भगवान भरोसे लटके हुए चिकित्सा बोर्ड से चयनित संविदा चिकित्सक

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देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने से लेकर उसको व्यवस्था सम्पन्न बनाने का काम कर रहे चिकित्सक इन दिनों अपनी ही नियुक्ति के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। उत्तराखंड के प्रमुख राजकीय मेडिकल कॉलेज, दून मेडिकल कॉलेज में लगभग तीन वर्षों से कार्यरत 29 चिकित्सकों का भविष्य अधर में लटक गया है।
चिकित्सा चयन बोर्ड से चयनित दून चिकित्सालय के लगभग 29 चिकित्सकों के पदों के लिए विभाग द्वारा दुबारा चिकित्सा बोर्ड में दुबारा अध्याचन भेज दिया गया है। अब पहले से कार्यरत चिकित्सकों को दुबारा इसी चयन बोर्ड में जाना होगा। सरकार की ओर से विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने 21 फरवरी को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने 22 फरवरी को, कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे ने 24 फरवरी को, विधायक एवं महापौर विनोद चमोली ने 9 मार्च को कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने 12 मार्च तथा कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज एवं उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने 12 मार्च को सरकार को पत्र भेजकर यह आग्रह किया है कि राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा चयन बोर्ड से चयनित और लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत चिकित्सकों के कार्यकाल को देखते हुये इन्हें नियमित किया जाना उचित होगा। इन पत्रों के बाद भी सरकार की ओर से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है, जिसके कारण चिकित्सकों की स्थिति काफी गंभीर हो गई है। पता चला है कि 27 मार्च को उप सचिव सुरेन्द्र सिंह रावत द्वारा निदेशक चिकित्सा शिक्षा अनुभाग-1 को 27 मार्च को एक पत्र लिखकर आग्रह किया गया है कि दून मेडिकल कॉलेज में संविधा में कार्यरत सहायक आचार्यों की विनियमितिकरण किए जाने हेतु मंत्रियों द्वारा की गई अपेक्षा के संदर्भ में विषयगत प्रकरण में कार्मिक विभाग के शासनादेश एवं चिकित्सा सेवा नियमावली के आलेख में स्पष्ट आख्या मांगी गई है।
बताया जाता है कि अब तक इस संदर्भ में कोई आख्या नहीं दी गई है। दूसरी ओर राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य द्वारा चिकित्सा निदेशक को एक पत्र लिखकर दून मेडिकल कॉलेज में कार्यरत समस्त सहायक आचार्यों को उनके पदों पर नियमित करने हेतु सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को कहा गया है। यदि ऐसा संभव न हो तो पदों की विज्ञप्ति निकलने की दशा में उनको उस पद के लिए अतिरिक्त अधिमान अंक देने का आग्रह कियाा गया है।
सूत्रों की माने तो प्राचार्य दून मेडिकल कॉलेज द्वारा यह पत्र 11 अप्रैल को भेजा गया है। जहां उत्तराखंड में केवल पत्रावली चल रही है। वहीं हिमाचल सरकार द्वारा इसी संदर्भ में 4 मई 2017 में एक निर्णय लिय गया था जिसमें हिमाचल सरकार द्वारा सभी अपर मुख्य सचिवों से आग्रह किया गया था कि वे विभागों को निर्देश दें कि वे नियमितिकरण के संदर्भ में त्वरित निर्णय लें। यहां भी इसी तरह के प्रकरण पर सरकार द्वारा स्पष्ट दिशा निर्देश दिया गया लेकिन उत्तराखंड सरकार की ओर से अब तक कोई निर्देश न मिलने के कारण अधिकारियों द्वारा कोई महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया जा पा रहा है।
4 मई 2017 हिमाचल प्रदेश के उप सचिव ओम प्रकाश भंडारी द्वारा जारी इस शासनादेश में साफ कहा गया है कि जिन संविदा नियुक्ति धारकों ने तीन वर्ष पूर्ण कर लिए हैं, उन्हें 31 मार्च 2017 से नियमित कर दिया जाए। इन लोगों 30 सितम्बर 2017 से नियमित करने का निर्देश दिया गया था। एक ओर हिमाचल सरकार अपने संविदा में कार्यरत सभी कर्मियों को नियमित कर रही है, वही दूसरी ओर दून मेडिकल कॉलेज को सम्मान देने वाले इन चिकित्सकों के भेदभाव किया जा रहा है। जहां दून मेडिकल कॉलेज में 29 चिकित्सक चिकित्सा चयन बोर्ड से चयनित है, वहीं श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में छह चिकित्सक तथा हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज मे 15 चिकित्सक संविदा पर कार्यरत हैं, जो चिकित्सा चयन बोर्ड से चयनित नहीं है। सरकार द्वारा सभी को एक डंडे से हांकना अजीबो-गरीब व्यवस्था का परिचायक है लेकिन दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सकों को अब भी उम्मीद है कि सरकार उनके संदर्भ में उनकी सेवाओं को देखते हुए कोई ठोस और कारगर निर्णय लेगी।