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार तार टूटने के समय खरीददारी करने आए ग्रामीणों की काफी भीड़ थी। करंट फैलने के डर से लोग दुकानों व अन्य सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे। क्षेत्र के लोगों के मुताबिक पूरी लाइन बांज के पेड़ों से घिरी हुई है। इससे आये दिन लाइन टूटती रहती है।

एडीबी विंग की पाइप लाइनों में नहीं है पानी का प्रेशर

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देहरादून। राजधानी दून में बिछाई जा रही पानी की पाइप लाइनों के संबंध में एडीबी विंग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। एडीबी की ओर से खुड़बुड़ा व गुरु रोड क्षेत्र में डाली गई पाइप लाइन में प्रेशर ही नहीं चढ़ रहा। इस कारण लोगों के घरों में नई लाइन से कनेक्शन लेने के बावजूद पानी नहीं आ रहा। यही वजह है कि जहां खुड़बुड़ा क्षेत्र में लोगों ने नई लाइन से कनेक्शन लेने से मना कर दिया है, जबकि गुरु रोड क्षेत्र में पानी न आने पर अधिकारियों को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

दरअसल, खुड़बुड़ा में पानी न आने से लोगों ने तीन दिन पहले कनेक्शन लेने से मना कर दिया था। तब अधिकारी दावा कर रहे थे कि पूरी लाइन जोडऩे के बाद लोगों के घरों में पानी आ जाएगा, लेकिन बुधवार को पता चला कि जल संस्थान के टैंक से लाइन को चालू कर दिया है, लेकिन इस लाइन में पानी का प्रेशर ही नहीं बन रहा। इसकी वजह बताई जा रही है कि जब पांच साल पहले लाइन डाली गई, तब दूसरा ठेकेदार काम कर रहा था, जिसका कुछ समय पहले एडीबी विंग ने ठेका निरस्त कर दिया था। इसके बाद दूसरे ठेकेदार को काम पर लगाया गया, जिसे लाइनों के बारे में उचित जानकारी ही नहीं। इतना ही नहीं, यह भी आशंका जताई जा रही है कि पांच साल पुरानी होने के कारण लाइन कहीं से फट न गई हो। इसके अलावा गुरु रोड, लक्ष्मण चौक क्षेत्र में भी एडीबी विंग ने कुछ साल पहले नई लाइन डाली थी, जहां फिलहाल कनेक्शन बांटने का काम चल रहा है। यहां भी स्थिति ऐसी ही है, लोगों ने नई लाइन से कनेक्शन तो ले लिए, लेकिन उनके घरों में पानी नहीं आ रहा। बुधवार को स्थानीय लोगों ने इसका विरोध भी किया। यहां भी लोग पुरानी लाइन से ही पानी की मांग कर रहे हैं, जबकि नई लाइन से पानी लेने से इन्कार कर रहे हैं।
इस दौरान एडीबी विंग के अपर कार्यक्रम निदेशक झरना कमठान ने बताया कि काम सही न करने पर पुराने ठेकेदार का ठेका निरस्त कर दिया था। इस मामले की जांच कराई जाएगी कि आखिर लोग पानी के कनेक्शन लेने से क्यों इन्कार कर रहे हैं। जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

दून में सक्रिय है बच्चों से भीख मंगवाने वाला गिरोह

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देहरादून। उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रदेश में भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध लगाया गया है वाबजूद इसके अभी तक राज्य में भिक्षावृत्ति का गिरोह अपने काम को अंजाम दे रहा है। वहीं दून की बात की जाए तो यहां हर चौराहों पर बच्चे खुलेआम भीख मांगते नजर आते हैं। यही नहीं, गिरोह ने बच्चों को इतना प्रशिक्षित किया हुआ है कि जब भी उनसे भीख मंगवाने वाले व्यक्ति के बारे में पूछते हैं तो वह मौके से भाग खड़े होते हैं।

