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कानूनी जंग में डीपी की हार, सरेंडर

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पूर्व एसएलएओ डीपी सिंह कानूनी दांव पेंच में अपनी पहली लड़ाई हार गए। अंतत: उन्हें एसएसपी दफ्तर में आत्म समर्पण करना पड़ा,एनएच 74 मुआवजा घोटाले के आरोपी निलंबित पीसीएस अफसर डीपी सिंह ने गुरुवार को ढाई बजे फिल्मी अंदाज में एसएसपी दफ्तर पर आत्म समर्पण किया। वह अपने साथ अधिवक्ताओं को लेकर आए थे।

पूर्व एसएलएओ डीपी सिंह की पुलिस लंबे समय से तलाश कर रही थी। उनके आवासों पर कुर्की का नोटिस चस्पा हो चुका था। जबकि डीपी सिंह को पकडने के लिए पुलिस का पूरा ध्यान नैनीताल स्थित कोर्ट पर था लेकिन एसएसपी आफिस में पहुंचे डीपी को देख सभी चकित रह गये।

प्रदेश का सबसे चर्चीत मुआवजा घोटाले के मुख्य आरोपी की तलाश लम्बे समय से चल रही थी लेकिन इस जांच में तब ट्वीस्ट आ गया जब पुलिस को छकाते हुए डीपी सिंह ने खुद आत्म समर्पण कर दिया, गुरुवार को ढाई बजे पूर्व एसएलएओ डीपी सिंह अपनी कार से दो अधिवक्ताओं के साथ एसएसपी दफ्तर पहुंचे। उन्होंने दफ्तर के बाहर कार खड़ी की। वहां से वह पैदल चल कर एसएसपी दफ्तर पहुंचे।

इस दौरान उनके अधिवक्ता पूरी वीडियोग्राफी कर रहे थे, ताकि एसआईटी उनकी गिरफ्तारी न दर्शा सके। डीपी सिंह ने एसएसपी दफ्तर का दरवाजा खोला और बोले, “मैं आई कम सर।” डीपी सिंह को देखकर पुलिस आफिस में हलचल मच गई। उन्हें एसआईटी के दफ्तर में बिठाया गया, देखते ही देखते वहां मीडिया का जमघट लग गया। माना जा रहा है कि कल डीपी सिंह को पुलिस न्यायालय के समक्ष पेश करेगी। फिलहाल डीपी सिंह से पूछताछ की जा रही है।

गौरतलब है कि तकरीबन 270 करोड़ के एनएच चौड़ीकरण में मुआवजा घोटाले में डीपी सिंह को आरोपी बनाया गया है। पुलिस को काफी समय से उनकी तलाश थी। गैरजमानती वारंट होने के बाद पुलिस ने भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट से अनुमति लेकर धारा 82 के अंतर्गत कुर्की का नोटिस चस्पा कर दिया था। उसके बाद डीपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी।

पुलिस की नजर नैनीताल स्थित भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट पर थी। दरअसल, पुलिस को यह अनुमान था कि डीपी सिंह कोर्ट में सिरेंडर कर सकते हैं। हालांकि पुलिस की कई टीमें उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिशें दे रही थी। पुलिस की सारी चौकसी को धता बता कर डीपी सिंह ने खुद एसएसपी दफ्तर पहुंच कर आत्म समर्पण कर दिया।
जब एसआईटी ने उन्हें बयानों के लिए बुलाया था तो वह कानून की किताब लेकर अपने बयान दर्ज कराने आए थे। उन्होंने दावा किया था कि उनके द्वारा जो भी अभिनिर्णय पारित किए गए हैं वह नियमों के हिसाब से सही हैं। डीपी सिंह कानूनी दांव पेंच का सहारा लेते रहे, लेकिन कानूनी दांव पेंच में वह फिलहाल लड़ाई हार गए, और उनको आत्म समर्पण करना पड गया। फिलहाल डीपी से एसआईटी को और भी कई बडे खुलासे की उम्मीद है।

