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बिल वसूली के लिए मुनादी करेगा जल संस्थान

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देहरादून। तकरीबन 26 करोड़ का पानी का बकाया की वसूली के लिए जल संस्थान मुनादी शुरु करने जा रहा है। इसके लिए पानी के बिल के बकाएदारों को सरकार की ओर से सरचार्ज में छूट देने के चलते जल संस्था ने पानी के बिल का बकाया वसूलने के लिए एक जनवरी से जगह-जगह कैंप लगाने का फैसला लिया है। साथ ही जो भी बकाएदार बकाया जमा नहीं करेगा, उसका कनेक्शन काट दिया जाएगा।

बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया था कि 31 जनवरी तक पानी व सीवर का बकाया जमा करने पर सरचार्ज नहीं लिया जाएगा। 31 जनवरी के बाद 15 दिन बाद बकाया देने पर 75 फीसदी छूट और 31 मार्च तक बकाया जमा करने पर 50 फीसदी छूट दी जाएगी। इस फैसले के चलते जल संस्थान बड़े स्तर पर बकाएदारों से बकाया वसूलने को बड़े स्तर पर कैंप लगाएगा। इसके लिए जल संस्थान ने पूरी तैयारी कर ली है। जल संस्थान के अधिशासी अभियंता मनीष सेमवाल ने बताया कि एक जनवरी से कैंप लगने शुरू होंगे। जगह-जगह कैंप लगाए जाएंगे। मौके पर बकाएदारों से बकाया वसूला जाएगा। अगर कोई फिर भी बकाया नहीं देगा, तो उसके घर का पानी का कनेक्शन काट दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिन पर भी पांच हजार व उससे अधिक बकाया है, उन लोगों की आरसी भी जारी कर दी गई है।

राज्य में 2022 तक सभी बेघरों का आवास : सीएस

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देहरादून। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2022 तक सभी बेघरों को आवास मुहैया कराया जाएगा। स्व स्थान पर किफायती आवास, भागीदारी में किफायती आवास और लाभार्थी आधारित आवास के जरिये आवास उपलब्ध कराए जाएंगे। इस बारे में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने गुरुवार को राज्य स्तरीय स्वीकृत एवं मॉनिटरिंग समिति की अध्यक्षता की। निर्देश दिए कि इस कार्य में तेजी लाई जाए, इससे की वर्ष 2022 तक लक्ष्य को हासिल किया जा सके।

बैठक में उन्होंने कि यह योजना राज्य के 92 स्थानीय नागर निकायों में लागू की जा रही है। ऐसे लोगों को आवास दिया जाएगा जो बेघर हैं। महिला या पुरुष मुखिया के संयुक्त नाम से आवास दिया जाएगा। किए गए सर्वेक्षण के अनुसार 104761 आवासों की मांग है। बताया गया कि लाभार्थी आधारित निर्माण के अंतर्गत 30 वर्ग मीटर कारपेट एरिया में नए आवास बनाए जाएंगे। इस श्रेणी में 23458 व्यक्तिगत आवास बनाये जाने हैं। इनमे से 2290 आवासों का निर्माण इस समय चल रहा है। भागीदारी में किफायती आवास के तहत जिनके पास जमीन नही है, उन्हें निजी सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी से आवास दिए जाएंगे। बताया गया कि ऋण से जुड़े अनुदान द्वारा किफायती आवास श्रेणी में कम ब्याज दर पर ऋण और अग्रिम ब्याज अनुदान राशि का भुगतान कर आवास बनवाये जाएंगे। इसके लिए बैंकवार लक्ष्य तय किया गया है। स्व स्थाने मलिन बस्ती पुनर्विकास के तहत पात्र स्लमवासियों को सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा एमडीडीए और हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण द्वारा भी सस्ते दर पर आवास बनाए जा रहे हैं। बैठक में सचिव शहरी विकास नितेश कुमार झा, अपर सचिव विनोद सुमन, अपर सचिव आवास सुनिल पांथरी समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

ऊर्जा निगम को लग सकती है यूईआरसी की फटकार

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देहरादून। ऊर्जा निगम ने लंबित कनेक्शन की रिपोर्ट देने के लिए यूईआरसी से हफ्तेभर का वक्त मांगा था। लेकिन अभी तक भी रिपोर्ट नहीं दी गई है। उपभोक्ता सेवाओं से जुड़े मामलों की दो जनवरी को सुनवाई है, इसमें यूईआरसी कड़ी फटकार लगा सकता है। साथ ही यूपीसीएल उच्चाधिकारियों पर व्यक्तिगत जुर्माना आरोपित करने का कड़ा फैसला भी लिया जा सकता है।

उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में लंबित कनेक्शन की रिपोर्ट उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) को एक बार भी नहीं दी है। जबकि, हर महीने लंबित कनेक्शन की रिपोर्ट देने की व्यवस्था है। इसके हिसाब से जुर्माने का निर्धारण होता है। साथ ही यूईआरसी समीक्षा करता है कि समय पर कनेक्शन देने की व्यवस्था सुधर रही है या नहीं। बता दें कि कनेक्शन जारी करने में देरी पर ऊर्जा निगम पर वर्ष 2009 से 2015 तक छह करोड़ रुपये का जुर्माना लगा। जबकि, वर्ष 2016 से 2017 तक आठ करोड़ रुपये जुर्माना लगा। वहीं, यूईआरसी ने अप्रैल में पिछले तीन महीने की रिपोर्ट तलब की थी। इसमें ऊर्जा निगम ने जो आंकड़े पेश किए थे, उन्हें आयोग ने झूठा करार देते हुए कड़ी फटकार भी लगाई थी। इसके बाद से यूईआरसी को रिपोर्ट ही नहीं भेजी गई। यूईआरसी के सचिव नीरज सती ने बताया कि उपभोक्ताओं को समय पर कनेक्शन नहीं मिलने की शिकायतें लगातार आयोग को मिल रही है। लंबित कनेक्शन की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करने को भी गंभीरता से लिया जाएगा। क्योंकि, निगम ने 20 दिसंबर को नोटिस जारी होने के बाद विलंब का कारण न बताते हुए एक सप्ताह का वक्त मांगा था। 

पेट्रोल पंप व फायर स्टेशन स्थापित करने की मांग

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चकराता। जौनसार क्षेत्र में पेट्रोल पंप व फायर स्टेशन न होने से लोगो को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पेट्रोल पंप व फायर स्टेशन स्थापित करने की मागं को लेकर गुरुवार को व्यापार मंडल के अध्यक्ष ने डीएम को पत्र भेजा। उन्होंने पत्र के माध्यम से डीएम से कहा कि जौनसार बावर में दोनों सुविधाएं होना जरूरी है। जौनसार बावर क्षेत्र में डेढ़ लाख की आबादी के लिए न तो पेट्रोल पंप है और न ही अग्निशमन केंद्र जिससे जहां वाहन चालक परेशान है वहीं आग लगने की घटना पर सब कुछ खाक हो जाता है। जब तक सुविधा पहुंचती है तब तक सब खत्म हो जाता है।

पेट्रोल पंप न होने से क्षेत्र में अवैध रूप से पेट्रोल व डीजल की बिक्री भी हो रही है। त्यूणी क्षेत्र दो बार भीषण आग्निकांड से भारी नुकसान हुआ है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि आग से होने वाली घटनाओं को रोकने के साथ ही वाहन चालकों को ईंधन के लिए विकास नगर हरिपुर ना दौड़ना पड़े इसके लिए जल्द ही ये सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए।
इस संबंध में जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन ने कहा के पेट्रोल पंप खोलने के लिए जिला आपूर्ति अधिकारी को चकराता क्षेत्र का सर्वेक्षण करके रिपोर्ट मांगी जाएगी और फायर स्टेशन के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। पत्र में व्यापार मंडल अध्यक्ष विवेक अग्रवाल सहित तीर्थ कुकरेजा, दिनेश, सभासद राजेश तोमर, आनंद राणा,नरेश जोशी आदि ने अपने हस्ताक्षर किए।

प्रतिबंध के बाद भी गंगा घाटों पर धोए जा रहे कपड़े

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हरिद्वार। हरिद्वार के विभिन्न गंगा घाटों पर धोबी समाज के लोगों द्वारा टेन्ट, दरियां एवं गंदे कपड़े प्रतिबंध के बाद भी धोये जा रहे हैं। विभिन्न गंगा घाटों के अलावा जटवाड़ा पुल पर बड़ी संख्या में कपड़े धोने का कार्य लगातार जारी है। ऐसा कर गंगा को और ज्यादा प्रदूषित किया जा रहा है। एनजीटी के सख्त आदेशों के बाद भी शासन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। सामाजिक संस्थायें लगातार गंगा घाटों को स्वच्छ सुन्दर बनाने में सहयोग कर रही हैं, लेकिन कुछ लोगों द्वारा मान मर्यादाओं को ताक पर रखकर टेन्ट की दरियां, टेन्टों की धुलाई की जा रही है।

