आयुर्वेद को विश्व की सर्वोच्च औषध प्रणाली के रूप में करेंगे स्थापित : बालकृष्ण

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हरिद्वार, हमारे वैज्ञानिक ऋषियों, हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर और विश्व की सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद टूटी-फूटी झोंपड़ियों में दम तोड़ रही थी। आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि योगपीठ के प्रयासों से आयुर्वेद को संजीवनी मिली है। आयुर्वेद की पुनः स्वीकार्यता का कार्य आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि के प्रयासों से ही सम्भव हो सका है।
इसी कड़ी में एक नई पहल करते हुए पतंजलि अनुसंधान संस्थान में एक नई अनुसंधान लैब का उद्घाटन आचार्य प्रद्युम्न और आचार्य बालकृष्ण ने किया। यह लैब आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित होगी।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि इस लैब के निर्माण का एकमात्र उद्देश्य आयुर्वेद को विश्व की सर्वोच्च औषध प्रणाली के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि पतंजलि के प्रयासों से देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में आयुर्वेद की स्वीकार्यता बढ़ी है। लोग भारतीय ऋषियों के गहन अनुसंधान आधारित सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति की ओर लौट रहे हैं। आयुर्वेद तन, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित कर सुस्वास्थ्य का संचार करता है। आयुर्वेद मात्र उपचार नहीं अपितु एक सम्पूर्ण जीवन पद्धति है।
कार्यक्रम में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने कहा कि आयुर्वेद को वैश्विक मान्यता दिलाने का कार्य सही समय पर आचार्य बालकृष्ण के दिशा निर्देशन में किया जा रहा है। इस लैब में विशुद्ध रूप से नई आयुर्वेदिक औषधियों की संरचना एवं निर्माण किया जाएगा।
इसके उपरान्त इन नई औषधियों पर पतंजलि अनुसंधान संस्थान स्थित अन्य लैब विस्तृत परीक्षण करेंगी।उद्घाटन कार्यक्रम से पूर्व वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया गया। कार्यक्रम में पतंजलि योग समिति की मुख्य महिला केन्द्रीय प्रभारी साध्वी आचार्या देवप्रिया, स्वामी परमार्थ देव, मुख्य महाप्रबंधक ललित मोहन, मुख्य केन्द्रीय प्रभारी राकेश आदि उपस्थित रहे।