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मनीष रावत चमके, उत्तराखण्ड को मिला पहला गोल्ड

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स्पोर्ट्स कॉलेज में चल रही आल इंडिया पुलिस एथलेटिक्स चैंपियनशिप में मनीष रावत ने उत्तराखंड पुलिस के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता। 20 किमी रेस वॉक में उन्होंने यह सफलता हासिल की। उन्होने घंटे 25 मिनट 37 सेकंड में रेस़ पूरी कर प्रथमस्थान हासिल करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। बीएसएफ के कुलवन्त सिंह (घंटे 26 मिनट 43 सेकंड) द्वितीय व सीआरपीएफ के जय भगवान (घंटे 27 मिनट 39 सेकंड) तृतीय स्थान पर रहे।

पुरूष वर्ग की 1500 मीटर दौड़ में सीआरपीएफ के बीर सिंह ने 3:54:80 मिनट में दौड़ पूरी कर प्रथम स्थान प्राप्त किया।उत्तराखण्ड के हरीश कोरंगा द्वारा 3:54:84 मिनट में दौड़ पूरी कर द्वितीय स्थान प्राप्त करने रजत पदक अपने नाम किया।राजस्थान के मुकेश कुमार(3:57:88) तृतीय स्थान पर रहे।

महिला वर्ग की 10000 मीटर रेस वॉक़ में पंजाब की खुशबीर कौर ने 44:33:50 मिनट में दौड़ पूरी कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। सीआरपीएफ की सोमिया बी0 (46:22:40) द्वितीय व सीआईएसएफ की रजनी (49:23:10) तृतीय स्थान पर रहीं।

महिला वर्ग की जैवलिन थ्रो में पंजाब की रूपिन्दर कौर द्वारा 52.24 मीटर जैवलिन फेंककर प्रथम स्थान प्राप्त किया। सीआरपीएफ की चुम्की चौधरी द्वारा 44.21 मीटर जैवलिन फेंककर द्वितीय स्थान तथा सीआईएसएफ की प्रिंयका सिंह द्वारा43.46 मीटर जैवलिन फेंककर तृतीय स्थान प्राप्त किया।

योगी ने रावत संग की देहरादून में पूजा अर्चना और गौ पूजा

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प्रातः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं यूपी के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के साथ मुख्यमंत्री आवास का भ्रमण किया। उन्होंने परिसर में स्थापित मन्दिर में पूजा-अर्चना की तथा गौशाला में गायों को गुड़ भी खिलाया। उन्होंने परिसर के प्राकृतिक सौन्दर्य तथा स्वच्छ पर्यावरण की सराहना की अौर गौशाला स्थापना की भी प्रशंसा की।
इसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं यूपी के उप मुख्यमंत्री  दिनेश शर्मा, जीटीसी हेली पैड से शिमला के लिये रवाना हुए तथा हिमाचल प्रदेश के मनोनीत मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के शपथ ग्रहण समारोह में सम्मिलित हुए।
ज्ञातव्य है कि मंगलवार को देर सांय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा मुख्यमंत्री आवास पहुंचे, मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री रावत ने उनका शाॅल एवं गंगाजली भेंट कर स्वागत किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री ने रात्रि विश्राम मुख्यमंत्री आवास पर ही किया।

सांध्यकालीन कक्षाओं का ‘जिन्न’ आया बोतल से बाहर

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देहरादून। उच्च शिक्षा के हालातों को बेहतर करने के लिए एक बार फिर सांध्यकालीन कक्षाओं का ‘जिन्न’ बोतल से बाहर आ गया है। पहले जहां सरकार ने छात्रों की सहूलियत को देखते हुए इवनिंग क्लासेज की घोषणा की थी, वहीं इस बार राज्यपाल ने शिक्षा व्यवस्था को ढर्रे पर लाने के मकसद से संस्थानों को सांध्यकालीन कक्षाएं संचालित करने की नसीहत दी है। लेकिन, हकीकत की जमीन पर अभी भी कोई पॉजिटिविटी इवनिंग क्लास के प्लान से निकलती दिखाई नही दे रही है। भले ही कुछ संस्थानों में इवनिंग कक्षाओं का संचालन किया गया, लेकिन बिना संसाधनों और सुविधाओं के इस बार भी सांध्यकालीन कक्षाओं की योजना का परवान चढ़ना टेढ़ी खीर नजर आ रहा है।