उद्यमियों के प्रोत्साहन के लिए 1300 करोड़ स्वीकृत

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देहरादून। केन्द्र सरकार की आर्थिक मामलों की स्क्रीनिंग कमेटी ने उत्तराखंड से जुड़ी दो परियोजनाओं एकीकृत बागवानी विकास तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय संसाधनों के विकास पर आधारित उद्यमों को प्रोत्साहन देने के लिए 1300 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है। इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त किया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उम्मीद जताई है कि शीघ्र ही पर्वतीय कृषि विकास से संबन्धित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए भी लगभग 550 करोड़ की मंजूरी मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि बागवानी विकास के लिए निर्धारित 700 करोड़ की धनराशि से प्रदेश में स्वीकृत बागवानी विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आएगी। जबकि 600 करोड़ की धनराशि से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के तहत स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्यमों को बढ़ावा मिल सकेगा।
सीएम ने कहा कि इससे बागवानी से जुड़े कृषकों व कास्तकारों एवं छोटे उद्यमियों व स्वरोजगारियों के आर्थिक उन्नयन में मदद मिलेगी। इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से ग्रामीण आर्थिकी के विकास एवं युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के अतिरिक्त पर्वतीय कृषि के विकास से सम्बन्धित परियोजनाओं के लिए लगभग 550 करोड़ की वित्तीय मदद के प्रस्ताव विचाराधीन हैं। उम्मीद है इसकी भी शीघ्र स्वीकृति प्राप्त हो जाएगी, जिससे परम्परागत कृषि को बढ़ावा मिल सकेगा। साथ ही किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को भी हासिल करने में निश्चित रूप से मदद मिल सकेगी।
निदेशक उद्यान डाॅ. वीएस नेगी ने बताया कि दिल्ली में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के अधीन विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं के तहत राज्य में बागवानी के विकास के लिए 700 करोड़ तथा ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए 600 करोड़ की योजनाओं पर सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। जबकि पर्वतीय कृषि विकास से सम्बन्धित परियोजनाओं के लिए प्रस्तावित धनराशि लगभग 550 करोड़ की मंजूरी, स्क्रीनिंग कमेटी की आगामी आगामी बैठक में प्राप्त होने की पूर्ण सम्भावना है। 

सड़क की बदहाली से बढ़ रही घटनाएं

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सुगम और मंगलमय सफर की कामना को लेकर सड़कों पर उत्तराखंड की त्रिवेन्द्र रावत सरकार सूबाई सियासत की कमान संभालने के बाद करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है लेकिन उसके बावजूद भी आए-दिन बदहाल सड़के किसी न किसी को निवाला बना रही हैं।

उल्लेखनीय है कि समूचा उत्तराखंड सड़क हादसों से जूझ रहा है। हादसों की रोकथाम के लिए पीडब्ल्यूडी, पुलिस, आरटीओ समेत समस्त जिम्मेदार विभागों के पास नियम कानून को लेकर निर्देश जारी होते रहते हैं लेकिन जमीन पर इसका असर नहीं दिखता है। सिर्फ निश्चित समय व दिन तक ही कुछ गतिविधि रहती है और फिर पुराने ढर्रे में जिंदगी फर्राटा भरने लगती है।

एआरटीओ अनिता चमोला का कहना है कि पुलिस विभाग और आरटीओ की ओर से संयुक्त चिन्हित दुर्घटना प्वाइंट ऐसे हैं, जहां निरंतर दुघर्टना होती है। जिसके सम्बंध में शासन को भी अवगत करवाया जा चुका है। वहीं कुछ सड़के ऐसी हैं जहां सालों से नवीनीकरण या पैचवर्क तक की जहमत नहीं उठाई गई।

पीडब्लूडी की लाचार कार्य प्रणाली पर भी लगातार सवाल उठते रहे हैं। बावजूद इसके व्यवस्था में कोई भी सुधार होता हुआ नजर नही आ रहा है। तीर्थ नगरी के मुख्य मार्गों की बात करें तो अक्सर देखने को मिलता है कि गड्ढायुक्त सड़कों पर विभाग का ध्यान नहीं जाता।

ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग मानसूनी मौसम के बाद से अनेकों स्थानों पर बुरी तरह से छतिग्रस्त हो रखा है। इस राष्ट्रीय राजमार्ग की बदतर सड़क पर अनेकों सड़क दुघर्टनाओं के बावजूद पैचवर्क तक लोनिवि करवाने को तैयार नही है। जबकि इस सन्दर्भ में विभिन्न संगठनों के माध्यम से लगातार आवाज उठाई जाती रही है।

उधर, मानकों की बात करें तो ज्यादातर सड़कों में हादसों की रोकथाम की कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। सिर्फ बोर्ड लगाकर जिम्मेदारी से इतिश्री कर लिया गया है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि इन खस्ताहाल सड़कों पर सड़क हादसे कब रुकेंगें।

संदिग्ध परिस्थितियों में मिला छात्र का शव

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नैनीताल- शहर से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर हल्द्वानी रोड स्थित हमुमानगढ़ी पार्क में एक युवक का शव मिलने से हड़कंप मच गया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। बैग से मिले आधार कार्ड से युवक की पहचान अनिल सिंह बिष्ट (22) पुत्र नरेंद्र सिंह निवासी बेतालघाट के रूप में हुई।

युवक बंगलुरू में होटल मैनेजमेंट का छात्र था।  बताया जाता है कि अनिल बंगलुरू में होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा था और अपने भाई के साथ रहता था। पुलिस की पड़ताल में पता चला है कि वह करीब एक सप्ताह पहले रिश्तेदारी में हल्द्वानी आया था। उसके मुंह से झाग निकल रहा था। एसओ प्रमोद पाठक ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारणों को पता लग सकेगा।

श्रमिक की मौत के बाद हंगमा

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खटीमा- फाइबर फैक्ट्री में काम कर रहे श्रमिक की मशीन से गिरकर मौत हो गई। श्रमिक की मौत से गुस्साए ग्रामीणों ने फैक्ट्री के गेट पर शव रखकर फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया।

राजीव नगर निवासी महेंद्र सिंह बिष्ट (45) फाइबर फैक्ट्री में टाइजन ऑपरेटर के पद पर कार्यरत था। गत शाम शिफ्ट के दौरान राजीव मशीन पर कार्य कर रहा था। इसी बीच वह मशीन से नीचे गिर गया और गंभीररूप से घायल हो गया। अन्य श्रमिकों की मदद से उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। जहां उसकी हालत गंभीर होने पर उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया। इस बीच रास्ते में उसकी मौत हो गई।

मौत के बाद परिजन ग्रामीणों के साथ फैक्ट्री पहुंचे और प्रबंधन से उचित मुआवजा देने की मांग करने लगे। जब कोई बात नहीं बनी तो ग्रामीण शव को लेकर फैक्ट्री पहुंच गये और प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन करने लगे। परिजनों का आरोप है कि फैक्ट्री प्रबंधन ने उन्हें उचित सहायता का कोई आश्वासन नहीं दे रहा है। ग्रामीणों ने परिजनों को दस लाख रुपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को फैक्ट्री में नौकरी देने की मांग की।

शूटिंग के दौरान कंगना हुई घायल

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कृष के निर्देशन में बन रही फिल्म ‘मणिकर्णिकाः क्वीन आफ झांसी’ में मुख्य किरदार निभा रही अभिनेत्री कंगना रनावत एक स्टंट सीन की शूटिंग के दौरान घायल हो गई हैं। चोट लगने के बाद उन्हें जोधपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।

उल्लेखनीय हो कि कंगना रानी लक्ष्मी बाई के जीवन पर बन रही फिल्म में जो भी स्टंट हैं वो खुद कर रही हैं| उन्होंने बॉडी डबल के लिए मना कर दिया है। इसके पहले भी कंगना दो बार स्टंट शूट करते समय घायल हो चुकी हैं। पिछली बार एक स्टंट के दौरान उनके सिर पर चोट आई थी।a

