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घूसखोरी रोकने के लिए सब रजिस्ट्रार की अनोखी पहल

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रुद्रपुर, उपनिबंधक दफ्तर में अब घूसखोरी पर प्रतिबंध लगाने के लिए सब रजिस्ट्रार महेश द्विवेदी ने अनोखी पहल की है। उन्होंने लोगों को जागरूक करने के लिए तहसील परिसर में लाउडस्पीकर लगवा दिया है, जिसके जरिए यह प्रचार किया जा रहा है कि रजिस्ट्री कराने वाले लोग दलालों के चक्कर में न पड़े, जो धनराशि दी जाए, उसकी रसीद जरूर लें। यदि कोई उनसे अतिरिक्त शुल्क की मांग करें तो उनसे सीधे संपर्क करें। सब रजिस्ट्रार की इस पहल से रिश्वतखोरों में हड़कंप मचा हुआ है।

गौरतलब है कि हाल में ही भ्रष्टाचार की विभिन्न शिकायतों के बाद सब रजिस्ट्रार शिव प्रसाद पांडेय को निलंबित किया गया है। उनके निलंबन के बाद सब रजिस्ट्रार के पद पर ईमानदार छवि के महेश द्विवेदी को तैनात किया गया है। श्री द्विवेदी ने सब रजिस्ट्रार दफ्तर के नाम से दलालों द्वारा ली जाने वाली घूस की रकम पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है। उन्होंने अपनी आवाज में बाकायदा रिकार्डिंग की है कि रजिस्ट्री के नाम पर किसी प्रकार का अतिरिक्त शुल्क न दिया जाए। यह भी स्पष्ट किया है कि रजिस्ट्री दफ्तर में अधिकतम कितनी फीस ली जाती है, कहा है कि रजिस्ट्री के लिए अनाधिकृत व्यक्तियों एवं दलालों के चक्कर में न पड़े तथा सही जानकारी व संपत्ति के सही फोटो ही लगाए जाएं। रिकार्डिंग में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जीरो टारलेंस नीति के तहत जिलाधिकारी से हुई वार्ता के क्रम में लोग सब रजिस्ट्रार दफ्तर में होने वाली किसी भी असुविधा के लिए उनसे सीधे संपर्क कर सकते हैं। इस रिकार्डिंग को तहसील परिसर में बाकायदा लाउडस्पीकर लगा कर प्रचारित किया जा रहा है। यहां बता दें कि सब रजिस्ट्रार दफ्तर में दो प्रतिशत तक की घूस लिए जाने की शिकायतें पहले से ही आम हैं। घूसखोरी रोकने के लिए सब रजिस्ट्रार ने यह प्रभावी कदम उठाया है। सब रजिस्ट्रार के इस कदम से दलालों में हड़कंप मचा हुआ है। सब रजिस्ट्रार उन लोगों से भी बात कर रहे हैं जो रजिस्ट्री कराने उनके दफ्तर में आ रहे हैं। उनसे यह पूछा जा रहा है कि कहीं किसी ने उनसे ज्यादा शुल्क तो नहीं लिया। कहीं दफ्तर के खर्चे के नाम पर घूस की रकम तो नहीं वसूली जा रही है।

निलंबन पर भड़के कर्मचारी, कार्य बहिष्कार व धरना शुरू 

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रुद्रपुर/हल्द्वानी, उच्च शिक्षा निदेशक और दो प्राचार्यों समेत चार के निलंबन से कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। कार्रवाई के विरोध में रुद्रपुर डिग्री कालेज के प्रोफेसरों ने कार्य बहिष्कार किया तो कर्मचारियों ने धरना दिया। वहीं हल्द्वानी में सभी कर्मचारियों ने आज और कल कार्य बहिष्कार का किया ऐलान कर दिया। उच्च शिक्षा निदेशालय और कॉलेज में कर्मचारी धरने पर बैठ गए।

कार्य बहिष्कार से छात्रों के प्रैक्टिकल के साथ ही सभी कार्य बाधित हो गए। कर्मचारियों ने पांच फरवरी से प्रदेश भर में अनिश्चितकालीन हड़ताल की दी चेतावनी है। हल्द्वानी में उच्च शिक्षा निदेशक और प्राचार्य के निलंबन के विरोध में एनएसयूआई ने उच्च शिक्षा मंत्री का पुतला फूंक कर विरोध जताया।