बढ़ती छात्र संख्या और गिरती शिक्षा की गुणवत्ता को देखते हुए साल 2015 में सरकार ने इवनिंग क्लासेज शुरू करने का प्लान तैयार किया था। लेकिन इसके बाद इसे लागू करने में काफी परेशानियां आईं। हालांकि कुछ संस्थानों ने सांध्यकालीन कक्षाओं का संचालन शुरू भी किया लेकिन दाखिला लेने वाले छात्रों की परीक्षाओं को लेकर भारी फजीहत झेलनी पड़ी। अब एक बार फिर उच्च शिक्षा के हालात सुधारने को राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पॉल ने सांध्यकालीन कक्षाओं के संचालन के निर्देश दिए हैं। भेल ही यह निर्देश शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए लिया जा रहा है, लेकिन बिना सुविधाओं और संसाधनों के सांध्यकालीन कक्षाओं का संचालन होगा यह एक बड़ा सवाल होगा।
बीते सालों पर गौर करें तो हालात यह रहे कि डीएवी पीजी कॉलेज में सांध्यकालीन कक्षाएं संचालित नहीं हुई। कम छात्र संख्या होने के कारण एमकेपी पीजी कॉलेज में इवनिंग क्लास नहीं चलाई गई। एसजीआरआर में भी यही हाल देखने को मिला। राजधानी के चार कॉलेजों में से केवल एक डीबीएस पीजी कॉलेज में सांध्यकालीन कक्षाएं सांचालित हुई। लेकिन यहां भी हालात कुछ बेहतर नजर नहीं आए। इसके अलावा डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों की कमी पर गौर करें तो अभी भी राज्य में करीब पांच हजार शिक्षकों की भर्ती बाकी है। कॉलेजों में पढ़ाने को शिक्षक ही नहीं हैं। ऐसे में जो हैं वो या तो सुबह की पाली में शिक्षण कर सकेंगे या फिर शाम की पाली में कक्षाएं ले सकेंगे। इन हालातों में सांध्यकालीन की सुबह कब होगी या तो वक्त ही बताएगा। 

सर्दियों में तंदुरुस्त रहने के लिए सेंके धूप और पीएं खूब पानी

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सर्दियां अपने साथ स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव भी लेकर आती हैं, ऐसे में खुद को बीमारियों से कैसे बचाएं और सर्दियों का पूरा मजा कैसे लें, यह अच्छी तरह जान लेने की जरूरत है।

चिकित्सक की सलाह है कि सर्दियों में खूब धूप सेकें, क्योंकि ऐसा न करना विटामिन-डी की कमी, अवसाद, जोड़ों के दर्द, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी का कारण बनता है। दिन की शुरुआत नाश्ते से पहले आधा लीटर पानी पीकर करें और हर घंटे बाद उचित मात्रा में पानी पीते रहें।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष डॉ.के.के. अग्रवाल ने कहा, “यह माना हुआ तथ्य है कि सर्दियों में दिल और दिमाग के दौरे या कार्डियक अरेस्ट की वजह से मौतों के मामले बढ़ने लगते हैं।

इसके कई कारण हैं.

ठंडे मौसम में दिल की धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे दिल को रक्त और ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।

दूसरा दिन छोटे हो जाते हैं, जिससे हार्मोन में असंतुलन पैदा होता है और शरीर में विटामिन-डी की कमी आती है,इससे दिल और दिमाग के दौरे की आशंका रहती है।

सर्दियों के अवसाद से पीड़ित लोग अक्सर ज्यादा चीनी, ट्रांस फैट और सोडियम व ज्यादा कैलोरी वाला आरामदायक भोजन खाने लगती हैं जो डायबिटीज और हाईपरटेंशन से पीड़ित लोगों के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकता है,ठंडे मौसम में खास कर उम्रदराज लोगों को अवसाद घेर लेता है, जिससे उनमें तनाव और हाईपरटेंशन काफी बढ़ जाता है।

प्रकृति की गोद मे बसा ब्रिटिश कालीन कैथोलिक चर्च

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हल्द्वानी, यदि घूमने का प्लान बना रहे हैं तो मौना बाना गांव से बेहतर जगह कोई हो ही नहीं सकती, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस जगह से अच्छी शायद ही कोई ऐसी जगह हो जो क्रिसमस सेलीब्रेट करने के लिए, ईसाई बाहुल्य इस गांव की खूबसूरती देखते ही बनती है। जहां ब्रिटिश कालीन कैथोलिक चर्च ऐतिहासिक धरोहर है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

