देहरादून का सपूत कश्मीर में हुआ लापता, परिवार बेहाल

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    कश्मीर के गुलमर्ग में तैनात देहरादून निवासी सेना में हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी बर्फ में फिसलकर पाकिस्तान सीमा में पहुंच गए। यह खबर आने के बाद पूरे परिवार में कोहराम मच गया। हर पल अनहोनी की आशंका से आंसू थम नहीं रहे हैं। परिवार के साथ आस पास के लोग भी ग़मगीन है तो परिवार का रो रो कर बुरा हाल हो चुका है,हवलदार राजेन्द्र सिंह नेगी की पत्नी राजेश्वरी देवी के मुताबिक बीती 8 तारिख से उनकी आखरी बार उनसे बात हुई थी पर उसके बाद से उनकी कोई खबर नही है परिवार के लोग केंद्र सरकार से अभिनन्दन की तरह राजेन्द्र सिंह नेगी की वापसी की सरकार से मांग कर रहे हैं।

    अभिनन्दन का पाकिस्तान की सीमा में पहुँचने से लेकर वापसी तक को पूरे देश ने देखा था।आज एक बार फिर एक फौजी कश्मीर में हो रही भारी बर्फबारी के चलते पैर फिसलने के कारण पाकिस्तान की सीमा के अंदर पहुँच गए जिसके बाद अब तक उनका कोई पता नही चला है।घर के लोगो द्वारा जब सेना से उनके बारे में जानकारी ली गयी तो सेना द्वारा उनको मिसिंग बताया गया और उनकी तलाश की बात कही गयी।ये खबर घर वालो को मिलते ही घर के लोगो मे कोहराम मच गया।सेनानायक राजेन्द्र सिंह पिछली 8 तारीख से अब तक लापता हैं तब से परिवार का रो रो कर बुरा हाल है तो पूरे मोहल्ले के लोग उनके घर पर जमा होकर उनको सान्त्वना दे रहे हैं।परिवार के लोग सरकार से उनकी जल्द वापसी को लेकर मांग कर रहे हैं।सेना का कहना है कि हवलदार की तलाश की जा रही है। जबकि परिवार चाहता है कि सरकार विंग कमांडर अभिनंदन की तरह उनके बेटे को अपने वतन वापस लाने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाए।मूल रूप से गढ़वाल के आदिबद्री के और हाल में देहरादून में अंबीवाला सैनिक कॉलोनी निवासी राजेंद्र सिंह नेगी ने वर्ष 2002 में 11 गढ़वाल राइफल्स ज्वाॅइन की थी। वह अक्तूबर में एक माह की छुट्टी बिताने देहरादून आए थे। नवंबर में लौट गए थे। वह कश्मीर के गुलमर्ग में बर्फीले इलाके में तैनात थे।

    आठ जनवरी को अचानक उनकी यूनिट से पत्नी राजेश्वरी के पास फोन आया। फोन सुनकर उनके होश उड़ गए। बताया गया कि हवलदार राजेंद्र सिंह मिसिंग हैं। उनकी तलाश की जा रही है, लेकिन कहीं पता नहीं चल पा रहा है।एक-दो दिन इंतजार करने के बाद जब यूनिट से संपर्क किया गया तो पता चला कि वह ड्यूटी के दौरान बर्फ में फिसलकर पाकिस्तान की सीमा में चले गए हैं। जहां से सीधे बचाव करना नामुमकिन है। फिर भी सेना के स्तर से कोशिश की जा रही है।

    अब परिवार हर पल राजेंद्र के लौटने का इंतजार कर रहा है। फोन पर बजने वाली हर घंटी राजेंद्र की खुशखबरी का अहसास तो कराती है, लेकिन मन में किसी अनहोनी की आशंका भी बनी हुई है।हवलदार राजेंद्र के भाई कुंदन का कहना है कि वह चाहते हैं कि केंद्र सरकार विंग कमांडर अभिनंदन की तरह उनके भाई को भी बचाने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाए। जवान के उनके तीन बच्चे हैं।