उत्तराखंड बोर्ड: प्रदर्शन में हाईस्कूल बेहतर, इंटर कॉलेज फिसड्डी

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देहरादून, उत्तराखंड बोर्ड के नतीजों में राजधानी में रिजल्ट देने में हाईस्कूल का प्रदर्शन इंटर कॉलेज से बेहतर रहा है। खासकर दून के सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन निराशाजनक है। शत प्रतिशत रिजल्ट देने में भी देहरादून के इंटर कॉलेज हाई स्कूल से काफी पीछे हैं। ऐसे में 10वीं के बाद 12वीं के स्कूलों में संसाधन और विशेषज्ञ शिक्षकों को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि हाईस्कूल में बेहतर प्रदर्शन करने वाले स्कूल इंटर में फिसड्डी साबित हो रहे हैं।

10 इंटर कॉलेज का अच्छा परिणाम
उत्तराखंड बोर्ड के नतीजों में भले ही इस बार मेरिट में दून ने अपना दबदबा कायम किया है। लेकिन रिजल्ट की बात करें तो दून के प्रदर्शन में खास सुधार नहीं हुआ है। सबसे ज्यादा निराशाजनक प्रदर्शन इंटर कॉलेजों का है। इंटर कॉलेजों का प्रदर्शन इस बात से नजर आता है कि दून में 10 इंटर कॉलेजों का रिजल्ट ही शत प्रतिशत रहा है। जबकि 38 हाई स्कूल शत प्रतिशत रिजल्ट देने में सफल रहे। इस लिस्ट में सिर्फ 7 स्कूल ही ऐसे हैं जिनका हाईस्कूल और इंटर में परिणाम शत प्रतिशत रहा है। जबकि दून में सरकारी स्कूल का आंकड़ा 160 के पार है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्कूलों को प्रदर्शन किस तरह से क्लास बढऩे के साथ गिर रहा है।

विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी है कारण
देहरादून में शत प्रतिशत परिणाम देने में हाईस्कूल का प्रदर्शन उत्तराखंड बोर्ड में बेहतर रहा है। इसमें सरकारी और एडेड स्कूल भी शामिल हैं। 38 स्कूलों का शत प्रतिशत परिणाम इस बात को दर्शाता है कि स्कूल में शिक्षकों का प्रदर्शन अच्छा है। इन 38 स्कूलों में 19 सरकारी और 19 एडेड स्कूल हैं। इस तरह से दोनों स्कूलों का प्रदर्शन बराबर है। हालांकि ओवरऑल परिणाम में सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहता है। ऐसे में सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों पर भी सवाल उठते हैं। हमेशा तबादलों को लेकर मैदानी जिलों की ही दौड़ नजर आती है। जिससे ऐसे स्कूलों के प्रदर्शन से सवाल उठते हैं। जबकि इंटर कॉलेजों का प्रदर्शन कहीं न कहीं विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी और संसाधनों को लेकर निर्भर करता है।

सीईओ आशारानी पैन्यूली का मानना है कि, “रमसा के अंतर्गत हाईस्कूल में मानव संसाधन और अन्य जरुरी संसाधन जुटाए गए जिससे स्कूलों का प्रदर्शन सुधरा है। इसी तरह इंटर कॉलेजों में भी मानव संसाधन जुटाने की जरुरत है, जिससे स्कूलों के प्रदर्शन में सुधार सभंव है।”