मौना बाना गांव दुर्गम पहाडिय़ों के बीच में बने इस चर्च का नाम सेंट माइकल चर्च है। सन 1935 36 में इसे एट्यू कोर्नाडो ने बनवाया था, जो करीब 82 साल पुराना कैथोलिक चर्च आज भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। चर्च की खूबसूरती ऐसी की हर कोई अपने आप में खो जाए, हल्द्वानी से फतेहपुर और वहां से बाना गांव, इसके बाद करीब तीन किलोमीटर का पैदल पथरीला सफर जो पहुंचता है मौना गांव। मौना गांव के लिए आज भी सड़क मार्ग नहीं है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों ने तब चर्च इतना भव्य कैसे बनाया होगा। जानकारों की मानें तो जो मिस्त्री चर्च का काम करता उसको दिन में केवल दो पत्थर काटने होते, वो भी एक जैसे। यदि ऐसा नहीं हो पाता तो उस मिस्त्री को काम से हटा दिया जाता।

बड़ा दिन यानी क्रिसमस डे नजदीक है। लिहाजा सेलिब्रेशन की तैयारियां जोरों पर है। अंग्रेजों ने ही 1936 के आसपास मौना गांव को बसाया था, जो ईसाई लोगों का गांव हैं। आजकल गांव में क्रिसमस को लेकर उत्सुकता का माहौल है। इस समय इस कैथोलिक चर्च के फादर उदय कुमार डिसूजा है लेकिन रख रखाव की पूरी जिम्मेदारी जगत एंजलो की है। चर्च में तीन कमरे भी हैं जिसमें फादर सहित अन्य लोगों के रहने की सुविधा भी है, हर साल क्रिसमस मनाने हल्द्वानी के साथ साथ अन्य प्रदेशों से हिन्दू परिवार भी यहां आते है। हर साल की तरह इस साल भी क्रिसमस की तैयारियां जोरों पर है। चर्च में सजावट का काम किया जा रहा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक क्रिसमस के अवसर पर यहां शानदार आयोजन किया जाएगा।

वही ब्रिटिश कालीन हुकूमत के दौरान जो भी निर्माण कार्य कराए गए वो आज ऐतिहासिक धरोहरों के रूप में हमारे बीच हैं। 1936 में बनाया मौना बाना गांव का यह कैथोलिक चर्च उन्ही धरोहरों में से एक है जो अपने आप मे आज भी कई यादें लिए आपका इंतजार कर रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए की करीब 82 साल पुराने इस चर्च को विरासत के रूप में रखने के लिए यहां हर साल क्रिसमस को धूमधाम से मनाएंगे।

उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद की 7वीं बैठक

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उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद की 7वीं बैठक को रिंग रोड़ स्थित सूचना भवन, सभागार में आयोजित हुई। बैठक में उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद के उपाध्यक्ष हेमंत पाण्डेय व जय श्रीकृष्ण नौटियाल तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी/महानिदेशक सूचना पंकज कुमार पाण्डेय उपस्थित थे।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं महानिदेशक सूचना डाॅ.पंकज कुमार पाण्डेय ने बताया कि, “परिषद के माध्यम से प्रदेश में फिल्म निर्माण एवं शूटिंग के लिए बेहतर वातारण तैयार किया जा रहा है, प्रदेश में फिल्म उद्योग को और अधिक अवसर मिले, इसके लिए फिल्म नीति-2015 में संशोधन किये जायेंगे, इसके लिए फिल्म क्षेत्र से जुड़े सभी लोगो से सुझाव आमंत्रित है।
उपाध्यक्ष उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद श्री हेमंत पाण्डेय ने कहा कि परिषद द्वारा किये जा रहे कार्यों को और अधिक गति प्रदान की जायेगी। इसके लिए परिषद के सभी सदस्यों का सहयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि परिषद के माध्यम से आयोजित होने वाला सम्मान समारोह जनवरी, 2018 में प्रस्तावित है, जिसके के लिए परिषद स्तर पर आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली जाय।
बैठक का संचालन अपर निदेशक/अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी डाॅ.अनिल चन्दोला ने किया गया। चन्दोला ने बताया कि, “आज की परिषद ने शीघ्र ही फिल्म नीति में आवश्यक संशोधन किये जाने की बात रखी  जिसमें मुख्य रूप से फिल्म शूटिंग करने कि लिये निर्धारित धनराशि रुपये 10,000 प्रति दिन को कम किया जायेगा। आंचलिक फिल्मों को प्रोत्साहित करने के लिये  मनोरंजन कर के समाप्त होने के कारण जी.एस.टी. के अनुरूप शासन को संशोधित प्रस्ताव प्रेषित किया जायेगा। वन विभाग द्वारा लिये जाने वाले शूटिंग शुल्क को समाप्त करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जायेगा। परिषद द्वारा निर्गत अनुमति पत्र ही अनुमन्य होगा। इसी प्रकार से फिल्म नीति में अन्य बिन्दुओं पर भी संशोधन किये जाने प्रस्तावित है, इसके लिए परिषद के सभी सदस्यगणों एवं फिल्म क्षेत्र से जुड़े लोगो से भी सुझाव आमंत्रित किये गये है।

