मुख्यमंत्री ने सिंचाई के लिए जलाशयों के विकास पर दिया जोर 

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देहरादून,  प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पर्वतीय खेती के लिए सिंचाई की सुविधा पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए जलाशय विकसित करने होंगे। क्लस्टर आधारित खेती और जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन की व्यवस्था भी किसानों की आय को बढ़ाने हितकारी साबित होगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए विभिन्न गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, बैंकों के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया।
रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड भौगोलिक विषमताओं वाला प्रदेश है। पर्वतीय खेती अधिकांशतः असिंचित है। लिफ्ट सिंचाई बहुत खर्चीली होती है। इसलिए ग्रेविटी आधारित पेयजल व सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति के लिए जलाशयों का निर्माण जरूरी है। सूखते जलस्त्रोतों को देखते हुए वर्षा जल संचयन महत्वपूर्ण है। नदियों के पुनर्जीवन के लिए भी जलाशय आवश्यक हैं। चाल-खाल भी बचाने होंगे।
राज्य सरकार ने इस दिशा में शुरुआत की है। पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा, पौड़ी, चमोली, देहरादून आदि जिलों में जलाशय व झीलें विकसित की जा रही हैं। इसका आने वाले समय में बहुत फायदा होगा। इन जलाशयों के निर्माण की फंडिंग के लिए नाबार्ड को आगे आना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आय को बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बहुत सी कोशिशें प्रारम्भ की गई है। किसानों को व्यक्तिगत रूप से एक लाख तक और समूह को पांच लाख तक का कृषि ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उत्पादों के वैल्यू एडिशन पर विशेष बल दिया जा रहा है। प्राकृतिक रूप से उपलब्ध फाईबर कंडाली और इंडस्ट्रीयल हैम्प आधारित उत्पादों की वैश्विक बाजार में बहुत मांग है। इनसे तैयार किए जाने वस्त्रों की अच्छी कीमत मिलती है। एरोमैटिक्स की भी उत्तराखण्ड में काफी सम्भावनाएं हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड के कृषि व संबंधित उत्पाद स्वाभाविक रूप से जैविक हैं। इनके सर्टिफिकेशन की सही तरीके से व्यवसथा करनी होगी। किसानों को भी इसकी जानकारी देनी होगी।
कृषि क्षेत्र में पिछले दो वर्षों में उत्तराखण्ड को मिले पुरस्कार: उनियाल
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने खेती के क्षेत्र में कई पहल की है। यही कारण है लगातार दो बार कृषि कर्मण पुरस्कार सहित पिछले 2 वर्षों में 6 पुरस्कार उत्तराखण्ड को मिले हैं। आर्गेनिक खेती में हम काफी आगे बढ़ चुके हैं।
उन्होंने कहा कि इंटीग्रेटेड एग्रीकल्चर से किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है। खेती के साथ एलाईड सेक्टर को लेना होगा। पिछले कुछ समय में बहुत से युवाओं ने कृषि व कृषि संबंधित गतिविधियों के माध्यम से रिवर्स पलायन किया है। सरकार की योजनाओं की जानकारी आम व्यक्ति तक पहुंचानी होंगी।
मंत्री ने कहा कि हॉर्टीकल्चर के लिए काश्तकारों के अल्पावधि के साथ ही मध्यम व दीर्घ अवधि के ऋण उपलब्ध कराने होंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में नहरों की मरम्मत और जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेतों की फेंसिंग भी जरूरी है। किसानों के उत्पाद खराब न हों, इसके लिए शीतगृहों की व्यवस्था करनी होगी। ऐसी व्यवस्था भी करनी होगी जिससे किसानों को उनके उत्पादों की अच्छी कीमत मिले। राज्य सरकार ने इसके लिए कोशिशें शुरू की हैं। घाटियों को उत्पाद विशेष की घाटी के तौर पर विकसित करने के प्रयास कर रहे हैं।
उत्तराखण्ड के लिए 24,656 करोड़ रुपये की ऋण आंकलित 
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सुनील चावला ने बताया कि वर्ष 2020-21 के लिए नाबार्ड ने उत्तराखण्ड की प्राथमिकता क्षेत्र के लिए कुल ऋण सम्भाव्यता 24,656 करोड़ रुपये आंकलित की है, जबकि वर्ष 2019-20 में यह 23,423 करोड़ रुपये थी। इस वर्ष के स्टेट फोकस पेपर का विषय ‘उच्च तकनीकी से कृषि’ है। उच्च तकनीक वाली कृषि भविष्य की कृषि है, जिसमें जैव विविधता और जैव-प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित बीज रोपण सामग्री और अन्य बेहतर इनपुट शामिल होंगे।
यह सूक्ष्म सिंचाई, पर्यावरण के अनुकूल स्वचालन और मशीनीकरण, नैनो तकनीक के उपयोग, जलवायु पूर्वानुमान, जीपीएस, रोबोट, पायलट रहित ट्रैक्टर, ड्रोन के अलावा अन्य मशीनरी और कृषि के लिए सामान्य उपकरण, संरक्षित कृषि, मृदा रहित शहरी खेती, हाईड्रोपोनिक्स, एरोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स, किसानों की आय बढ़ाने के लिए आई-टेक ग्रीनहाउस पर बल देती है।