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जमीनी विवाद में दो भाईयों में खूनी संघर्ष

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रुद्रपुर,जमीनी रंजीश में परिवार के दो सगे भाई ही एक दूसरे के खून के प्यासे बन गये, बंटवारे की जमीन पर निगाह गड़ाए बैठे सगे भाई ने अपने बेटों के साथ मिलकर ही अपने ही भाई पर कातिलाना हमला कर दिया। जिससे वह ग्भीर घायल हो गया। जिसको अस्पताल सरकारी में भर्ती कराया गया है।

किच्छा के प्रतापपुर डेरा में रहने वाले रामायन प्रसाद अपने परिवार के साथ रहता है उसके पास ही उसका छोटा भाई भी रहता है जिनके बीच लम्बे समय से जमीनी विवाद चल रहा था, लेकिन अक्सर विवाद होता रहता है। बताया जाता है कि बीती शाम करीब साढ़े पांच बजे रामायन प्रसाद अपने खेतों की ओर जा रही नाली में उगी घास को साफ कर रहे थे। इसी बीच उसका भाई अपने दोनों पुत्रों के साथ मौके पर पहुंच गए और विवाद शुरू हो गया। देखते ही देखते भाई रामायन पर हावी हो गया और अपने बेटों संग उसे पीटना शुरू कर दिया। पहले तो उसे लाठी डंडों से पीटा और फिर सिर पर फावड़े से हमला कर दिया। जिससे वह बुरी तरह लहूलुहान हो गया। चीख पुकार सुन दौड़ी रामायन की पत्नी कलावती देवी को भी तीनों बुरी तरह धुन डाला और मौके से भाग निकले। आनन फानन में दौड़े रामायन के बेटे अश्वनी ने पुलिस को सूचना देने के साथ पिता को 108 एंबुलेंस की मदद से जिला अस्पताल में भर्ती कराया।

डाक्टरों ने हड़ताल कर जताया विरोध

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रुद्रपुर, आईएमए के आह्वान पर जिले के सभी निजी डाक्टरों ने मंगलवार को 12 घंटे ओपीडी ठप रखकर सांकेतिक प्रदर्शन किया। डाक्टर एमसीआई को भंग करके एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) लाने का विरोध कर रहे थे। डाक्टरों का कहना था कि एनएमसी से चिकित्सा शिक्षा महंगी हो जाएगी और उपचार भी महंगा हो जाएगा। कहा कि सरकार को हिन्दुस्तान की शिक्षा पर भरोसा नहीं है।

आईएमए के आह्वान पर जिला मुख्यालय समेत जिले भर के डाक्टरों ने मंगलवार को ओपीडी ठप रख कर एनएमसी का विरोध जताया। एनएमसी के विरोध में देश भर के डाक्टरों ने बीती छह जून को दिल्ली में धरना देकर विरोध जताया था। आईएमए के मीडिया प्रवक्ता डा. राजीव सेतिया ने बताया कि एनएमसी बिल पारित होने के बाद प्राइवेट मेडिकल कालेजों को यह अधिकार होगा कि वह सीटें अपनी मर्जी से बढ़ा सकते हैं। सरकार सिर्फ 40 फीसदी मेडिकल सीटों का शुल्क तय करेगी। शेष सीटों के शुल्क को तय करने का अधिकार प्राइवेट स्कूलों को होगा। उन्होंने आशंका जताई कि प्राइवेट मेडिकल कालेजों का हाल इंजीनियरिंग कालेजों की तरह होगा।

एनएमसी में यह व्यवस्था होगी कि मेडिकल कालेज में किसी भी कमी पर पांच करोड़ देकर प्रबंधन छूट जाएगा। यह धनराशि वह मेडिकल के छात्रों से वसूल करेगी। एनएमसी में सिर्फ पांच राज्यों का प्रतिनिधित्व होगा। राज्य के प्रतिनिधि सिर्फ सलाहकार की भूमिका में होंगे। उनके सारे अधिकार छिन जाएंगे।

डा. सेतिया ने बताया कि एनएमसी में क्रास पैथी का घालमेल होगा। सरकार ने यह व्यवस्था की है कि मार्डन मेडिशन के लिए किसी भी पद्धति से शिक्षा पाए डाक्टर तीन महीने का ब्रिज कोर्स करके प्रैक्टिस करने का अधिकार होगा। मसलन होम्योपैथी अथवा आयुर्वेदिक पद्धति के डाक्टर एलोपैथी का दवाएं लिख सकेंगे। कहा कि ऐसे में सालों पढ़ाई करके एमबीबीएस करने वाले और होम्योपैथी से पढऩे वाले एक ही श्रेणी में खड़े होंगे तो चिकित्सा का स्तर कहां पहुंच जाएगा।