कुहु गर्ग ने बैडमिंटन में उत्तराखंड का नाम फिर किया रौशन

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उत्तराखंड की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी कुहू गर्ग ने अपने नाम एक और उपलब्धि कर ली है। कुहू उत्तराखंड से प्रतिष्ठित प्रीमियर बैडमिंटन लीग में हिस्सा लेने वाली एक मात्र खिलाड़ी हैं। वो मुंबई रॉकेट्स टीम का हिस्सा है और कुहू विश्व नंबर एक खिलाड़ी सोन वान हो के साथ टीम ड्रेसिंग रूम शेयर करेंगी। 23 दिसंबर से शुरू हुई ये लीग 14 जनवरी के खत्म होगी।

कुहू ने हाल ही में गर्रीस ओपन में मिक्सड डब्लस में गोल्ड हासिल किया है। बैडमिटन उत्तराखंड के अध्यक्ष और कुहू के पिता असोक कुमार का कहना  है कि “कुहू की अबी शुरूआत है और ऐसे में इस तरह का प्रदर्शन काफी उम्मीद जगाता है। हर टीम में विदेशी खिलाड़ियों के होने से काफी अच्छा एक्सपोशर मिलता है। कुहू अपना गेम इंजॉय करती है और हमारे लिये ये गर्व की बात है।”
kuhooदिल्ली के प्रतिष्ठित श्री राम कॉलेज से ईकोनॉमिक ऑनर्स कर रही कुहू अपनी इस कामयाबी से खासी उत्साहित हैं। अपने खेल के बारे में बताते हुए कुहू कहती हैे कि “ये एक काफी अच्छा अनुभव है क्योंकि हर टीम में विदेशी खिलाड़ियों के होने से आपको उनके खेल को देखने का बेहतर मौका मिलता है। हमारी टीम में भी काफी ऊंची रैंकिंग के खिलाड़ी हैं और मुझे उम्मीद है कि हम कम से कम फाइनल तक तो पहंचेंगे।”

टीम न्यूजपेस्ट की तरफ से कुहू और उनकी टीम को लीग में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिये शुभकामनाऐं.

सट्टे की खाईबाड़ी एवं अवैध शराब बिक्री से लोग परेशान

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हरिद्वार, उपनगरी ज्वालापुर क्षेत्र में सट्टा और शराब का धंधा बड़े पैमाने पर अवैध रूप से फल फूल रहा है। इसको लेकर आम लोग कई बार शिकायतें भी कर चुके, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

ज्वालापुर के मौहल्ला मालियान, घोसियान, वाल्मीकि बस्ती, लाल मंदिर काॅलोनी, हरिलोक काॅलोनी, विष्णुलोक काॅलोनी, मैदानियान एवं कड़च्छ के कई क्षेत्रों में सट्टे की खाईबाड़ी बड़े पैमाने पर की जा रही है। साथ ही अवैध रूप से शराब की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। इसका असर युवाओं पर पड़ रहा है। सामाजिक संस्थाओं और क्षेत्र के संभ्रात नागरिकों ने इसको लेकर कई बार पुलिस को शिकायत भी की, लेकिन शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