असफलता को आशीर्वाद समझता रहा हूं- सुभाष घई

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गोवा में चल रहे ‘48वें अन्तराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव’ में फिल्म जगत के शो मैन कहे जाने वाले फिल्म निर्माता सुभाष घई ने कहा कि मेरे 45 साल के फिल्मी सफर में मेरी असफलता भी मेरी पूंजी रही है। असफलता को आशीर्वाद की तरह लेना चाहिए। वो आपको एक नई उर्जा प्रदान करती है। साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसा कोई फिल्म निर्माता नहीं है जिसने फ्लाप फिल्म न बनाई हो।

उल्लेखनीय है कि सुभाष घई ने हिन्दी फिल्म जगत में अपने करियर की शुरुआत एक अभिनेता के तौर पर फिल्म तकदीर (1967) और आराधना (1971) से एक छोटे से रोल से की थी। वहीं 1970 में आई फिल्म उमंग और 1976 में गुमराह में मुख्य भूमिका में नजर आए थे।

सुभाष घई ने निर्माता के तौर पर अपनी शुरुआत फिल्म कालीचरण (1976) से की थी। यह फिल्म उन्हें शत्रुध्न सिन्हा के सिफारिश से मिली थी। सुभाष घई ने कई हिट फिल्में दीं। उनमें प्रमुख हैं- खलनायक, राम लखन, कर्मा, मेरी जंग, परदेश, ब्लैक एंड व्हाइट, यादें आदि।

आसानी से भू-उपयोग बताएगा सिटीजन पोर्टल

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देहरादून। अब जमीन का भू-उपयोग जानने के लिए एमडीडीए या आर्किटेक्ट के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आमजन के सामने भू-उपयोग को लेकर पेश आ रही समस्या के निराकरण के लिए मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने सिटीजन पोर्टल बनाने का निर्णय लिया है।

बुधवार को एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ.आशीष कुमार श्रीवास्तव ने प्राधिकरण कार्यालय में आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुए सुधार लाने के लिए अधिकारियों एवं जीआइएस अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में प्रकाश में आया कि अक्सर भूउपयोग जानने के लिए आमजन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में लोगों की सहूलियत के लिए सिटीजन पोर्टल बनाने का निर्णय किया गया। इसके तहत मास्टर प्लान तथा सजरा प्लान पोर्टल पर उपलब्ध रहेगा। आमजन अपने गांव तथा खसरा नंबर तथा नक्षे पर अपनी जमीन की स्थिति को अंकित कर उस स्थल का भूउपयोग जान सकेंगे। यह भी जानकारी उपलब्ध होगा कि उस स्थल पर किस तरह का निर्माण अनुमन्य है। इससे आम जनता अपना मानचित्र बनवा सकती है। इस सिटीजन पोर्टल को एनआईसी के देवभूमि पोर्टल से भी जोड़ा जाएगा। जिसमें ऑनलाइन ही स्वामित्व का सत्यापन किया जाना भी संभव होगा। प्राधिकरण कर्मियों द्वारा भी इस पोर्टल का प्रयोग कर भूउपयोग एवं स्वामित्व का सत्यापन किया जाएगा। इस पोर्टल के कार्यक्रम के प्रथम फेज में मास्टर प्लान को सजरा प्लान पर सुपर इंपोज किया जाएगा। द्वितीय चरण में उक्त टू डी इमेज की थ्री डी इमेज में परिवर्तित किया जाएगा। जिसमें एमडीडीए पूरे शहर को थ्री डी में देख सकेगा। प्राधिकरण उक्त पोर्टल पर अपनी सभी योजनाओं को इंगित करेगा तथा समय-समय पर कार्य की प्रगति के अनुसार स्थल का जीओ टैग्ड इमेज भी पोर्टल पर अपलोड की जाएगी जिससे परियोजना की वर्तमान स्थिति पर भी नजर रखी जा सकेगी।
बैठक में सामने आया कि जिस सडक़ का प्रस्ताव एक विभाग द्वारा दिया जा रहा है, उसी स्थान पर दूसरा विभाग भी प्रस्ताव दे देता है जिस कारण अनावश्यक हानि होती है। उक्त पोर्टल में अन्य सरकारी विभागों को उपलब्ध कराया जाएगा। ऐसे में विभागों को यह पता चल सकेगा कि संबंधित स्थान पर परियोजना शुरू की जा सकती है कि नहीं। बैठक में अनाधिकृत निर्माण एवं अतिक्रमण से संबंधित सभी प्रकरणों तथा शिकायतों को भी शुरू से अंत तक कंप्यूटरीकृत किया जाए। इसके लिए वर्तमान में प्रचलित व्यवस्था को अपग्रेड किया जाएगा। यह भी तय हुआ कि मानचित्र स्वीकृति के लिए नए सिस्टम को एक दिसंबर से प्रयोग किया जाए। बैठक में प्राधिकरण सचिव पीसी दु का, अधीक्षण अभियंता अनिल त्यागी, सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर संजीवन चंद्र सूंठा आदि मौजूद रहे।