गंगा में फंसे पर्यटकों को सुरक्षित निकाला

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ऋषिकेश। त्रिवेणी घाट पर सोमवार दोपहर को गंगा का जल स्तर आचानक बढ़ गया। इस बीच करीब 30 पर्यटक नदी के बीच टापू पर फंस गए। हालांकि जल पुलिस की टीम ने सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
जल पुलिस के जवान महावीर सिंह नेगी ने बताया कि नदी का जल स्तर टिहरी बांध से पानी छोड़ने के कारण अचानक काफी बढ़ गया था। इससे कुछ समय पहले दोपहर 1:30 बजे गंगा के बीच में बने टापू पर करीब 30 पर्यटक गए थे।अचानक जल स्तर बढ़ने से वे चिल्लाने लगे। आवाज सुनकर घाट पर तैनात पुलिसकर्मी मुकेश गौड़, पंकज जखमोला, दीपक रावत, अनिल चौधरी ने सभी लोगों को सुरक्षित गंगा की धारा से बाहर निकाल लिया।

साल के पहले दिन मरीजों की संख्या कम रहने से डॉक्टरों ने ली राहत की सांस

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देहरादून। साल के पहले दिन दून अस्पताल (दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय) की ओपीडी में मरीजों का भारी टोटा रहा। करीब एक बजे यानी नियत वक्त से दो घंटे पहले ही ओपीडी में सन्नाटा पसर गया। सोमवार को ओपीडी लगभग आधे पर सिमट गई। ओपीडी में महज 850 मरीज पहुंचे, जबकि आमतौर पर अस्पताल में ओपीडी डेढ़ से दो हजार के बीच रहती है। दून महिला अस्पताल में भी बेहद कम मरीज पहुंचे। ऐसे में मरीजों का जबरदस्त दबाव झेलने वाले डॉक्टरों ने साल के पहले दिन राहत की सांस ली।

आमतौर पर लोग साल के पहले दिन अस्पताल जाने से परहेज करते हैं। इसका असर सोमवार को दून अस्पताल में भी दिखा। आम दिनों में मरीजों से ठसाठस रहने वाली अस्पताल की ओपीडी, पैथोलॉजी, पंजीकरण, दवा व बिलिंग काउंटर दिनभर खाली रहे। यहां इक्का-दुक्का मरीज ही दिखाई दिए। एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड सहित अन्य जगह भी यही हाल था। यह हाल तब था जब साल का ही नहीं बल्कि सप्ताह का भी यह पहला दिन था। वहीं, दून महिला अस्पताल में भी काफी कम संख्या में मरीज पहुंचे। यहां रोजाना की ओपीडी 300 तक रहती है, लेकिन साल के पहले दिन यह आंकड़ा आधा हो गया। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के अनुसार साल के पहले दिन ज्यादातर लोग अस्पताल से परहेज करते हैं। इसके चलते मरीजों की संख्या काफी कम रही। पिछले कई वर्षों में मरीजों की इतनी कम संख्या पहली बार देखी गई है। 

नए साल के हैंगओवर ने पहुंचा दिया अस्पताल

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देहरादून। नए साल के जश्न में सुरा का सुरूर कुछ लोगों के सिर ऐसा चढ़ा कि उन्हें अस्पताल का रास्ता देखना पड़ा। पार्टियों में शराब व नशे के सेवन के कारण सोमवार को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऐसे कई मरीज पहुंचे। कुछ डॉक्टर को दिखाकर वापस लौट गए तो कुछ लोगों को भर्ती भी करना पड़ा। नए साल का हैंगओवर उनपर भारी पड़ा।

वर्ष 2017 की विदाई और 2018 के आगमन की खुशी में क्या युवा और क्या बुजुर्ग, हर किसी ने जमकर जश्न मनाया। जश्न में डीजे और सुरा के सुरूर में युवा जमकर थिरके, लेकिन अत्याधिक शराब पी लेने के कारण उन्हें अस्पताल का मुंह देखना पड़ा। कुछ देर रात अस्पताल दौड़े और कुछ साल के पहले दिन। मेडिकल कॉलेज अस्पताल की इमरजेंसी में ही लगभग बीस लोग ऐसे पहुंचे। जबकि दो युवा तो बेहोशी की हालत में लाए गए। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि अस्पताल ने पहले से ही बेड आदि की अतिरिक्त व्यवस्था कर रखी थी। थर्टी फस्र्ट नाइट को अत्याधिक शराब पीने और डीहाईड्रेशन का शिकार लोग ज्यादा आए। 