स्थानीय निवासी अवैध कारोबार से काफी परेशान हैं, क्योंकि कई परिवारों के युवा अपना जीवन इस अवैध कारोबार में खराब कर रहे हैं। युवा वर्ग शराब की लत में पड़ रहा है। आए दिन ज्वालापुर के विभिन्न मौहल्लों में शराब पीकर हुड़दंग मचाने वालों की मंडलियां भी आम हो गई हैं। नववर्ष के आगमन की तैयारियों में अवैध शराब कारोबारी जुटे हुए हैं। उधर, ज्वालापुर कोतवाल अमरजीत सिंह का कहना है कि शराब के खाईबाड़ी को लेकर छापेमारी अभियान क्षेत्र में चलाया जा रहा है। किसी भी सूरत में अवैध धंधों को क्षेत्र में पनपने नहीं दिया जाएगा। 

बेलगाम सिपाहियों का कारनामा, बिना पूछे ही सिपाही को पीट डाला

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रुद्रपुर- उधमसिंह नगर में पुलिस का एक बार फिर ऐसा कारनामा सामने आया है जिसे सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे, जिला मुख्यालय रुद्रपुर कोतवाली में ही चौकी के दारोगा को इस कदर पीटा गया कि वो घायल हो गया, उस सिपाही का कसूर सिर्फ इतना था कि वो भाई की पैरवी के लिए कोतवाली पुहंचा था, बस फिर क्या था बेलगाम उधमसिंहनगर पुलिस के सिपाहियो ने बिना पुछे ही पास की चौकी के ही सिपाही को पीटना शुरु कर दिया, लेकिन जब तक पैरवी करने गया सिपाही ये बता पाता कि वो खुद सिपाही है तब तक को बेलगाम सिपाही अपना काम कर चुके थे।

मामला रुद्रपुर कोतवाली का है जहां भाई के मामले में पैरवी करने गया ट्रांजिट कैंप थाने में तैनात एक सिपाही को कोतवाली में जमकर पीटा। पीटने वाले वरदी वाले ही थे। अपने ही महकमे के सिपाही के गाल एक के बाद एक कई थप्पड़ों से लाल कर दिए। मामले में खास बात तो यह है कि पूरा वाक्या बड़े अफसरों की मौजूदगी में हुआ। मूल रूप से अल्मोड़ा के रहने वाले संजय यहां शांति विहार कालोनी में रहते है। एलआईसी में काम करने वाले संजय का सिपाही भाई ट्रांजिट कैंप थाने में तैनात है। संजय की मानें तो आज वह काठगोदाम डिपो की बस संख्या यूके ०7 पीए 3185 में सवार होकर काशीपुर से रुद्रपुर के लिए निकला था। रास्ते में बस चालक रामचंद्रन ने बस को रांग साइड में चलाना शुरू कर दिया। इस पर संजय ने ड्राइवर को टोका कि ऐसे कोई हादसा हो जाएगा। इस पर संजय और बस चालक रामचंद्रन के बीच बहस हो गई। आवेश में आकर बस चालक ने लोहे की प्लेट से संजय के सिर पर हमला बोल दिया। जिससे संजय का सिर फट गया और वह बुरी तरह लहूलुहान हो गया। घटना की जानकारी मिलते ही कोतवाली पुलिस मौके पर जा पहुंची और चालक को हिरासत में लेने के साथ ही बस को भी कोतवाली में खड़ा कर दिया। इधर, जानकारी पर संजय का सिपाही भाई भी कोतवाली पहुंच गया। कुछ देर बाद ही पैरवी के लिए रोडवेज के अधिकारी भी कोतवाली जा पहुंचे। इस बीच पुलिस के बड़े अफसरों से लेकर कोतवाली स्तर तक के अधिकारी एक नेता के साथ कोतवाली परिसर में बैठे धूप सेंक रहे थे। इधर, रोडवेज के अधिकारी संजय पर दवाब डाल रहे थे कि वह समझौता कर ले। अभी दोनों पक्षों में इसको लेकर बहस ही चल रही थी कि तभी पुलिस के तीरअंदाज अधिकारी अधीनस्थ के साथ मौके पर आ पहुंचे और उन्होंने सभी को धक्का देकर कोतवाली से बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया।

इसी बीच किसी ने सादी कपड़ों और हरी जैकेट में मौजूद सिपाही की ओर इशारा कर दिया। फिर क्या पुलिस अधिकारी ने सिपाही को गिरेबान से पकड़ कर खींचा और पीटना शुरू कर दिया। कोतवाली के अंदर उस पर एक के बाद एक थप्पड़ों की बरसात शुरू कर दी। इसके बाद सिपाही को उस स्थान पर बिठा दिया गया जहां अन्य आरोपियों को बैठाया जाता है।