गौरतलब है कि फेल छात्र छात्राओं को नियमों के विपरीत प्रवेश देने के मामले में सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए उच्च शिक्षा निदेशक बीसी मेलकानी, एमबीपीजी कालेज के प्राचार्य डा. जगदीश प्रसाद, देवीधुरा डिग्री कालेज के प्राचार्य डा. एसएस उनियाल समेत चार लोगों को निलंबित किया गया था। बताया जाता है कि हल्द्वानी में हुए छात्र संघ चुनाव में एनएसयूआई की प्रत्याशी मीमांसा आर्य को नियमों के खिलाफ प्रवेश देने का आरोप है। उच्च शिक्षा मंत्री की नाराजगी के बाद यह कार्रवाई की गई है। इसके विरोध में रुद्रपुर डिग्री कालेज में कर्मचारियों ने धरना दिया।

आईपीएल मैचों की फिक्सिंग की जांच वाली याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली, आईपीएल समेत सभी क्रिकेट मैचों पर फिक्सिंग का आरोप लगाते हुए दायर एक याचिका पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर 16 फरवरी को सुनवाई करेगा ।

आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अतुल कुमार ने कहा कि आईपीएल मैच फिक्स हो रहे हैं। उसकी एसआईटी से जांच की जानी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि आईपीएल मैच काले धन का स्रोत हो गया है और इस साजिश को बेनकाब करने की जरुरत है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले पर सहयोग करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र को अपना रुख रखने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वे याचिका की प्रति केंद्र सरकार को उपलब्ध कराएं।

निलंबन से आक्रोश में उच्च शिक्षा अधिकारियों ने शुरु किया आंदोलन

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हल्द्वानी- उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत द्वारा उच्च शिक्षा निदेशक बीसी मेलकानी, हल्द्वानी एमबीपीजी कॉलेज के प्रिंसिपल जगदीश प्रसाद सहित दो अन्य कालेजो के प्रिंसिपल और एक कर्मचारी को निलंबित करने का मामला अब तूल पकड़ गया है।

कर्मचारियों का आरोप है कि पूर्व में छात्रसंघ चुनाव के दौरान एनएसयूआई प्रत्याशी मीमांशा आर्य के नामांकन रद्द करने को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत द्वारा उच्च शिक्षा निदेशक और एमबीपीजी कॉलेज के प्रिंसिपल पर भारी दबाव बनाते हुए उन्हें जमकर फटकार लगाई गयी थी। जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ था।

आज इसके विरोध में हल्द्वानी के उच्च शिक्षा निदेशालय और एमबीपीजी कॉलेज में कर्मचारियों और अध्यापको ने कार्य बहिष्कार करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।  कर्मचारी नेताओ का आरोप है कि यह कार्यवाही बदले की भावना से की गयी है। हालांकि उच्च शिक्षा निदेशक और प्रिंसिपल ने मीमांशा आर्य के नामांकन को रद्द करने से मना कर दिया था जिसका खामियाजा अब इन सभी को निलंबन के रूप में भुगतना पड़ा है।

ऐसे में कर्मचारियों ने मांग की है कि जब तक इन सभी के निलंबन वापस नही लिए जाते तब तक वो कार्य बहिष्कार पर रहेंगे और 5 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे। कर्मचारियों और अध्यापकों के कार्य बहिष्कार कॉलेज में पठन-पाठन की गतिविधि ठप्प हो गई है। वहीं कर्मचारियों के प्रदर्शन के देखते हुए कॉलेज में भारी पुलिस फ़ोर्स तैनात कर दिया गया है।

 

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के तर्ज पर होगी देशभर में बाघों की गिनती

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आने वाले दिनों में देशभर में बाघों की गिनती के लिये वही तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा जो कोर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में पहले लागू की जा चुकी है।

दरअसल बाघों की गिनती के लिये तय मानको में कैमरों की एक जोड़ी लगाने के लिये 4 वर्ग किलोमीटर की ग्रिड बनाई जाती है। वहीं सीटीआर के अधिकारियों ने कैमरे के जाल के लिए 2 वर्ग किलोमीटर की ग्रिड बनाई। अधिकारियों के मुताबिक छोटे ग्रिड होने के कारण, बाघ की संख्या की बेहतर सटीकता से गणना हो सकती है और उनकी निगरानी में भी आसानी होती है।

