सरकार के फैसले के खिलाफ पहली बार चारधाम तीर्थ पुरोहित सड़क पर

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चारधाम पुरोहित समाज में उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक-2019 को मंजूरी को लेकर गहरा आक्रोश व्याप्त है। पंडा समाज ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यह काला कानून हमारी सनातन संस्कृति को नष्ट करने वाला है। इसे हक-हकूकधारी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नही करेंगे। अगर सरकार अपने निर्णय में बदलाव नही करती है तो विधानसभा घेराव के साथ ही उग्र आंदोलन किया जाएगा। साथ ही कपाट खोलने का भी विरोध किया जाएगा।
गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि त्रिवेन्द्र सरकार की ओर से वैष्णोदेवी माता मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर श्राइन बोर्ड की तर्ज पर चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन का कैबिनेट में मंजूरी का खुलकर विरोध किया। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर तीर्थ पुरोहितों से झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की मंशा पुरोहित समाज व सनातम संस्कृति को नुकसान पहुंचाने की है। हम तिरुपति मंदिर की तरह संपन्न नही हैं। सरकार गंगोत्री यमुनोत्री धाम के लिए आपदा के समय से लेकर अभी तक एक भी रुपया नही दिया है। हम यजमान और स्थानीय लोगों के सहयोग से काम करते हैं। इतने बड़ी मंजूरी को बिना पंडा समाज के बिना विश्वास में लिए पास करना हजारों परिवारों को बेघर करने की सरकार की नियति को सहन नही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आगे रणनीति पर पंडा समाज तेजी से काम करेगा और आगामी दो दिनों में आंदोलन को धार देकर सरकार की सनातक संस्कृति को नष्ट करने की मंशा का विरोध किया जाएगा। इसके लिए स्तर का आंदोलन का रूप अख्तियार किया जाएगा। 
उनका कहना है कि सैकड़ों हजारों साल की चली आ रही सनातम परंपरा को सरकार ने बदलने का निर्णय लेकर हिन्दू आस्था पर चोट किया है। वे सीधे-सीधे सरकार पर छल करने का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि जब राज्य विधि आयोग उनसे श्राइन बोर्ड कानून को लेकर सुझाव मांग रहा था, तभी प्रदेश मंत्रिमंडल ने इसके गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। 
यमुनोत्री मंदिर समिति सचिव कृतेश्वर उनियाल ने कहा कि सरकार ने इतना बड़े निर्णय लिया लेकिन पंडा समाज को जानकारी तक नही दी। इससे हम सभी आहत हैं। इस निर्णय से लगभग आठ हजार परिवार  बेघर हो जाएंगे। इसके साथ ही पूजा की संस्कृति, आस्था और स्तुतिया हमारी पूरी तहर नष्ट हो जाएगी। ऐसे में हम अपनी वर्षों से चली आ रही परंपरा खो देंगे। देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्ण कांत कोटियाल ने आरोप लगाया कि सरकार ने सलाह मशविरा किए बगैर इतना बड़ा निर्णय लेकर पंडा समाज के साथ घोर अपमान किया है। तीर्थ पुरोहित समाज इससे व्यथित है। सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध किया जाएगा। वर्ष 2004 में सरकार चारधाम का अधिनियम बनाने का प्रयास किया था। राज्य विधि आयोग की बैठक के बाद महापंचायत की एक अहम बैठक हुई जिसमें सरकार पर छल करने का आरोप लगाया गया। सरकार के फैसला का कड़ा विरोध करने का फैसला लिया गया।
इस मौके पर यमुनोत्री मंदिर समिति सचिव कृतेश्वर उनियाल, युमोनोत्री के मुख्य पुजारी, पुरुषोतम उनियाल रावल, यमुनोत्री प्रदीप उनियाल, गंगोत्री सचिव दीपक सेमवाल, केदानाथ बिनोद शुक्ला सहित सहित दर्जनों लोग मौजूद रहे।

केदारनाथ समेत 51 मंदिरों होगी 

अपने महत्वपूर्ण फैसले में उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक-2019 को मंजूरी दे दी है। गंगोत्री, यमनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ समेत 51 मंदिरों की व्यवस्थाएं अब चारधाम विकास बोर्ड के तहत संचालित होंगी। वैष्णो देवी और त्रिरुपति बालाजी मंदिरों की तर्ज पर ही चारधाम की व्यवस्थाएं संचालित होंगी।
अगर हिन्दू मुख्यमंत्री  होगा तो बनेगा बोर्ड का अध्यक्ष
चारधाम विकास बोर्ड में सीएम अध्यक्ष होंगे, संस्कृति विभाग के मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। इसमें शर्त यह है कि सीएम अगर हिन्दू हो तो ही अध्यक्ष होंगे वरना सरकार के सीनियर हिन्दू मंत्री बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। तीन सांसद और छह विधायक बोर्ड के सदस्य होंगे। जबकि सरकार चार अन्य सदस्यों को नामित करेगी। पुजारियों के तीन प्रतिनिधि भी इसमें शामिल होंगे। वरिष्ठ आईएएस सीईओ और पदेन सचिव होंगे।