प्लास्टिक न फैलाएं और अपनी नदी-नाले, प्राकृतिक जल स्रोत स्वच्छ रखें

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आज अर्थ डे नेटवर्क एवं लोक पर्यावरण शिक्षा संस्थान ने यूसेफ विकास संस्थान के किसान महिला समूह के सदस्यों के प्लास्टिक हटाओ, नदी-नाले बचाओ पर एक कार्यक्रम किया। यह कार्यक्रम घनसाली और चमियाला में बालगंगा के तट से 200 मीटर की दूरी पर कचरे का ढेर बना हुआ है जिसमें 80% प्लास्टिक है और जो बरसात में गिरकर बालगंगा भिलंगना नदी मे समा जाएगा, जिसके लिये अर्थ डे नेटवर्क एवं लोक पर्यावरण शिक्षा संस्थान ने यूसेफ विकास संस्थान के किसान महिला समूह को जागृत किया।

इसके लिए अर्थ डे नेटवर्क के सलाहकार श्याम लाल भाई ने बताया कि हम ग्रामीण किसानों को अपनी छोटी-छोटी नदियों को स्वच्छ रखने के लिए आगे आना चाहिए और छोटे-छोटे बाजारों को स्वच्छ रखना चाहिए और जब तक हम लोग प्लास्टिक का प्रयोग कम नहीं करेंगे तब तक हम लोग प्रदूषण के शिकार बनते रहेंगे और प्राकृतिक संपदा की रक्षा नहीं करते हैं तो धरती की हरियाली धीरे धीरे खत्म होती जाएगी । हम लोग हवा पानी के लिए तरसते जाएंगे, एक दिन हमारी नदी-नाले से प्लास्टिक कचरे से भरे हुए मिलेंगे और हमें शुद्ध जल भी पीने के लिए नहीं मिलेगा, यह प्रस्तुति शहरों में तो थी लेकिन आप पहाड़ों के छोटे-छोटे शहरों में भी यह स्थिति बनती जा रही है।

लोगों को गांव एवं शहरों के नज़दीक नदी नालों में प्लास्टिक को कचरा नहीं डालना चाहिए उससे हमारी प्राकृतिक जल स्रोत सुरक्षित रहेंगे स्वच्छ रहेंगे।

कार्यक्रम में यूसेफ विकास संस्थान के अध्यक्ष भागीरथ प्रकाश ने कहा कि आसपास गांव गांव में प्रत्येक परिवार को जागृत करना होगा की हम लोग प्लास्टिक कचरे को नहीं फैलाएं और अपनी नदी-नाले, प्राकृतिक जल स्रोत स्वच्छ रखें।

यूसेफ विकास संस्थान के महिला किसान समूह के सदस्यों ने भाग लिया ।