ज्वालापुर व्यापार मण्डल के विपिन गुप्ता ने कहा कि प्रशासन को गंगा घाटों का संज्ञान लेना चाहिये। गंगा घाटों पर कपड़े धोने के कारण अन्य लोगों की भावनायें भी आहत हो रही हैं। कपड़ों के धोने से मैला कुचैला पदार्थ गंगा के पानी में समाहित हो रहा है। जबकि कुछ लोग घाटों पर गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में गंगा स्नान कर रहे लोगों को भी दिक्कतें झेलनी पड़ती है। स्पर्श गंगा अभियान के संयोजक शिखर पालीवाल ने कहा कि पूर्व में भी गंगा घाटों पर कपड़े धुलने की शिकायत की गई थी। शासन प्रशासन को ऐसे लोगों पर कार्यवाही करनी चाहिये। 

धूम मचा रही है अमित सागर की “चैत की चैताली”

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मशहूर गायक चंद्र सिंह राही की शान में गाये ‘चैत की चैताली’ जागर के अमित सागर के वर्ज़न ने इन दिनों धूम मचा रही है। इस दस मिनट के वीडियो को यू-ट्यूब पर अब तक करीब 44 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं। यही नहीं ये गीत आजकल हर कार्यक्रम, पार्टी, शादी विहाह का हिस्सा बन चुका है। इस गाने की पीछे की आवाज के मालिक अमित सागर ने न्यूजपोस्ट से बातचीत में बताया कि, “मैं बचपन से ही ये गाना सुनता था और अब मैने श्रीनगर में अपने स्टूडियो में गुंजन डंगवाल के साथ मिलकर इस गाने को कुछ अलग रंग देने की कोशिश की है।”

amit sagar

अमित अपने संगीत की प्रेरणा आकाशवाणी नजीबाबाद के निदेशक रहे केशव अनुरागी और चंद्र सिंह राही को मानते हैं। इस गीत के बारे में अमित बताते हैं कि, “ये गीत असरी जागर है जिसे परी जागर भी कहते हैं, इस गीत को चैत के महीने में गाते हैं जब परियां धरती पर आकर नाच गाना करती हैं।”

शास्त्रीय संगीत में एम.ए कर चुके अमित का रुझान बचपन से ही संगीत के प्रति रहा। 11 साल की उम्र में अमित ने दिनेश कृष्ण बेलवाल को अपना गुरू मान संगीत सीखना शुरू कर दिया था। इसके बाद उन्होने पंडित मोहन सिंह रावत और बीरलाल जी से भी संगीत के सुरों का ज्ञान हासिल किया।

अमित बताते हैं कि, “युवा पीढ़ी को पारंपरिक संगीत में कुछ नये प्रयोग भाते हैं और यही कुछ करने की कोशिश अमित करते रहते हैं।”

अमित के इस धूम मचा रहे गीत ‘चैत की चैताली’ का वीडियो जनवरी 2018 में रिलीज होने वाला है। इसके अलावा इन दिनों अमित मशहूर संगीतकार लेज़ली लुईस के साथ काम कर रहे हैं औऱ जल्द अमित का नया गाना भी उनके फैंस के सामने होगा।

टीम न्यूजपोस्ट की तरफ से अमित सागर को आने वाले संगीत और समय के लिये शुभकामनाऐं।

उड़ान नहीं भर पा रही सरकार की “होमस्टे स्कीम”

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पलायन रोकने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के मकसद से शुरू की गई राज्य सरकार की “होम स्टे” परियोजना कुछ खास कमाल करती नही दिख रही है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि पिछले साल फरवरी में शुरू की गी इस स्कीम में अब तक 300 से भी कम लोगों ने रेजिस्ट्रेशन कराया है।

होमस्टे स्कीम के तहत पर्यटकों के लिये गांलवों में लोगों के घरों में कमरे किराये पर देने की सुविधा मुहैया कराई गई थी। इस योजना की शुरुआत उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने कम दामों में लोगों को रिहाईसी सुविधा और राज्य के आम लोगों से पर्यटकों के जुड़ने के कवायद के तौर पर शुरु किया था। इसके साथ साथ इस योजना का मकसद लोकल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का भी था।

लेकिन यूटीडीबी के अनुसार अबी तक इस स्कीम के लिये केवल 268 लोगों ने ही रेजिस्ट्रेशन कराया है। इसमें