इस महीने के पहले कॉर्बेट में एक बैठक के दौरान रिजर्व निदेशक को नए कैमरा जाल विधि के बारे में जानकारी दी गई थी, मेहरा ने कहा कि,”यह मॉडल कैमरा ट्रैप है, कैमरा ट्रैप में जो फोटो आती है उस फोटो का विश्लेषण किया जाता है जिसमें टाईगर पर बने धारियों पर बारिकी से शोध किया जाता हैं क्योंकि हर एक टाईगर की धारियां दूसरे से अलग होती है।पहले हम यह कैमरा ट्रैप हर 4स्क्वायर किलोमीटर की दूरी पर लगाते थे, लेकिन यह दूरी ज्यादा थी, साल 2016-17 में जब हमने इसकी इंटरनल  मॉनिटरिंग करने के बाद हर 2स्क्वायर किलोमीटर पर कैमरा लगाए जिसकी वजह से हमें 208 अलग-अलग टाईगर देखने को मिले। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि टाईगर की संख्या बढ़ी बल्कि इसका मतलब है कि हमारा सिस्टम पहले से बेहतर और सटीक हो गया है।”

2018 में शुरु होने वाले ऑल इंडिया टाईगर एस्टिमेशन में भी यही तरकीब इस्तेमाल की जाएगी।भारत के पास लगभग 6 हजार स्क्वायर किलोमीटर का टाईगर रिर्जव है जिसमें से 1288 स्क्वायर किलोमीटर अकेले कॉर्बेट पार्क के पास है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा एरिया में टाईगर होने का सूचक है।

बाघ गिनती करने वाले अधिकारियों के अनुसार, कैमरे के जाल से मिली तस्वीरों को “आबादी का आकार अनुमानक” सॉफ्टवेयर में डाला जाता है, जो इलाके के क्षेत्र की स्थितियों के आधार पर आबादी के आकार के अलग-अलग अनुमान प्रदान करता है। देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) के बाघ विशेषज्ञ भुवस पांडव ने कहा कि, “छोटे ग्रिड में कैमरे के जाल की स्थापना केवल तब ही उपयोगी है जब पार्क या रिजर्व में घने बाघ की आबादी होती है। 2 वर्ग किमी ग्रिड में कैमरे का जाल कॉर्बेट जैसी जगह में एक सख्त तस्वीर देगा, लेकिन जरूरी नहीं कि झारखंड जैसे क्षेत्र में ये तरीका पूरी तरह कामयाब हो।”

भारत 2,200 बाघों का घर है, ये दुनिया में बाघों की जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत है। 2014 में ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन (जनगणना) के अनुसार, कॉर्बेट में सबसे ज्यादा 215 में बाघ पाये गये। इसके बाद कर्नाटक में बांदीपुर (120 बाघ) और असम में काजीरंगा टाइगर रिजर्व (103) का स्थान था।

2014 में हुए अखिल भारतीय टाइगर अनुमान ने 18 राज्यों में 473,580 वर्ग किमी के जंगलों को कवर किया था जिसमें 44 बाघों के भंडार शामिल थे। चालू जनगणना में 50 बाघों के भंडार को कवर किया जाएगा और उम्मीद है कि प्रारंभिक नतीजे इस साल मई तक उपलब्ध हो जाएंगे।

पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाले फौजी विजेंद्र गुरुंग गरीबी मे जी रहे जिंदग़ी

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भारतीय सेना के लघु सेवा आयोग (एसएससी) अधिकारी कैप्टन विजेंद्र गुरुंग, जब 1972 में पाकिस्तान की एक जेल से बाहर निकले, तो उन्हें अपने भविष्य को लेकर काफी आशाएं थी। 1971 के युद्ध के दौरान जब पाकिस्तानी सैनिकों ने पंजाब के फाजिलका सेक्टर में भारतीय पलटन पर हमला करने के बाद कब्जा कर लिया, उसके बाद गुरुंग को एक साल जेल में रहने पड़ा।लेकिन जब युद्ध खत्म हुआ तो गुरुंग और उनके जैसे सैकड़ों कैदी जेल से रिहा कर दिए गए।

