टिहरी झील में आपदा के कई टन सडे गले मलबे से फैल रही दुर्गंध

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मानसून सीजन में धराली- हर्षिल वैली में आई बाढ़ का हजारों टन मलबा भागीरथी नदी में बहाकर टिहरी झील तक पहुंचा जिससे यहां गंगा जी का जल आचमन करने लायक भी नहीं रहा है। मलबे में सडी गली लकड़ी टिहरी झील और चिन्यालीसौड़ की झील में एकत्रित होने से दुर्गंध फैली है जो बीमारियों का न्योता दे रही है। इस मलबे और कूड़े के जमा होने से झील का पानी दूषित भी हो गया है।

पालिकाध्यक्ष चिन्यालीसौड़ मनोज कोहली ने “धराली प्राकृतिक आपदा के बाद सारा कूड़ा करकट टिहरी झील में जमा हो गया है। लंबे समय से झील के आसपास दुर्गंध फैली हुई है, जिससे बस्तियों में बीमारी फैलने की आशंका बढ़ रही है। टीएचडीसी प्रशासन को कई बार सूचित किया गया, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं।

वहीं चिन्यालीसौड़ माधव दास त्यागी महाराज ने बताया कि झील में कूड़ा करकट जमा है, गंगेश्वर मंदिर में भक्तों को अब पूजा के लिए स्वच्छ जल नहीं मिल पा रहा। हमने आग्रह किया है कि गंगा के नाम से जुड़ी सभी संस्थाएं मिलकर गंगा की सफाई और संरक्षण के लिए कदम उठाएं, ताकि श्रद्धालु आसानी से गंगाजल प्राप्त कर सकें।

बता दें कि मानसून सीजन के दौरान पांच अगस्त को धराली में खीर गंगा और हर्षिल में तेलगाड़ समेत गंगा जी के दर्जनों साहयक गाद गदेरे, व बादल फटने से हजारों टन मलबा भागीरथी नदी अपने साथ करीब 150 किलोमीटर दूर टिहरी झील चिन्यालीसौड़ तक पहुंच गय है।