आखिर कब निर्मल होगी गंगा की धारा? पानी की तरह बहाया जा रहा पैसा

0
1502
गंगा
हरिद्वार, सनातन धर्म में गंगा को महज एक नदी नहीं बल्कि मां के रूप में पूजा जाता है। लेकिन वर्तमान में मां गंगा का दैवीय अस्तित्व खतरे में हैं। मां गंगा में आज भी कई गंदे नाले, सीवर, प्लास्टिक, कूड़ा-करकट को बड़ी संख्या में बह रहे हैं। जिसके चलते विश्व कि सबसे स्वच्छ नदी सबसे ज्यादा दूषित हो रही है। वहीं गंगा नदी की स्वच्छता को लेकर सरकार भले ही लाख दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत ठीक उलट है। आज गंगा नदी अविरलता और निर्मलता के लिए तड़पती नजर आ रही है।
गंगा स्वच्छ अभियान में कार्यरत संस्था बीईंग भागीरथ के प्रमुख शिखर पालीवाल का कहना है कि गंगा पर मोदी सरकार ने वह काम कर दिखाया है जो कि पिछले 50 सालों में भी नहीं हुआ था। गंगा में गिरने वाले नालों को टेप किया जा रहा है ।
गंगा एक्टिविस्ट रामेश्वर गौड बताते हैं कि भले ही गंगा को मां का दर्जा प्राप्त हो लेकिन प्रदूषण से गंगा रोज मैली होती जा रही है। उनका कहना है कि आज भी लगाता है गंगा में मल-मूत्र युक्त सीवर जा रहे हैं। भले ही गंदे नालों और सीवर को रोकने के लिए एसटीपी और पंपिंग स्टेशन बनाने की बात की जा रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि यह जमीनी स्तर पर कार्य नहीं हो रहा है। उनका कहना है कि नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत कई सौ करोड़ रुपए खर्च करके गंगा घाट बनाए जा रहे हैं, जो केवल पैसे की बर्बादी है। क्योंकि गंगा घाट बनाने से गंगा कभी भी स्वच्छ नहीं होगी।
एसटीपी की क्षमता नाम मात्र की
साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा के जीर्णोद्धार के लिए गंगा कायाकल्प मंत्रालय का निर्माण कराया था। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे परियोजना के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का बजट रखा था, जिसका लक्ष्य 2020 से पहले गंगा को निर्मल और अविरल रूप देना है। लेकिन वर्तमान स्थिति देखकर ये नामुमकिन सा लगने लगा है। गंगा में बहने वाले नालों और सीवर को रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए जा रहे हैं, लेकिन नालों और सीवर की संख्या के सामने एसटीपी की क्षमता नाम मात्र की रह गई है।
हाइड्रो प्रोजेक्ट हानिकारक
पर्यावरणविद प्रो. डीएस मलिक ने बताया कि, “गंगा के उत्तराखंड क्षेत्र में गंगा पर बने हाइड्रो प्रोजेक्ट और बांध परियोजनाएं गंगा के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं। भले ही उत्तराखंड को इन परियोजनाओं के चलते कार्य ऊर्जा राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ हो, लेकिन इन परियोजनाओं की वजह से गंगा में अस्तित्व खत्म हो रहा है। साथ ही गंगा में रहने वाले जलीय जीवों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। “
गंगा की सहायक नदियां खत्म हो रही हैं
प्रो. डीएस मलिक ने बताया कि, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी परियोजना ऑल वेदर रोड के कंस्ट्रक्शन के कारण उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में बहने वाली छोटी-छोटी गंगा की सहायक नदियां खत्म हो रही हैं। जिससे गंगा के जल की गुणवत्ता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। सरकार की तरफ से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन गंगा को सही मायनों में स्वच्छ और अविरल बनाना है तो आमजनता को जागरूक होकर इस मिशन का साथ देना होगा। ये कार्य जनमानस के सहयोग के से ही पूरा हो सकता है।”