बीतते समय के साथ साल 2018 में गुरुंग 67 साल के हो गए हैं। अपने जीवनयापन के लिए गुरुंग हर रोज़ संर्घष कर रहे हैं और अपनी जरुरतें पूरी करने के लिए गुरुंग को छोटा-मोटा काम भी करना पड़ रहा है। युद्ध के दौरान अपनी बहादुरी के बाद भी, गुरुंग पेंशन के लिए मान्य नहीं थे क्योंकि वह सेना में एक शॉर्ट सर्विस कमीशन ऑफिसर के रूप में सेना में शामिल हुए थे।आपको बतादें कि सेना से पेंशन लेने के लिए, एक अधिकारी को कम से कम 20 सालों के लिए काम करना पड़ता है।

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लेकिन मुफलिसी में दिन काटने वाले रिटार्यड सिपाही गुरुंग के लिए सहायता आनी तब शुरु हुई जब किसी ने सोशल मीडिया पर उनकी गरीबी और गुमनामी को उजागर किया।कुछ पूर्व सैनिकों ने उनके लिए पैसा इकट्ठा करने के लिए एक डोनेशन अभियान चलाया है और गुरुंग की यूनिट, असम रेजिमेंट 3 की बटालियन ने उनके घर के कुछ हिस्सों की मरम्मत करवाई और एक दरवाजा भी लगाया है जो पहले नहीं था। उन्होंने उनके दैनिक जीवन को और अधिक आरामदायक बनाने के लिए मेज, कुर्सियां, बर्तन और अन्य बुनियादी सुविधाएं दी हैं और साथ ही गुरुंग को एक मासिक वेतनमान भी देने के बारे में सोच रहे हैं।

सेंट जोसेफ अकादमी और किंग जॉर्ज मिलिटरी स्कूल से प्रारंभिक पढ़ाई करने वाले, गुरुंग 1977 में सेवानिवृत्त हुए और अपने गृहनगर देहरादून में बस गए लेकिन नौकरियों की कमी के चलते उन्हें काम मिला नहीं और उनकी सेविंग जल्द ही खत्म हो गई।

देहरादून के बाहरी इलाके में जोहरी गांव में अपने एक कमरे के आवास में गुरुंग से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि, “युद्ध समाप्त होने के बाद मैं असम रेजिमेंट की तीसरी बटालियन में शामिल हुआ और कुछ समय में ही सेवानिवृत्त हो गया। देहरादून में बसने का फैसला करने से पहले मैंने कुछ समय के लिए मुंबई और लखनऊ में भी काम किया था। मैंने यहां और वहां नौकरियां भी कि लेकिन वह ज्यादा कारगर नहीं साबित हुई और मेरे पास अब कोई बचत नहीं है।”

अपने खाली समय में गुरुंग क्या करते हैं? इसपर पूर्व सैनिक ने कहा कि ”उनका दिन अब रेडियो पर संगीत सुनकर और अपने घर की दीवारों पर कोयले से स्केचिंग करने से निकल जाता है।” जोहरी गांव के निवासियों ने कहा कि वे इस बात से अनजान थे कि उनके बीच एक फ्रीडमफाईटर रहते हैं,  जोहरी के ग्राम प्रधान दुर्गेश गौतम ने कहा, “यहां कोई भी उनके बारे में  ज्यादा नहीं जानता है,वह ज्यादातर अपने में ही रहते हैं।”

उत्तराखंड पूर्व सैनिक लीग के अध्यक्ष और ट्राई सर्विसमैन वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य ब्रिगेडियर रिटार्यड आर.एस रावत ने कहा कि, “हमने गुरंग के लिए एक डोनेशन अभियान शुरू किया है और जिसमें अफ्रीका तक के लोगों ने डोनेशन दिया है। हम उन्हें 10,000 रुपये मासिक राशि भी देंगे, साथ ही हमें आशा है कि सेना मुख्यालय भी गुरुंग की मदद करने के लिए कुछ कार्रवाई करेगा।”