काली नदी में कूदा व्यापारी, लापता

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पिथौरागढ़, सीमावर्ती इलाके झूलाघाट में रेस्टोरेंट चलाने वाले एक व्यापारी ने काली नदी में छलांग लगा दी। व्यापारी का अभी तक पता नहीं लगा है। व्यापारी के नदी में कूदने की प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस व्यापारी तलाश में जुट गई है। झूलाघाट बाजार में चाउमीन और मोमो का रेस्टोरेंट चलाने वाले कैलाश सिंह बिष्ट (27) पुत्र केशर सिंह बिष्ट ने काली नदी में कूद मार दी।

नदी में कूदते देख लोगों ने शोर मचा दिया। साथ ही इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस व्यापारी की तलाश में जुट गई। कैलाश बिष्ट मूल रूप से खडय़ानी जिला बैतड़ी नेपाल का निवासी है। कई वर्षों से वह भारत के झूलाघाट में दुकान चलाता था। यहां पर उसने मकान भी खरीदा है। वह विगत कुछ दिनों से परेशान था। वह रात भर दुकान खोलकर बैठा रहता था। उसके दो छोटे बच्चे हैं।

और भी घोटाले में शामिल कर सकते हैं समर्पण

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रुद्रपुर, एनएच 74 मुआवजा घोटाले में आरोपी बनाए गए डाटा एंट्री आपरेटर व राजस्व अहलमद अब एसआईटी के संपर्क में आ गए हैं। सूत्रों का कहना है कि वह कभी भी एसआईटी के समक्ष समर्पण कर सकते हैं। इसके अलावा दो किसानों की भी एसआईटी गिरफ्तारी कर सकती है।

उल्लेखनीय है कि एनएच 74 मुआवजा घोटाले में आरोपी बनाए गए काशीपुर तहसील के डाटा एंट्री आपरेटर अर्पण कुमार व राजस्व अहलमद संजय कुमार उस वक्त भूमिगत हो गए थे जब पुलिस ने गिरफ्तारियां शुरू की। इन दोनों ने हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे लेने का प्रयास किया था, मगर हाईकोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। सूत्रों का कहना है कि अब उन्हें यह लगने लगा है कि उन्हें जेल जाना ही पड़ेगा, लिहाजा उन्होंने एसआईटी से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। दोनों कभी भी एसआईटी के सामने आत्म समर्पण कर सकते हैं। इसके अलावा फरार चल रहे जसपुर के काश्तकार रमेश व दिलबाग सिंह को एसआईटी शीघ्र गिरफ्तार कर सकती है।

एनएच घोटाले में बाजपुर के पूर्व प्रभारी तहसीलदार भी एसआईटी के निशाने पर आ गए हैं, जिन्हें एसआईटी पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकती है। यहां बता दें कि पूर्व प्रभारी तहसीलदार के खिलाफ हाल में ही बाजपुर थाने में सरकारी धन के गबन की रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है।