पहाड़ों पर बर्फबारी और ठंड ने छुड़ा दिये नेताओं के पसीने

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राज्य के सभी इलाकों में जमकर बर्फबारी हो रही है

पिछले कुछ दिनों से राज्य के अलग अलग हिस्सों में हो रही बर्फबारी ने जहां मौसम को सुहावना बना दिया और बड़ी तादाद में पर्यटकों का रुख अलग अलग शहरों की तरफ हो रहा है। ऐसे में स्थानीय लोग और पर्यटन से जुड़े व्यापारियों के चेहरे तो खिले हुए हैं लेकिन मौसम के बदले मिजाज़ ने राज्य के नेताओं के माथे पर परेशानी की लकीरें डाल दी हैं।

उत्तराखंड विधानसभा के लिये 15 फरवरी को वोट डलने हैं और मौसम विभाग की माने तो आने वाले दिनों में राज्य में और खासतौक पर पहाड़ी इलाकों में ठंड बढ़ेगी। ऐसे में नेताओं को चिंत्ता है कि न कतेवल लोगों के बीच पहुंचना एक चुनौती हो सकती है बल्कि ठंड का सीधा असर वोटर टर्न आउट पर भी पड़ सकता है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का कहना है कि “हमने पहले ही चुनाव आयोग के सामने बात रखी थी कि राज्य में मतदान की तारीख फरवरी आखिर या कम से कम 15 फरवरी के बाद की हो। राज्य की भौगोलिक हालातों को देखते हुए ये ज़रूरी था कि मतदान की तारीख ऐसी हो जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग वोट डालने आ सके। इसके अलावा ऐसी विषम परिस्थितियों में चुनाव की तैयारी करना भी मुश्किल हो जाता है।”

वहीं प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने इसे कांग्रेस की हार से बचने की कवयद करार दिया है। बीजेपी प्रवक्ता श्री भसीन ने कहा कि ” कांग्रेस को अपनी हार सामने दिख रही है और इससे बचने के लिये वो इसका ठीकरा चुनावों की तारीख पर डालना चाहकी है। राज्य में मौसम पल पल बदलता है और ऐसे में मतदान की तारीख अबी काफी दूर है”

गौरतलब है कि 2012 में भी विधानसभा चुनावों के लिये मतदान 20 जनवरी को हुआ था और इसमें करीब 66 प्रतिशत वोटर टर्नआउट रहा।इस बार मतदान फरवरी मे है और15 फरवरी को मतदान होने के बाद तकरीबन एक महीने तक वोट मशीनों में बंद रहेंगे। इसका फायदा किसको मिलता है ये देखना दिलचस्प रहेगा।