गौरतलब हो कि राज्य सरकार द्वारा तीन माह पूर्व उत्तराखंड में भिक्षावृत्ति को प्रतिबंधित कर दिया गया था। हालांकि, प्रतिबंध लगने के कुछ समय बाद तक भीख मांगने वाले बच्चे सड़कों पर नजर नहीं आए, लेकिन अब फिर से वहीं आलम दिखने लगा है। बड़े पैमाने पर बच्चे सड़कों पर हाथ में कटौरा लेकर भीख मांगते नजर आ रहे हैं। इसकी वजह ये है कि दून में भीख मंगवाने वाले कई गिरोह सक्रिय हो चुके हैं। चार माह पहले तत्कालीन अपर सचिव समाज कल्याण मनोज चंद्रन ने भी इस संबंध में जिलाधिकारी को पत्र भेजकर कार्रवाई के लिए कहा था। तब अपर सचिव ने कहा था कि सुबह के समय टैंपों में इन बच्चों को शहर के प्रमुख चौराहों पर छोड़ा जाता है और फिर शाम को वापस टैंपों से इन्हें किसी गुमनाम जगह पर ले जाता है। दिनभर ये बच्चे सड़कों पर घुमकर भीख मांगते हैं। हैरत की बात ये है कि बच्चों को इतना डराया जाता है कि यह पूछने के बावजूद उस व्यक्ति का नाम नहीं बताते, जो इनसे भीख मंगवा रहा है। उदाहरण के तौर पर लालपुल पर बुधवार सुबह तीन छोटी लड़कियां भीख मांग रही थी, एक व्यक्ति ने जब इन बच्चों से उस व्यक्ति का नाम पूछा तो उन्होंने रोना शुरू कर दिया और चिल्लाते हुए भाग खड़ी हुई। इस दौरान जिलाधिकारीएसए मुरुगेशन ने कहा कि प्रशासन ने इस मामले में पिछले दिनों बड़ी कार्रवाई की है। यदि अब भी कुछ जगहों पर बच्चों से भीख मंगवाई जा रही है तो इन जगहों पर जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

अल्पसंख्यक विभाग की छात्रवृत्ति में घपले की आशंका, मामले की होगी जांच

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देहरादून। उत्तराखंड में अल्पसंख्यक विभाग की ओर से बांटी जा रही छात्रवृत्ति में घपले की आशंका बन गई है। ऑनलाइन व्यवस्था होने के बाद अचानक से आई आवेदनों की कमी से विभाग सकते में है। मामले को संज्ञान में लेते हुए उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग ने मामले की जांच कराने के निर्देश दिए हैं। आयोग का तर्क है कि रिपोर्ट आने के बाद ही मामले से स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

बता दें कि तीन साल पहले अल्पसंख्यक आयोग ने विभाग की छात्रवृत्ति को ऑनलाइन कर दिया था। हुआ यूं, कि ऑनलाइन व्यवस्था से पहले अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लिए प्रत्येक साल दो लाख से ज्यादा छात्रों के आवेदन विभाग को प्राप्त होते थे। जिन्हें हर साल छात्रवृत्ति आवंटित की जाती थी। लेकिन, जब से छात्रवृत्ति को ऑनलाइन किया गया तब से आवेदनों की संख्या दो लाख से घटकर बीस हजार तक सिमट गई है। इतना ही नहीं, इस साल तो मात्र 12 हजार आवेदन विभाग को प्राप्त हुए हैं। हालांकि, आयोग यह भी मान रहा है कि कुछ क्षेत्रों में नेटवर्किंग व जानकारी के अभाव के कारण आवेदन पत्रों में कुछ कमी आई है। साथ ही कुछ जगह पर स्कूल स्तर पर भी लापरवाही हुई है, लेकिन बावजूद इसके इतने बड़े पैमाने पर आवेदन पत्रों में कमी आने से संदेह पैदा हो गया है। आयोग से लेकर विभाग भी संख्या को देखकर आश्चर्यचकित है। यही कारण है कि अल्पसंख्यक आयोग ने अब इसकी वजह तलाशने के लिए जांच कराने का निर्णय लिया है। इस दौरान आयोग उन छात्रों की जांच भी कराएगा, जिन्हें व्यवस्था ऑनलाइन होने से पहले छात्रवृत्ति बांटी गई है। साथ ही यह भी तलाशा जाएगा कि अब आवेदनों की संख्या घटकर इतनी कम क्यों हो गई है। इस मौके पर अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने कहा कि मामले की जांच कराई जा रही कि अचानक आवेदन पत्रों की संख्या घटकर इतनी कम हो गई। साथ ही पूर्व में जो छात्रवृत्ति बंटी है उसकी भी जांच कराई जा रही है। 

जरूरतमंद को समय से मिले ब्लड:डीएम

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रूद्रपुर। जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश देते हुए कहा आज के समय में जरूरतमंद को समय से ब्लड मिल सके, इसके लिए बैंको मे जो रक्त है, उसकी सूचना जनपद के प्राईवेट चिकित्सालयों मे भी होनी चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर जरूरतमंदो को समय से ब्लड उपलब्ध हो सके।