  • टिहरी में 65
  • अल्मोड़ा में 63
  • देहरादून में 53
  • नैनीताल में 40 लोगों ने ही रेजिस्ट्रेशन करवाया है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य के आधे से ज्यादा जिलों में ये आंकड़ा डबल डिजिट का भी नही है। इनमें

  • हरिद्वार 5
  • पिथौरागढ़ 5
  • उधमसिंह नगर 2
  • पौड़ी 2
  • चंपावत 2
  • चमोली 2
  • रुद्रप्रयाग 1 है।

वहीं एक्सपर्ट का मानना है कि अगर यह होमस्टे की योजना अमल में लाई गई तो इसके परिणम उम्दा होंगा क्योंकि उत्तराखंड के पास पर्यटन में अपार संभावनाएं हैं।पहले तो सरकार को क्षेत्रीय लोगों तक यह बात पहुंचानी होगी कि ऐसी कोई योजना है।दूसरी बात होमस्टे के लिए जाने वाले लोगों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना भी बहुत जरुरी है।इसके लिए अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों को ट्रेनिंग देने की आवश्यकता है जिनके पास होमस्टे की सुविधा दी जाएगी।होटल और रेस्टोरंट एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप साहनी ने टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में बताया।

वहीं उत्तराखंड टूरिज्म डेवलेपमेंट बोर्ड के सीनियर रिसर्च ऑफिसर एस.एस सामंत ने बताया कि, “25 फरवरी 2016 जब ये यह नियम आए हैं अब तक कुल 285 होमस्टे रजिस्टर हुए हैं।यह कहना गलत होगा कि लोगों का रुझान होमस्टे की तरफ नहीं हैं।हम लोगों ने अपनी तरफ से जिला स्तर,सरकारी स्तर,तहसील स्तर पर और अपने जिला टूरिस्ट ऑफिस के जरिए होमस्टे के बारे में लोगों को जागरुक किया है।इतना ही नहीं इसकी मार्केटिंग के लिए ओयो रुम,यात्रा डॉट कॉम के साथ टाईअप किया है।इसके अलावा देहरादून और उधमसिंह नगर में 2-4 वर्कशॉप और ट्रेनिंग भी दी गई है।हमारी सोच है कि जैसे-जैसे हमें ग्राउंड लेवल से फीडबैक मिलेगा हम उसपर और काम करेगें।इस समय अल्मोड़ा के पास सबसे ज्यादा होमस्टे है।

गुलदार ने 27 बकरियों को बनाया निवाला

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चकराता,  जौनसार बावर क्षेत्र के दाबला गांव में गुलदार ने एक पशुपालक की 26 बकरियों को निवाला बना डाला। साथ ही 12 बकरियों को घायल कर दिया। इसके अलावा चारा लेने गई कई महिलाओं को भी घायल कर चुका है। गांव के लोग पूरी तरह भयभीत हैं।

गुलदार ने दाबला गांव के एक पशुपालक की 26 बकरियों को गोशाला में मारने के साथ ही 12 बकरियों को घायल कर दिया। बतया जा रहा है कि इससे पहले जंगलों में चारा लेने गई महिलाओं पर भी गुलदार हमला कर चुका है। लोगों में भय बना हुआ है। क्षेत्र के लोगों ने वन विभाग से गुहार लगाते हुए गुलदार को पकड़ने के साथ ही मारे गए मवेशियों का मुआवजा दिलाने की मांग की है।

ग्रामिणों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह से जौनसार बावर क्षेत्र में जगह-जगह गुलदार ने आतंक मचा रखा है। बुधवार रात चकराता वन विभाग के अंतर्गत क्वांसी के समीप दाबला गांव निवासी पशुपालक किशन सिंह की 50 बकरियां गांव के समीप लीली छानी गौशाला में बंद थीं। रात को गुलदार ने दरवाजा तोड़कर एकसाथ 26 बकरियों को खा गया। जबकि 12 बकरियों को घायल कर दिया।

गुरुवार की सुबह किशन सिंह बकरी खोलने गया तो दंग रह गया। उसके आगे अब परिवार के भरण-पोषण की समस्या पैदा हो गई है।ग्रामीणों के अनुसार भगासा, कोटा, मुडमाण गांव के जानवारों को भी गुलदार अपना निवाला बना चुका है। गांव वालों ने डीएफओ चकराता दीप चंद आर्य से गुहार लगाते हुए छतिपूर्ति दिलाने के साथ गुलदार को पकड़ने की मांग की है। डीएफओ ने कहा है कि संबंधित रैंज अधिकारी से तुरंत मौके पर जाकर रिपोर्ट मांगी गई है, ताकि जल्द ही पशुपालकों को मानकों के अनुरूप सहायता दी जा सके।

