राज्य में फल-सब्जी पर मौसम की मार, करोड़ों की फसल को नुकसान

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उत्तराखंड में मौसम की मार इस मर्तबा भी कम नहीं है, खासकर औद्यानिकी फसलों की खेती करने वाले किसानों के माथों पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं। उद्यान महकमे ने अप्रेल में ही अतिवृष्टि, आंधी-तूफान व ओलावृष्टि से हुई क्षति का आकलन कराया तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई।

आठ जिलों में 33 से 60 फीसद तक फसलें चौपट हो गईं, जबकि बाकी में 33 फीसद से कम। नुकसान 126 करोड़ रुपये का आंका गया है। विभाग के मुताबिक इस बारे में शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है। साथ ही मई में हुए नुकसान के संबंध में सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है।

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प्री-मानसून सीजन में राज्य में थंडर स्ट्रॉम (गरज-चमक के साथ बारिश, आंधी-तूफान व ओलावृष्टि) अधिक बनते हैं। इस मर्तबा भी अप्रेल में इनकी अच्छी खासी संख्या रही, जिससे औद्यानिकी फसलों विशेषकर सेब समेत अन्य फलों के अलावा सब्जियों व मसालों को भारी नुकसान पहुंचा है। उद्यान निदेशक डॉ.बीएस नेगी के मुताबिक अप्रेल में हुई क्षति का सभी जिलों से ब्योरा मांगा गया। बात सामने आई कि इसमें 13,755 हेक्टेयर क्षेत्र को क्षति पहुंची है।

इसमें केवल 33 फीसद से अधिक प्रभावित क्षेत्र वाले जिलों में क्षति का अनुमानित मूल्य 126 करोड़ रुपये आंका गया है। सबसे अधिक नुकसान उत्तरकाशी जिले में हुआ है। उन्होंने बताया कि शासन से बजट मिलने पर किसानों को क्षतिपूर्ति दी जाएगी।

 

यह हैं नियमः

पूर्व में औद्यानिकी फसल क्षति का मुआवजा किसानों को तभी मिलता था, जब क्षति 50 फीसद से अधिक हो। केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद इसके नियमों में शिथिलता बरती गई और क्षति का न्यूनतम मानक 33 फीसद कर दिया गया, इसके आधार पर ही उद्यान महकमे ने अप्रेल की क्षति का आकलन कर शासन को भेजा है।