दो इलाके, कभी गांव, कभी शहर, अब कुछ नहीं

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सेलाकुई और भतरौंजखान के अस्तित्व पर अब भी है अस्पष्टता

उत्तराखंड के दो इलाकों के बारे में अजीबोगरीब स्थिति बनी हुई है। देहरादून जिले का सेलाकुई और अल्मोड़ा जिले का भतरौंजखान वर्तमान में क्या है, यह स्पष्ट नहीं है। पहले ग्राम पंचायत, फिर नगर पंचायत रहे इन दो इलाकों की मौजूदा स्थिति एकदम अस्पष्ट है। इसी वजह से न यहां नगर निकाय चुनाव हो पाए और न ही अब पंचायत चुनाव। कानूनी पेचीदगी में फंसे इन दो इलाकों के संबंध में सरकार जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाने की भरोसा दिला रही है।

सेलाकुई और भतरौंजखान को हरीश रावत सरकार ने करीब तीन वर्ष पहले नगर पंचायत का दर्जा दे दिया था। सेलाकुई में तो बकायदा नगर पंचायत के कार्यालय ने काम करना भी शुरू कर दिया था, लेकिन भतरौंजखान के नगर पंचायत बनते ही हाईकोर्ट में रिट दायर हो गई। हाईकोर्ट के स्टे के बाद यह नगर पंचायत आकार नहीं ले पाई। इस नगर पंचायत को लेकर अब भी कानूनी अड़चन दूर नहीं हो पाई है। दूसरी तरफ, सेलाकुई नगर पंचायत के उस आदेश को ही हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है, जिसके आधार पर इसका गठन किया गया था। सरकार ने इस आदेश को चुनौती देने की बात कही है, लेकिन फिलहाल कुछ हो नहीं पाया है।

इन दो इलाकों के बारे अनिश्चिता का ये आलम है कि 2018 में नगर निकाय चुनाव में इन दोनों को ही छोड़ना पड़ा। अब पंचायत चुनाव में भी दोनों इलाकों की कहीं मौजूदगी नहीं है। इस संबंध में शहरी विकास और पंचायती राज दोनों विभाग भी अनिश्चितता का शिकार हैं। पंचायती राज विभाग के एक अफसर के मुताबिक, जब तक नगर पंचायत गठन का निर्णय डिनोटिफाइड नहीं होता, तब तक पंचायती राज विभाग कुछ नहीं कर सकता। इधर शहरी विकास विभाग के अफसरों का कहना है कि पूरी कोशिश की जा रही है कि दोनों जगहों का नगर पंचायत का स्वरूप ही कायम रहे। इसके लिए कानूनी विकल्प आजमाए जा रहे हैं।