औली विंटर गेम्स में कोताही नही होगी बर्दाश्त: मुख्य सचिव

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मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने फिस (फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल स्कीईंग) रेस के बारे में बैठक की। औली से मौका मुआयना कर देहरादून लौटने के बाद उन्होंने विंटर गेम्स ऑफ इंडिया, विंटर गेम्स एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के पदाधिकारियों, पर्यटन, जीएमवीएन, आईटीबीपी के अधिकारियों के साथ फिस रेस का रोड मैप तय किया। औली में मौके पर पाई गई कमियों को फौरी तौर पर दूर करने की हिदायत दी। कहा कि तीन तकनीकी विशेषज्ञ और एक कोऑर्डिनेटर आयोजन होने तक लगातार औली में रहेंगे।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि तकनीकी विशेषज्ञ सभी उपकरणों, मशीनों और अन्य बुनियादी जरूरतों की जांच कर पर्यटन विभाग को जल्द रिपोर्ट दें। यह प्रमाण पत्र भी देना होगा कि उपकरण सुचारू रूप से कार्य कर रहे हैं। विंटर गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और विंटर गेम्स एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड की जिम्मेदारी होगी कि फिस रेस के सभी इंतेजाम समय से पूरे हो जाएं। शासन स्तर पर तैयारियों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि किसी भी स्तर पर कोताही बर्दाश्त नही की जाएगी। कहा कि आयोजन समिति, तकनीकी समिति, व्यवस्था समिति और संबंधित अधिकारी आपस में ताल मेल से कार्य करें। बैठक में ऑपरेटर, ग्रूमर की तैनाती, बर्फ बनाने के कार्य का हर  रोज अनुश्रवण, प्रतिभागियों के ले जाने,ठहरने, खाने की व्यवस्था सहित सभी विन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। बताया गया कि अभी तक फ्रांस, इटली, अफगानिस्तान, नेपाल, तजाकिस्तान, लक्समबर्ग देशों के भाग लेने की सूचना मिली है। इसके अलावा भारत के भी 70 स्कीयर्स भी भाग लेंगे।
गौरतलब है कि फिस रेस भारत में पहली बार हो रही है। इस आयोजन का मौका उत्तराखंड को मिला है। इस रेस के क्वालीफाइंग अंकों के आधार पर प्रतिभागी ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भाग ले सकेंगे।

सांस्कृतिक मूल्यों को जीवन में अपनाएं: राज्यपाल

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देहरादून,  शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रमों से स्कूली बच्चों में एकता की भावना विकसित होती है। देश की विशिष्टताओं के बारे में पता चलता है। खासतौर पर उन्हें दूसरे प्रांतों के लोगों को स्कूली बच्चों से सम्पर्क करने और विचार-विनिमय का मौका मिलता है। शैक्षणिक भ्रमण के तहत गुरुवार को देहरादून आए बेंगलुरु के केंद्रीय विद्यालय के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए राज्यपाल डॉ कृष्ण कांत पॉल ने यह बातें कहीं।

राज्यपाल ने कहा कि हमारा देश एक है, हमारी संस्कृति एक है। भाषा, खान-पान व रीति-रिवाजों की विभिन्नता, हमारी संस्कृति की समृद्धता को बताती है। हमारी सबसे बड़ी विशेषता हमारे सांस्कृतिक मूल्य हैं। जीवन में इन सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखना है। सरकार का प्रयास है कि समाज का कोई भी वर्ग विकास के पथ पर पीछे न छूटे। हर बच्चे को शिक्षा व जीवन में उन्नति के समान अवसर प्राप्त हों। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भारत-श्रेष्ठ भारत के लिए अनेक पहल की हैं।

स्वच्छ भारत मिशन भी ऐसी ही महत्वपूर्ण पहल है। बच्चे स्वच्छता अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अगर हम अपने आस पास के स्थानों व सार्वजनिक स्थलों को स्वच्छ रखें तो स्वतः ही पूरा भारत स्वच्छ हो जाएगा। राज्यपाल ने बच्चों से बातचीत करते हुए भ्रमण के अनुभव के बारे में पूछा। बच्चों से उनकी पढ़ाई व करियर की योजना के बारे में भी जानकारी ली। उन्होंने बच्चों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकमानाएं दीं।