पुलिस की मुस्तैदी ने बनाया मसूरी के लिये सच में “हैप्पी न्यू ईयर”

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2017 को जाते जाते मसूरी और मसूरी के लोगों को एक अच्छी यादगार दे गया। 31 दिसंबर की शाम को शहर में पुलिस के बेहतरीन तालमेल और इंतजामों के चलते मसूरी वासी और यहां आये पर्यटक साल की आखिरी शाम का लुत्फ उठा सके। सीजन के समय ट्रैफिक जाम और बदहाल व्यवस्थाओं को लिये मशहूर हो चुके मसूरी के लिये ये मौका पिछले दस सालों के न्यू ईयर ईव से बेहतर रहा।

न्यूजपोस्ट से बात करते हुए डीआईजी ट्रैफिक केवल खुराना ने बताया कि, “इस बार देहरादून और मसूरी में पीएसी की एक कंपनी तैनात की गई थी। इसके साथ ही सिटी पेट्रोल युनिट की चार टीमें भी लगाई गई थीं। सभी थानों और चौकियों को सड़कों पर यातायात और हुड़दंगियों पर नज़र रखने के निर्देश दिये गये थे।”

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मसूरी के सभी एंट्री और एक्सिट प्वाइंट पर प्रशिक्षित पुलिस बल की तैनाती और साथ साथ शहर की तंग गलियों और अन्य इलाकों में पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती ने ये सुनिशतचित किया कि शहर में जश्न के माहौल में भंग न डले।

खुराना ने बताया कि, “31 तारीख से चार दिन पहले ही हमने देहरादून और यहां से आगे जाने वाले रास्तों पर शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के लिये चैकिंग शुरू कर दी थी। इसके चलते भी शराब पीकर गाड़ी चलाने की घटनाओं में कमी आई।”

इस बार नये साल की सुबह में मसूरी में ट्रैफिक जाम और हुड़दंग की खबरें सुर्खियां नहीं बन सकी। इसके पीछे कारण रहा सैकड़ों पुलिस कर्मियों और अधिकारियों का घंटों शहर की सड़कों और अन्य इलाकों में मुस्तैदी से मौजूद रहना। इस बात की तस्दीक मसूरी में सालों से रहने वाले लोगों ने भी की। मसूरी निवासी रजत अग्रवाल का कहना है कि, “इतने सालों में ये पहला मौका था जब मसूरी में इतनी बेहतरीन ट्रैफिक व्यवस्था देखने को मिली। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में भी मसूरी में इस तरह के इंतजाम देखने को मिलेंगे।”

 

17 साल में 374 फीसद बढ़ी बिजली की खपत, उत्पादन मात्र 30 फीसद

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देहरादून। उत्तराखंड बनने के बाद 17 सालों में बिजली की खपत 374 फीसद बढ़ी है, जबकि बिजली उत्पादन में महज 30 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है। उपभोक्ताओं की संख्या में 150 फीसद इजाफा हुआ है। और, इसी स्थिति के अनुरूप सुखुद ये है कि जैसे-तैसे बिजली मांग करीब-करीब पूरी हो रही है।

राज्य गठन के बाद कोई बड़ी नई परियोजना शुरू नहीं हुई। जल विद्युत निगम की 1284 मेगावाट क्षमता की 13 परियोजना हैं, वही राज्य गठन के वक्त थी। परियोजनाओं के आधुनिकरण, नवीनीकरण एवं मेंटीनेस से ही उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुई है। उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा ने बताया कि हर साल करीब 80 हजार से एक लाभ नए उपभोक्ता जुड़ते हैं। बिजली की कोई कमी नहीं है और ग्रामीण क्षेत्रों तक भी में कटौती नहीं हो रही।

उद्योगों में आधी बिजली
कुल खपत में से आधी बिजली उद्योगों में खप रही है। राज्य में करीब 12 हजार औद्योगिक उपभोक्ता हैं। इनमें वर्ष 2016-17 में 5808 मिलियन यूनिट बिजली की खपत हुई। जबकि, कुल बिजली खपत 10571 मिलियन यूनिट रही।

2001- 2017
बिजली खपत, 2229, 10571 (मिलियन यूनिट)
बिजली उत्पादन, 3067, 4379 (मिलियन यूनिट)
उपभोक्ता, 8.40, 20.94 (लाख)

40 फीसद बढ़े बिजली के दाम
राज्य बनने के बाद बिजली के दाम औसतन 3.36 रुपये प्रति यूनिट थे। जबकि वर्तमान बिजली दर 4.72 रुपये प्रतियूनिट है। इस हिसाब से 40.48 फीसद इजाफा हुआ है।

