ईको फ्रेण्डली गणेशोत्सव मना रहा गायत्री परिवार

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हरिद्वार,  अखिल विश्व गायत्री परिवार ने प्रथम पूज्य देव गणेश उत्सव को ईको फ्रेण्डली और पर्यावरण विनायक ट्री गणेशा के रूप में मनाने के लिए आह्वान किया। महाशिवरात्रि पर गायत्री परिवार ने पार्थिव शिवलिंग तैयार किए थे और उसमें विल्ब (बेल पत्र) के बीज रोपे थे, जो पौधे के रूप में विकसित हो गए हैं। इन पौधों के रोपण करने के बाद उस गमले में मिट्टी के गणेश की मूर्ति बनाकर वितरित किया गया।
अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने बताया कि शांतिकुंज से मिट्टी के गणेश की मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण लेकर युवाओं ने देश भर के प्रज्ञा संस्थानों, गायत्री शक्तिपीठों में विघ्न विनायक की मूर्ति बनाने का क्रम प्रारंभ किया। इस मूर्ति की सोमवार को स्थापना कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना प्रारंभ की गयी। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में भी नर्मदा तट की मिट्टी से बनी गणेश की आकर्षक मूर्ति की स्थापना की गई है।
अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख ने कहा कि, “ईश्वर की पूजा हमें प्रकृति की निकट लेकर जाए, इससे अच्छा और क्या हो सकता है। गायत्री परिवार के कार्यक्रमों के बीच युवाओं को दिए सूत्रों को अपनाते हुए ईको फ्रेण्डली पर्व-त्यौहारों को मनाना प्रारंभ किया है।”
 शांतिकुंज मीडिया विभाग के अनुसार मप्र के बुरहानपुर में ही 25 हजार से अधिक ईको फ्रेण्डली गजानन की मूर्तियों की स्थापना की गई है। इसी तरह मप्र के भोपाल शहर में आठ हजार से अधिक ईको फ्रेण्डली मूर्तियां स्थापित हुईं। देवास, सेंधवा, छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर, बलौदाबाजार, झारखण्ड के हजारीबाग, रांची, रामगढ़ आदि में भी ईको फ्रेण्डली गणेशोत्सव मनाया जा रहा है।