दूनाईट नंदिनी कुमार एमेजॉन किंडल पेन टू पब्लिश की विजेता

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Winner of the Amazon Kindle’s Pen to Publish 2018 Award

देहरादून, हाल ही में, अपनी तरह की पहली कहानी की किताब ‘नीली‘ ने नई दिल्ली में प्रतिष्ठित एमेजॉन किंडल पेन टू पब्लिश 2018 अवार्ड जीता।यह एक ऐसी उपलब्धि है जो इस बात को सामने लाती है कि आज के दौर में लोग अधिक से अधिक हिंदी पढ़ रहे हैं, जो हिंदी लेखकों की एक नई नस्ल को एक प्रेरणा दे रहे हैं, और भारत में बढ़ने वाले ऐसे लोग खुद को ‘नई वली हिंदी’ के लेखक कहते हैं।

लेखकों की सूची में शामिल होने वाली एक दूनाइट लेखिका नंदिनी कुमार हैं, जिन्होंने एक लेखक के रूप में अपनी यात्रा साझा की, “मुझे अपने नौवें जन्मदिन पर एक सुंदर कहानी की किताब के साख एक छोटी डायरी मिली। मैंने उसी रात से अपने विचारों को अपनी डायरी में लिखना शुरु कर दिया, और तब से मैं रुकी नहीं। “

बचपन से नंदिनी की साथी उनकी डायरी में उसकी लगातार लिखते हुए, डायरी, उसके परिवार के विवरणों के साथ भरी रहती थी, उनकी दादी द्वारा बताई गई विभाजन की दास्तां जो उन्होने नंदिनी के साथ साझा किया था जो उसकी कहानियों को लिखने में उसकी मदद करता था।

Stories by author Nandini Kumar

जब तक नंदिनी 15 साल की हो गई, तब तक वह जानती थी कि वह जीवन भर लिखना चाहती है। उन्होंने अलग-अलग प्रिंट पत्रिकाओं के लिए अपने कलम से कुछ ना कुछ लिखा! एक महीने बाद, नंदिनी को अपना पहला चेक मिला ,साथ ही संपादक की तारीफों वाला एक लिफाफा भी जिसमें नवोदित लेखक के लिए प्रोत्साहन के शब्द थे।

विभिन्न पत्रिकाओं के लिए एक साथ लेख डालते हुए, नंदिनी ने साइकोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और एक एनजीओ में एक मनोवैज्ञानिक के रूप में काम करना शुरू किया। उन्होंने नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (एनईटी) क्लीयर किया व अपने आगे की पढ़ाई शुरु कर दी ताकि वह अपना डॉक्टरेट कर सके। लेकिन तभी नंदिनी के जीवन में कुछ बदलाव आया।

नंदिनी ने अपनी नौकरी छोड़ दी, और अपनी बहन की सेवा करने के लिए मुंबई चली गई, जो कैंसर से पीड़ित थी। कोलाबा में घूमते हुए, नंदिनी सड़क किनारे बुक स्टॉल पर किताबें देखती थी जहां उन्होंने आदत हसन मंटो की बॉम्बे के बारे में लघु कथाओं को पढ़ा। नंदिनी उन दिनों को याद करते हुए कहती हैं कि, “मंटो की कहानियों ने मुझे अपने लेखन पर सवाल खड़ा करने पर मजबूर कर दिया। क्या मैं आगे बढ़ने को तैयार हूं? क्या मैं सच बताने के लिए तैयार थी या केवल एक पत्रिका के संपादक को खुश करने तक ही मेरी यात्रा सीमित थी? और सबसे महत्वपूर्ण बात, क्या मैं वास्तव में आगे छलांग लगाने के लिए तैयार थी और अपना करियर फिर से शुरू करने को तैयार थी,लेकिन इस बार हिंदी में? “

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Winner of Amazon Kindle’s Pen to Publish award 2018 Nandini Kumar

अमेज़न किंडल पेन पुरस्कार 2018 की विजेता नंदिनी कुमार ने 2017 में, अपनी पहली हिंदी किताब, ‘बाकि की बात ’(हिंदयुग्म) लिखा, एक साल बाद, जब वह मसूरी आई तो नंदिनी ने अपनी दूसरी किताब, ‘नीली’ लिखी, जिसका नाम इस कहानी के नायक के नाम पर रखा गया, यह कहानी मसूरी और देहरादून में स्थापित की गई है, दोनों जगह लेखक के दिल के करीब है।

नंदिनी अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में अपने आप को व्यक्त करती है, लेकिन विश्वास करती है, “अगर मैं एक नए युग की शुरुआत करने में एक भूमिका निभा सकती हूं, जहां हिंदी किताबें लोकप्रिय हैं और सीमाओं के पार पढ़ी जाती हैं, तो इससे मुझे खुशी ही होगी,” ये कहते हुए एक बार फिर नंदिनी अपनी कलम से अगली किताब के लिए कुछ नया लिखने लगती हैं।