बच्चों को उन्हीं की भाषा में समझाने के लिये बनी हैं ये फिल्में

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सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाये जाने के लिये साथ ही साथ जागरुकता के दृष्टिगत यातायात निदेशालय उत्तराखण्ड पुलिस ने बच्चों को बच्चों की भाषा में समझाने के लिये 2D/3D पिक्चरें तैयार करवायी है। 2 से 3 मिनट की ये  3D पिक्चरें बच्चों को यातायात नियमों के पालन करने पर उनके सुरक्षित जीवन के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से तैयार की गयी है।

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इनमें से एक पिक्चरें में 18 वर्ष से कम आयु का एक कुशाग्र बुद्धि का बच्चा है प्रौद्योगिकी संस्थान प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा होता है। परीक्षा के बाद एक दिन उसके पिताजी द्वारा उसे मोटर साईकिल दी गयी जिसे वह अपने 2 दोस्तो के साथ रैश ड्राईविंग करते हुये हुड़दंग मचाते हुये बिना हेलमेट के चलाता है, इसी बीच उस युवक का एक्सीडेंट हो जाता है। हेलमेट न पहनने के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है। मृत्यु होने के अगले दिन ही उसकी आय.आय.टी में चयन होने का परिणाम भी आ जाता है। एक ऐसा युवक जिसका उज्जवल भविष्य रहता है लेकिन बिना हेलमेटतीन सवार एवं रैश ड्राईविंग के कारण असामयिक मृत्यु का शिकार हो जाता है जिससे उसका परिवार बिखर जाता है।

दूसरी  फिलम  में एक यातायात पुलिसकर्मी को किन परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी करनी पडती हैदर्शाया गया है। बच्चों में जागरुकता के उद्देश्य से तैयार की गयी मूवी को शिक्षा विभाग से सम्पर्क कर सभी स्कूल को प्रेषित किया जायेगा ताकि वे यातायात नियमों के प्रति स्वयं भी जागरुक हो तथा अपने माता-पिता एवं रिश्तेदारो को भी जागरुक करे, यह सत्य है कि यदि बच्चों को सही तरीके से सिखाई  गयी बात का प्रभाव जीवन भर रहता है।

निदेशक,यातायात ने बताया कि ऐसी 10 अलग-अलग विषयों पर यातायात जागरुकता से सम्बन्धित फिलम बनायी जायेगी, जिनहे यातायात निदेशालय की www.uttarakhandtraffic.com पर भी अपलोड किया जा रहा है।

पारंपरिक अंदाज में कैद कीजिये अपनी शादी के यादगार पलों को

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शादी के अनमोल पलों को तस्वीरों में कैद कर हमेशा के लिये जीवित रखना एक बड़ा काम है। खासतौर से आज कल के डिजिटल जमााने में फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम तक अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को आप अपने जीवन के सबसे खास मौके को सही तरीके से पहुंचाना चाहते हैं। यह चलमन मैदान से होते हुए पहाड़ों में भी युवा जोड़ों के बीच खासा प्रचलित हो रहा है। और यही कारण है कि इस तरह के शूट्स के लिये एक कंपनी काम कर रही है जिसका नाम है rajabajafilms.com

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में भी एक नया ट्रेंड आ गया है जो लोगों को खूब भा रहा है, और यह आश्चर्य की बात होगी कि लोगों की डिमांड को पूरा करने के लिए rajabajafilms.com पहली पसंद है। यह वेंचर 25 साल के एक युवा राजा रतूड़ी चला रहे जिसमें वह प्री-वेडिंग शूट कराते है जिसमें तस्वीरें और विडियो से वह युवा जोड़ों के यादगर पल संजोते है, केवल 6 महीने पुरानी यह कंपनी अब हर नए पहाड़ी जोड़ों की पहली पसंद बन चुका है और लोग दूर-दूर से राजा के पास फोटो शूट कराने आ रहे हैं।

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टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में राजा बताते हैं कि, “2-3 साल से मैं गढ़वाली परंपरा को संजोने में लगा हूं, मैने देखा है कि युवा पीढ़ी अपने मूल और संस्कृति से अनभिज्ञ है जिसका दोश हम उनपर नहीं थोप सकते, बच्चे अगर अपने पूर्वजों की जन्मभूमि से दूर होते हैं तो वो अपने परंपराओं और रीति-रिवाजों से भी दूर होते चले जाते हैं।इसकी वजह यह भी है कि वह जिस परिवेश में पलते और बड़े होते हैं उसे ही अपना कर चलते है लेकिन मैं कोशिश कर रहा हूं कि कैसे उन्हें फिर से संस्कृति से जोड़ सकूं।”