भारत की हर नारी में बसती है एक कल्पना, जरूरत है तो उसे उड़ान देने की

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ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन में देश का नाम रोशन करने वाली बेटी कल्पना चावला की पुण्यतिथि पर उन्हे श्रद्धाजंलि दी तथा परमार्थ प्रांगण में कल्पना चावला की स्मृति में शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा रोपित किया गया। परमार्थ परिवार के साथ लद्दाख से आयी युवा बौद्ध भिक्षुणियों एवं विदेशी सैलानियों ने कुछ क्षण मौन रहकर उनकी आत्मा की शान्ति के लिये प्रार्थना की।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने ’भारत की बेटियों से आह्वान किया कि बेटियाँ केवल सपने देखे ही नहीं बल्कि उसे पूरा भी करे कल्पना चावला की तरह। भारत की हर नारी में एक कल्पना बसी है अतः उन्हे सम्मान दे; अवसर दे और संसाधन प्रदान करें ताकि देश की ये कल्पनायें ऊँची उड़ान भर सकें। बेटियों की कल्पना, कल्पना न रह जायें, उनका सपना, सपना न रह जायें बल्कि जीवन की हर ऊँचाई को वह छू सके। उन्होनेे कहा कि आज के युग में बेटियों को ’’संरक्षण नहीं, संसाधन चाहियें’’, वे प्रतिभाशाली और अद्म्य साहसी हैं। परन्तु एक कटु सत्य यह भी है कि आज भी हम बेटियों पर बेटों जैसा विश्वास नहीं कर पाते, इसका प्रमाण हमारे देश के लिंगानुपात से लगाया जा सकता है।

राजदूत चालान भरने पहुंचे यातायात कार्यालय, पेश की मिसाल

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देहरादून, बुधवार को भगवंत बिश्नोई, भारतीय राजदूत बैंकॉक, अपने निजी कार्य से अपने वाहन से कोतवाली क्षेत्रांतर्गत गये थे, जिसमें उनके द्वारा अपने वाहन को देहरादून शहर की ‘नो पार्किंग जोन’ की जानकारी ना होने के कारण ‘नो पार्किंग क्षेत्र’ में खड़ा किया गया था।

वाहन को ‘नो पार्किंग’ क्षेत्र में खड़ा पाए जाने पर संबंधित क्षेत्र की यातायात पुलिस ने वाहन का चालान काटकर वाहन पर चस्पा किया गया। यातायात पुलिस का चालान देखकर भगवंत बिश्नोई, भारतीय राजदूत बैंकॉक ने उनके वाहन पर किए गए चस्पा चालान के भुगतान के लिये  यातायात कार्यालय में लोकेश्वर सिंह, पुलिस अधीक्षक यातायात, से मुलाकात करी।

चालान के निस्तारण के लिये विधिवत कार्यवाही की गई तथा उनके द्वारा यातायात पुलिस कोअपने कर्तव्य का पालन किए जाने की प्रशंसा भी करी। भगवंत विश्नोई 1983 बैच के आई.एफ.एस अधिकारी है, जो पूर्व में कई महत्वपूर्ण देशों में भारतीय राजदूत रह चुके हैं।

सम्मानित पद पर आसीन रहते हुए स्वयं यातायात कार्यालय पहुंचकर चालान का भुगतान किया जाना उनके व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है।

लाल गमछा भाजपा के लिए उपद्रव का लाइसेंसः कुलदीप रावत

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हरिद्वार। समाजवादी पार्टी के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप रावत ने कहा कि उत्तराखंड में सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। भाजपा के लिए लाल गमछा उपद्रव करने का लाइसेंस बन गया है। जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार की उपलब्धि भी जीरो टोलरेंस ही है। आगामी निकाय चुनाव में पार्टी पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगी।

गुरुवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए सपा प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप रावत ने कहा भाजपा ने प्रदेश की भोली जनता को विकास के नाम पर छला है। प्रदेश सरकार की वित्तीय स्थिति खराब है। राज्य में बेरोजगारी 60 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत तक पहुंच गयी और पहाड़ो में पलायन का क्रम जारी है। जिसके चलते गांव खाली बो रहे हैं। सरकार को इसकी चिंता नहीं है। उन्होंने कहा भाजपा ने राज्य की फलती-फूलती जो तस्वीर आम जन के बीच रखी थी वह नहीं दिख रही है। अच्छे दिन आएंगे के सपने दिखाकर सरकार ने जनता को छला है। लाल गमछा भाजपा के लिए उपद्रव का लाइसेंस बन गया है। वित्तीय स्थिति की बात करें तो अब तक विभागों में एक चौथाई बजट भी नहीं पहुंचा है। उन्होंने प्रदेश सरकार से पूछा कि विकास की पहली नींव प्रदेश में कहां रखी गई, सरकार जनता को बताए। उन्होंने कहा विधायक और मंत्री के अलग-अलग बयान सरकार की अकर्मण्यता को दर्शाते हैं। बेरोजगारी चरम पर है। पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। नोटबंदी, जीएसटी से मध्यम वर्ग के व्यापारियों पर दोहरी मार पड़ी है। भाजपा देश को किस ओर लेकर जा रही है असमंजस की स्थिति है। इस अवसर प्रदेश महासचिव डा.राजेन्द्र पाराशर, महानगर अध्यक्ष लव दत्ता, आशु चंचल, श्रवण शंखधर आदि उपस्थित थे।