एएसपी देवेंद्र पींचा ने बताया कि घटना के समय वो कोतवाली में ही मौजूद थे। सिपाही के साथ मारपीट नहीं की गई है, बल्कि गलतफहमी की वजह से उसे डांट फटकार लगाई गई थी। जिस मामले की वजह से यह घटना घटित हुई है उसकी जांच की जा रही है।

नए साल से सरकारी अस्पतालों में इलाज होगा महंगा

ऋषिकेश। नए साल में सरकारी अस्पतालों में इलाज महंगा होने जा रहा है। 1 जनवरी से प्रदेश के सभी सरकारी अस्पताल में मरीज को 10 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ भुगतान करना होगा,जिसमें अस्पतालों में रजिस्ट्रेशन, पैथोलॉजी, रेडियोलोजी और सभी तरह की जाँच महंगी हो जाएंगी। ऋषिकेश का सरकारी अस्पताल जो कि पुरे गढ़वाल क्षेत्र को स्वास्थ्य सेवाएं देता है और पहाड़ से लोग इलाज के लिए ऋषिकेश का रुख करते हैं ऐसे में राजकीय हॉस्पिटल में इलाज महंगा होगा तो लोग कहां जाएंगे,सरकार के इस फैसले से लोगों में भी नराजगी देखी जा रही है।

नए साल में जहाँ सरकार अपने लोगों को तोहफे देती है तो वही प्रदेश सरकार ने प्रदेशवासियों को नए साल में महंगा इलाज देने जा रही है। जी हाँ हम बात कर रहे है प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की जहाँ एक जनवरी से इलाज महंगा होने जा रहा है, अभी तक सरकारी अस्पताल सस्ते इलाज के लिए जाना जाता रहा है लेकिन 2018 से यहाँ रजिस्ट्रेशन से लेकर इलाज तक 10 फीसदी की बढ़ोतरी होने जा रही है, जिससे आने वाले साल में यहाँ इलाज कराने के लिए पहुंचने वाले लोगों की जेब पर असर पड़ेगा। तो वहीँ ऋषिकेश राजकीय अस्पताल के सीएमएस का कहना है कि की यह सरकार की पॉलिसी है और हर साल जनवरी से 10% बढ़ोतरी चार्जेस में होती आई है और जहां तक रही बात गरीब तबके की उन लोगों को बीपीएल कार्ड के साथ मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएगी।आपको बता दे की प्रदेश के सभी सरकारी हॉस्पिटलों में अल्ट्रासाउंड के शुल्क अब 389 से बढ़कर 428 रुपए हो जाएगा, इसी तरह पंजीकरण शुल्क 19 से बढ़कर 21 हो जाएगी, इसके अलावा खून की जांच, एक्स-रे, सामान्य एक्स-रे, डिजिटल हीमोग्लोबिन की जांच, थायराइड ब्लड शुगर ईसीजी भर्ती शुल्क, सीटी स्कैन आदि सभी तरह की जांचों में बढ़ोतरी हो जाएगी।

आपदा की दृष्टि से उत्तराखंड संवेदनशील प्रदेश है और यहां के अस्पतालों का बुरा हाल है। 50% से ज्यादा डॉक्टर के पद खाली हैं इसके अलावा अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाओं का भी टोटा है। इन समस्याओं के बीच इस तरह इलाजों के शुल्क को बढ़ाना कहीं न कहीं आम लोगों के लिए झटके से कम नहीं है। लोगों का साफ़ तौर पर कहना है की सरकार महंगाई को कम करने की बात कह रही है लेकिन महंगाई लगातार बढ़ती जाती है और इस तरह से सरकारी अस्पतालों में इलाजों को महंगा कर देना सरकार की बड़ी गलती है।अब गरीब लोग ईलाज के लिए कहाँ जायेंगे। उत्तराखंड में स्वास्थ सेवाओं को बेहतर करने के लिए प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की दशा में सुधार लाना होगा, इस तरह इलाजों के शुल्क को बढ़ाने से स्वास्थ सेवाएं दुरुस्त नहीं होंगी। इसके साथ साथ यहाँ स्वास्थ्य की मूलभूत सुविधाएं मौजूद होनी चाहिये, जिससे उत्तराखंड के लोगों को बेहतर इलाज के लिए महानगरों का रुख ना करना पड़े और उन्हें अपने पास में ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके।