EXCLUSIVE: बदलते समय में भी क्यों खास है केदारनाथ का सफर

मैं सुबह ठीक 6 बजे  हैलीकॉप्टरों की आवाज़ से उठता हूं, और ये हेैलीकॉप्टर चारधाम दर्शन के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों को एक-जगह से दूसरी जगह दर्शन कराने के लिये हवा में उड़ान भरते हैं। हर सुबह यह सफर देहरादून हैलीपैड से शुरु होता है। केदारनाथ में तैनात उत्ताराखंड पुलिस के सब इंस्पेक्टर पाठक हमें बताते हैं कि, “सुबह 6 बजे से शाम के 6 बजे तक लगभग 35-40 हैलीकॉप्टर केदारनाथ आते हैं जिसमें एक घंटे का ब्रेक भी होता है।”

केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल को खुले थे, यानी भक्तों को लिये बाबा के दरवाज़े खुले करीब 7 हफ्ते हो चुके हैं, और अब तक रिकॉर्ड 5 लाख 75 हज़ार तीर्थयात्रियों ने इस शिवालय में दर्शन कर लिया है। इनमें से लगभग 55,772 तीर्थयात्रियों ने केदारनाथ का यह सफर हैलीकॉप्टर से किया है। जिसमें से देहरादून, हरिद्वार के हैलीपैड से उड़ान भरकर गुप्तकाशी, सोनप्रयाग और फाटा तक का सफर तय किया जाता है।

मसूरी निवासी विनीत अग्रवाल ने अपने माता-पिता को बद्रीनाथ-केदारनाथ में दर्शन कराने के लिए चॉपर को चुना। न्यूज़पोस्ट से बातचीत में उन्होंने बताया कि “शायद इस उम्र में मेरे माता-पिता के लिए हजारों फीट ऊचाईं पर जाकर चारधाम के दर्शन करना नामुमकिन था लेकिन इन हवाई सेवाओं ने मेरी माता पिता के चारधाम दर्शन के सपने को पूरा कर दिया।”

हालांकि बहुत से लोग गौरीकुंड से चढ़ाई करके केदारनाथ तक पहुंचते हैं, और इस चढ़ाई के लिए खच्चर का इस्तेमाल करते है। खच्चर की पीठ पर बैठ कर धीरे-धीरे केदारनाथ पहुंचते हैं। अब तक 18,048 तीर्थयात्रियों ने खच्चर पर सवारी कर केदारनाथ धाम की कठिन चढ़ाई को पूरा किया है। खच्चर से सवारी करने वाले एक यात्री को 1400-1600 रुपये किराय़े के तौर पर देना पड़ता है वह भी एक तरफ के।

लेकिन इस यात्रा में दिल को छूने वाली बात यह है,कि ज्यादातर लोग ट्रैक करते हुए यह तीर्थयात्रा पूरी करते हैं। गौरीकुंड से केदारनाथ तक की दूरी 16 किलोमीटर है। और हजारों लोग जिनमें से बहुत से ऐसे होते हैं जो पहली बार पहाड़ पर चढ़ाई कर रहे  है लेकिन फिर भी इस यात्रा को पूरे उत्साह के साथ पूरा करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार,अब तक आए यात्रियों में से 33,93,07 तीर्थयात्री टेढ़े-मढ़े और कठिन रास्ते की चढ़ाई कर मंदिर तक पहुंचे हैं क्योंकि यह यात्रा कोई आम यात्रा नहीं बल्कि इसमें हजारों-लाखों की संख्या में लोगों की सपरिवार आस्था रहती है।