7-8 लोगों की समर्पित टीम केवल इस विषय पर काम कर रही है कि कैसे यह अपनी संस्कृति को लोगों के सामने आकर्षक और खूबसुरत दिखाने के साथ-साथ इसको संजो कर पेश कर सकें।इसके लिए राजा जोकि अपनी पढ़ाई बी.एस.सी एनिमेशन और ग्राफिक मोशन में कर चुके हैं वह एक नई सोच के साथ सामने आये। उन्होंने सोचा की वर्तमान में हम कैसे शहरों में रहने वाले युवाओं को आधुनिक तरीकों के माध्यम से अपनी संस्कृति, रीति रिवीज, लोक-गीत, लोक-नृत्य और पहनावें से रुबरु करा सके।बस इसी सोच के शुरु हुए ‘ट्रेडिशनल शूट’ की पहल।शादी करने वाला जोड़ा अपने पहाड़ी पारंपरिक लिबास और गहने पहन कर क्यों ना फोटो शूट करवाएं? अभी तक का रेस्पांस तो अच्छा रहा है 3-4 जोड़ों के हमने ट्रेडिशनल शूट के साथ-साथ ट्रेंडी प्री-वेडिंग विडियो और स्टील शूट किया है, जिसके लिये टीम को बहुत सराहना मिली है ।

हर एक काम की तरह, शुरुआती दिक्कतें राजा और उनकी टीम को भी हुई। लोगों को शुरु में राजी कराना की ट्रेडिशनल ज्वैलरी, लिबास में शूट करे थोड़ी मुश्किल रहा लेकिन जब उसी जोड़े को अपनी फोटो देखने को मिली तो उन्हें वाकई में यह आइडिया बहुत पसंद आया और साथ ही अपनी तस्वीरें भी।

राजा और उनकी टीम के पास प्रोफेशनल कैमरे हैं और यह लोग शूट करने में एक हफ्ते से महीने तक का समय लगाते है जो लोकेशन और फोटो खिंचवाने वाले की पसंद पर निर्भर करता है।राजा बताते हैं कि, “शुरुआती प्री-वेडिंग शूट विडियो के साथ 35 हजार से शुरु होकर लाख तक पहुंच सकता है जो पूरा ही लोकेशन,शादी,अटायर,शूट टाईम और क्लाइंट नीड पर निर्भर करता है।”

तो वो लोग जिन्होंने अब तक यह नहीं सोचा है कि उन्हें इस साल अपनी शादी के लिए किस तरह का फोटोग्राफर चाहिए तो उन्हें ज्यादा देर नहीं करनी चाहिये राजा रतूड़ी और उनकी टीम आपको इस बात की गारंटी देते हैं कि वह आपकी यादों को आपके ही पारंपरिक और अलग अंदाज में जीवनभर के लिए सुंदर तरीके से संजो कर पेश करेगी।

एसआईटी के रडार में गदरपुर और रुद्रपुर के किसान 

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रुद्रपुर, एसआईटी की जांच में अब रुद्रपुर और गदरपुर के किसान भी आ गये है, किसानों से एसआईटी ने पुछताछ कर बारिकी से मुआवजे को लेकर जानकारियां ली, साथ ही 143 को लेकर उनसे गहनता से पुछताछ की। एसआइटी ने गदरपुर तहसील के छह किसानों से छह घंटे तक बंद कमरे में पूछताछ की। साथ ही रुद्रपुर और गदरपुर के आठ किसानों को नोटिस भी भेजा गया, जबकि आज भी गदरपुर और बाजपुर के कुछ किसानों से पूछताछ होनी है।

मुआवजा घोटाले की जांच कर रही एसआइटी जसपुर, काशीपुर और बाजपुर के बाद अब गदरपुर और रुद्रपुर तहसील की जांच में जुट गई है। सोमवार को एसआइटी ने गदरपुर तहसील के छह किसानों को पूछताछ के लिए बुलाया। किसान सुबह 10 बजे एसएसपी कार्यालय पहुंचे और करीब एक घंटे इंतजार करने के बाद उनसे पूछताछ शुरू हुई। पूछताछ सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक चली। इस दौरान एसआइटी ने किसानों से बंद कमरे में भूमि की 143 और मुआवजा से संबंधित सवाल पूछकर बयान दर्ज किए। साथ ही उनके मुआवजा और 143 से संबंधित दस्तावेज भी चेक किए।