ऋषिकेश – लाखों लोगों को जीवन देने वाली मोक्षदायिनी गंगा आज अपने ही घर में मेली हो गई है गोमुख से लेकर ऋषिकेश तक आबादी के बोझ का असर गंगा के पानी पर साफ देखा जा सकता है। गंगा की सफाई में सहयोग के लिए जर्मनी ने मदद का हाथ बढ़ाया है क्लीन गंगा मिशन के लिए उत्तराखंड को 1150 करोड़ का बजट लोन के रूप में मिलने जा रहा है, जिससे उत्तराखंड में गंगा स्वच्छ और निर्मल होगी। ऋषीकेश मे गंगा के तट हमेशा ही विदेशियों को अपनी ओर खींचते है यही कारण है यहाँ साल भर बड़ी संख्या मे विदेशी सेलानी आते रहते है। योग और अध्यात्म मे डूबे इन लोगो पर गंगा नदी के प्रति एक विशेष आकर्षण देखने को मिलता है , लेकिन गंगा के तटों पर फेले प्लास्टिक के कचरे और पोलीथिन ,बोतल और सीवर और नाले से प्रदूषित होती गंगा से देशी विदेशी श्रधालुओ की आस्था पर इससे ठेस पहुंच रही।ऋषिकेश में गंगा को साफ़ करने के लिए जर्मनी की मदद से ऋषिकेश में क्लीन गंगा मिशन के लिए 342 करोड़ों रुपए का बजट मिलने जा रहा है जिस से ऋषिकेश में गंगा साफ़ होगी। गंगा के संग्रक्षण और निर्मलता के लिए सरकार पहले से ही कई योजनाएं चला रही है लेकिन इतना समय बीत जाने के बाद भी ये पवन नदी अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है। आज गंगा अपने ही घर पे मैली होती जा रही है। गंगा प्रेमियों का मानना है की अब जर्मनी जिस तरह गंगा के लिए निवेश कर रहा है। उससे एक बार फिर गंगा को निर्मल बनाने की उम्मीद जगी है, लोगों को उम्मीद पहले जैसी साफ़ हो सकेगी। करोडो हिन्दुओ कि आस्था का प्रतीक गंगा एक राष्ट्रीय धरोहर है लेकिन बढ़ते आबादी के बोझ ने इसे प्रदूषित कर दिया है। उत्तराखंड मे ही गंगा धीरे-धीरे मेली होती जा रही है ऐसे मे आखिर कब तक मोक्ष दायनी अपनी इस स्थिति को सुधरने के लिए एक और भगीरथ का इंतज़ार करेगी।