बुधवार को जिलाधिकारी डा. नीरज खैरवाल द्वारा कलेक्ट्रेट सभागार मे ई-रक्त कोष संचालन की प्रगति की समीक्षा की गई।
जिलाधिकारी ने कहा जनपद मे जो चार ब्लड बैंक है,उन्हे भी ई-रक्त कोष से जोडने की कार्यवाही की जाए व समय-समय पर प्राईवेट ब्लड बैंक के डाक्टर व स्टाफ की बैठक आयोजित की जाए। उन्होंने कहा कि पारर्शिता से कार्य करते हुए जिला चिकित्सालय मे ई-रक्तकोष संचालन हेतु 01 नोडल अधिकारी को नियुक्त करें। उन्होंने कहा कि ई-ब्लड बैंक बनने से जनपद के बाहर कितने लोग ब्लड ले गये उसका भी विवरण उपलब्ध कराया जाए।
उन्होंने कहा ई-रक्तकोष के सम्बन्ध मे जानकारी देने के लिए पैथालाॅजी व टैक्नीशियनो की भी ट्रेनिंग कराई जाए। जिलाधिकारी ने कहा किच्छा व जसपुर मे स्टोरेज यूनिट के लाईसेंस नवीनीकरण हेतु शासन को शीघ्र पत्र प्रेषित करे साथ ही खटीमा चिकित्सालय मे ब्लड बैंक खोलने हेतु लाईसेंस लेने के लिए शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजे। उन्होने कहा इस कार्य मे जो उपकरण व मैन पाॅवर चाहिए उसे लिखित मे दे ताकि उसकी व्यवस्था कराई जा सके।
चिकित्सालयो मे लगे सीसीटीवी कैमरो की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने निर्देश देेते हुए कहा सीसीटीवी कैमरो की स्थापना जिस उद्देश्य के लिए की गई है, वह उद्देश्य पूरा हो इसके लिए सीएमओ चिकित्सालयो मे जाकर कैमरो की लोकेशन देखे। उन्होने कहा चिकित्सालयो मे सभी सीसीटीवी कैमरो को आॅनलाइन करने की कार्यवाही शीध्र अमल मे लाई जाए।
सीएमएस डा. अमिता उप्रेती ने बताया जनपद मे वर्ष 2016-17 मे 6322 यूनिट रक्त प्राप्त हुआ इसके लिए 24 रक्तदान शिविर आयोजित किये गये। वर्ष 2017-18 मे 3619 यूनिट रक्त प्राप्त हुआ इसके लिए 16 कैंप लगाये गये। बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. संजय कुमार शाह, निदेशक आरके पाण्डे, चिकित्साधीक्षक काशीपुर बीके टम्टा, एसीएमओ मनीष अग्रवाल सहित अन्य लोग उपस्थित थे। 

बीमार पड़ा है जन औषधीय केन्द्र, गरीबों को नहीं मिल रही सुविधा

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अल्मोड़ा- रोगियों को सस्ते दामों में दवाइयां उपलब्ध कराने की सरकार की मंशा को पंख नहीं लग पा रहे हैं। इस योजना के क्रियान्वयन में बरती जा रही लापरवाही का ही परिणाम है कि रोगी अब भी बाजार से दवाइयां खरीद रहे हैं। जबकि दवाओं के लिए खोले गए जन औषधि केंद्र घाटे में चल रहे हैं।
अल्मोड़ा जिला मुख्यालय में रोगियों को सस्ते दामों में जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बेस अस्पताल में जन औषधि केंद्र खोला गया। इस केंद्र में जेनरिक दवाओं की उपलब्धता सैकड़ों की तादात में है। लेकिन इसके बाद भी यह जन औषधि केंद्र घाटे में चल रहा है। इस जन औषधि केंद्र में सिर्फ कर्मचारियों के वेतन में प्रतिमाह लगभग 24 हजार रुपये का खर्चा आता है। लेकिन महीने भर में दवाओं को बिक्री 15 हजार से अधिक नहीं है। अस्पताल के सूत्रों की मानें तो चिकित्सकों के जेनेरिक नाम से दवाएं लिखने के बजाय ट्रेड नाम से दवाएं लिखने के कारण रोगियों को जन औषधि केंद्र से दवाइयां नहीं मिल पा रही है। जिस कारण जन औषधि केंद्र में दवाओं की बिक्री नहीं हो पा रही है। यही हालात रहे तो रोगियों के लिए सस्ते दामों में दवाएं उपलब्ध कराने की मंशा से खोले गए जन औषधि केंद्र जल्द बंद होने के कगार पर आ जाएंगे।