हरदा और प्रीतम सिंह के बीच छिड़ी ट्विटर वॉर

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पिछले दिनों पार्टी में हो रही अपनी अनदेखी पर फेंके हरीश रावत के ट्वीटर बम ने लगता है कांग्रेस के अंदर जंग छेड़ दी है। हरीश रावत ने एक और ट्वीट कर कांग्रेसी गलियारों में सरगर्मी बढ़ा दी है। रावत लिखते हैं कि “कुछ लोग मुझको सलाह दे रहे हैं कि मैं अपना मोबाइल रखूं। मैं उन दोस्तों से कहना चाहता हूं कि पूरन के जिस टेलीफोन नंबर पर आप सब लोग मुझसे कई कई बार बातचीत कर चुके हैं, वो मेरा ही नंबर है। वही एक मात्र अब मेरा सहायक है जो रात-दिन मेरे साथ रहता है मेरा बावर्ची, खानसामा,अटेंडेंस कुछ भी कह लीजिए, सब वही काम करता है। आप उसका नंबर तो भूल गए और नंबर आप खोजते फिरे ताकि औपचारिकता भी पूरी हो जाए और बुलाना भी ना पड़े। मैंने कहा मुझे बहुत अच्छा लगा, बहुत अच्छा किया, मैं तरसता रह गया लेकिन आपने नहीं बुलाया। कोई गिला नहीं, कार्यक्रम सफल होना चाहिए, कांग्रेस आगे बढ़े और कांग्रेस संघर्षशील दिखाई दे, यही मेरी कामना है।”

twitter

दरअसल पिछले दिनों कांग्रेस द्वारा आयोजित राज्य सरकार के विरोध कार्यक्रमों में रावत को ना बुलाने पर हरदा ने ट्वीटर पर अपना दर्द बयां कर दिया था। इसके जवाब में आम तौर पर शांत दिखने वाले प्रदेश अध्य़क्ष प्रीतम सिंह ने भी रावत पर निशाना साधते हुए कहा था कि रावत के स्टाफ को सभी कार्यक्रमों की सूचना दी गई थी पर वो नहीं आये तो क्या किया जा सकता है? प्रीतम ने ये भी कहा था कि रावत को ऐसा मोबाइस साथ रखना चाहिये जिससे उन से संपर्क किया जा सके।

पार्टी अध्यक्ष के इसी तंज का जवाब हरदा ने एक और ट्वीटर बम फेंक कर दिया है। इसे विडंबना ही कहेंगे कि राज्य में विधानसभा चुनावों में मुंह की खाने वाली कांग्रेस ने शायद चुनावों के साल भर हो जाने के बाद भी न तो हार के कारणों की समीक्षा की है और न ही कोई सबक लिया है। क्योंकि अगर ऐसा हुआ होता तो पार्टी ये ज़रूर समझती कि चुनावों में हार का एक बड़ा कारण पार्टी में एक खेमा का खुला राज औऱ भयंकर गुटबाजी रहा। इसी के चलते पार्टी के नेता दूसरे नेताओं के खिलाफ षड़यंत्र करते रहे औऱ पार्टी का काडर बिखरता चला गया। अगर कांग्रेस के वर्तमान की बात करें तो भला ही राज्य में लोकसभा कि केवल पांच सीटें हैं लेकिन जो हालत कांग्रेस की देश में हो रखी है उस हिसाब से ये पांच सीटे भी पार्टी को नया जीवन देने में अहम योगदान दिला सकती है। लेकिन जिस तरह इस समय राज्य कांग्रेस के तमाम बड़े नेता सार्वजनिक मंचों पर भिड़ने में लगे हैं राज्य में कांग्रेस की वापसी फिलहाल सवालों के घेरे में ही दिख रही है।