राजनीति: उत्तराखंड कांग्रेस में रूठो की वापसी को लेकर फंसे हैं कई पेंच

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उत्तराखंड में आपसी राजनीति की शिकार कांग्रेस के लिये आने वाले आम चुनावों की राह आसान नहीं लग रही है। पार्टी को ताकत देने के लिये विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी का दामन छोड़ चुके नेताओं की वापसी को लेकर पार्टी के नेता एक मत नहीं हो पा रहे हैं। हाल ही में राज्य के नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की और इस मुद्दे पर आलाकमान का मन जानना चाहा। सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने बिना शर्त पार्टी में वापसी करने वाले नेताओं के लिये हरी झंडी दे दी है। इस दल में राज्य पार्टी प्रमुख प्रीतम सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विपक्ष की नेता इंदिरा ह्रयदेश, राज्य प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह, और पूर्व प्रमुख किशोर उपाध्याय शामिल थे।

पार्टी में वापसी करने के लिये तैयार प्रमुख नामों में शूरवीर सिंह सजवाण, आर्येंद्र शर्मा, दिनेश धनै, हरेंद्र वोहरा और महेश शर्मा प्रमुख हैं, लेकिन इन नेताओं की वापसी की राह आसान नही है।

शूरवीर सजवाण की खिलाफत मंत्री प्रसाद नैथानी कर रहे हैं, जिनके खिलाफ उन्होने देवप्रयाग से पिछला चुनाव लड़ा था जिसमे दोनों को ही हार का सामना करना पड़ा। वहीं पार्टी अध्यक्ष उनकी वापसी के पक्ष मे हैं। हालाकि सजवाण की वापसी में प्रीतम सिंह कामयब रहे हैं।

आर्येंद्र शर्मा का विरोध पूर्व पार्टी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय कर रहे हैं, पिछले विधान सभा चुनावों में शर्मा ने इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ा था और वो किशोर की हार का बड़ा कारण माने जाते हैं।

हरीश रावत सरकार में मंत्री रह चुके दिनेश धनै का विरोध भी किशोर उपाध्याय ही कर रहे हैं। धनै के टिहरी सीट पर दावे के कारण ही उपाध्याय को अपनी पारंपरिक सीट टिहरी को छोड़ना पड़ा था, इसके अलावा अपने खिलाफ चुनाव लड़ चुके वोहरा की खिलाफत हरीश चंद्र दुर्गापाल कर रहे हैं।

कालाढूंगी से पार्टी के राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके महेश शर्मा की भी पार्टी में वापसी की राह आसान नही है, हांलाकि उन्हे इंदिरा ह्रयदेश का समर्थन हासिल है।

वहीं प्रदेश अद्यक्ष प्रीतम सिंह इस मुद्दे पर संभल कर बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि “हमने पहले भी कहा है कि राजनीति में हमेशा दरवाजे खुले रहते हैं। जो लोग राहुल गांधी की अगुवाई में काम करने को तैयार हैं उनका पार्टी में स्वागत है। पार्टी के सीनियर नेता पहले भी पार्टी को मजबूत करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। इसमे कोई अंतर्रद्वंद नही है।” 

बहरहाल कांग्रेस में गुटबाजी और अंतर्रकलह न कोई नई बात हो और न ही किसी से छुपी रही है। पार्टी का साथ छोड़ चुके बड़े नेताओं की अगर वापसी होती है तो आने वाले समय में कांग्रेस को मदद मिल सकती है लेकिन ये इस बात पर निर्रभर करेगा कि पार्टी अपने मौजूदा खेमे को कितना जोड़कर रख सकती है।