नगर के बेस अस्पताल में खोले गए जन औषधि केंद्र में प्रयोग में नहीं आ रही दवाओं को वापस नहीं लिया जा रहा है। जिस कारण यहां लाखों रुपये की दवाएं बेकार पड़ी हुई हैं। दरअसल जन औषधि केंद्र को बीपीपीआई, आइडीपीएल कार्पोरेशन गुड़गांव से दवाइयों की सप्लाई की जाती है। लेकिन सैकड़ों तरह की दवाओं में से कुछ दवाएं प्रयोग में ही नहीं आती हैं। वर्तमान में इस जन औषधि केंद्र में लगभग 70 हजार रुपये की 26 प्रकार की दवाएं निष्प्रयोज्य पड़ी हुई हैं। जिन्हें वापस करने के लिए जन औषधि केंद्र के प्रभारी ने संबंधित आपूर्तिकर्ता को कई बार पत्र भी भेजा है लेकिन इसके बाद भी इन दवाओं को वापस नहीं किया जा रहा है।

एस्ट्रो टूरिज्म की भारत में अपार संभावनाएं

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नैनीताल। नदी, झील, पहाड़, झरना और समुद्र जा जाकर अब पर्यटक ऊब चुका है। अब सिर्फ ब्रह्मांड ही अछूता है, यही कारण है कि अब देश में अंतरिक्ष पर्यटन की शुरुआत हो चुकी है। फिलहाल यह बहुत महंगा है, इसलिए नया कॉन्सेप्ट एस्ट्रो टूरिज्म आ गया है। विदेशों में तो यह चलन में है, लेकिन भारत में भी इसकी अपार संभावनाएं है। प्राचीन मंदिर व गिरजाघरों समेत देश के विभिन्न शहरों में स्थापित जंतर-मंतर को इस पर्यटन से जोड़ा सकता है।

अर्मेनिया गणतंत्र में 13 से 17 नवंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय एस्ट्रोनॉटिकल हेरिटेज ऑफ द मिडिल ईस्ट सम्मेलन में भाग लेकर लौटे भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलुरु के सेवानिवृत्त खगोलविद प्रो. आरसी कपूर ने जागरण के साथ बातचीत में सम्मेलन के अनुभव साझा करते हुए बताया कि आसमान में होने वाली रोमांचक खगोलीय घटनाओं के दीदार तो कहीं से भी किए जा सकता हैं। इनके अलावा भी जमीनी स्तर पर ऐतिहासिक धरोहरों का अंबार है, जिनकी महत्ता खगोल विज्ञान के लिहाज से कहीं अधिक बढ़ जाती है। हमारे देश में प्राचीन काल में बनी कई महत्वपूर्ण इमारतें सूर्य की दिशा के अनुसार ही बनी हैं। गिरजाघरों की नींव अयनांत व विषुव के हिसाब से पड़ती थी, जबकि मंदिरों का निर्माण भी दिशा के हिसाब से ही होता था। इनके अलावा दिल्ली, उज्जैन, बनारस के जंतर-मंतर खगोल की ही देन है। इनके बल पर देश में खगोलीय पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। समय-समय पर स्टार(तारा) पार्टियों का आयोजन किया जा सकता है। विदेशों में होने वाली स्टार पार्टियां बेहद लोकप्रिय हो चली हैं। खुले आसमान के नीचे सुनसान स्थानों व जंगलों में टैंट कैंप के जरिए आसमानी गतिविधियों को निहारा जा सकता है।
प्रो. कपूर ने बताया कि अर्मेनिया सम्मेलन में कई देशों के वैज्ञानिकों ने अपने देशों में एस्ट्रो टूरिज्म की गतिविधियों में प्रकाश डाला। इस मौके पर उन्होंने भी अपना शोध पत्र भी प्रस्तुत किया। इस शोध पत्र में बताया कि भारत में एस्ट्रो टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए राज्यों के पर्यटन विभागों को आगे आना होगा। विदेशों की बात करें तो वहां वेधशालाओं के अलावा इस पर्यटन पर कार्य कर रहे निजी कंपनियों का जनसंपर्क बेहद मजबूत हैं, जिस कारण वहां का एस्ट्रो टूरिज्म काफी आगे जा पहुंचा है। भारत में भी पर्यटकों को लुभाने के लिए ऐसा ढांचा तैयार करने की पहल की जा सकती है।