पहाडों पर पीने के लिए पानी का हाहाकार

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बीते दो दिनों में हुई भारी वर्षा के बाद चरमराई अल्मोड़ा नगर की जलापूर्ति व्यवस्था। गत दिवस कोसी में गाद आने से बंद हुए पंप कल सुबह चल सके। इससे नगर में आंशिक जलापूर्ति हुई। दो दिन से मोहल्लों में बारी-बारी से पानी मिल रहा है। ऐसे में लोग पेयजल किल्लत का सामना कर रहे हैं।

नगर की पेयजल आपूर्ति लगभग 12 किमी दूर कोसी से बनी पंपिंग पेयजल योजना पर निर्भर है। जलापूर्ति गत बुधवार से तब प्रभावित हो चली, जब बुधवार अपराह्न अचानक मौसम ने करवट बदली और क्षेत्र में जबर्दस्त बारिश हुई। भारी वर्षा से कोसी नदी का जलस्तर बढ़ चला और बड़ी मात्रा में बहकर सिल्ट आई। यह सिल्ट कोसी स्थित पंप गृह के पंपों में घुसने लगी, जिससे पंपों को खतरा पैदा हो गया और कोसी में लगे तीनों पंप बंद करने पड़े। इसी बात की पुनरावृत्ति गुरुवार अपराह्न भारी वर्षा से हो गई। पिछले दो दिनों में पंपिंग मशीनें पूरी रात ठप रही। इससे नगर में स्थित तीन जलाशयों में पानी उपलब्ध नहीं हो सका। गुरुवार को सुबह छह बजे से अपराह्न दो बजे तक ही पंप चले। इस अवधि में जलाशयों में कुछ पानी उपलब्ध हुआ, तो चंद मोहल्लों में उसकी आंशिक आपूर्ति की गई। इसी तरह शुक्रवार को भी सुबह से पंप चले। ज्यों-ज्यों जलाशयों में पेयजल उपलब्ध होता रहा।

वैसे ही पहले दिन वंचित मोहल्लों में बारी-बारी से जलापूर्ति हुई, मगर यह भी अपर्याप्त व अनियमित रही। शुक्रवार अपराह्न बाजार क्षेत्र, धारानौला क्षेत्र व मालरोड इलाके में आपूर्ति की गई, मगर जिन मोहल्लों में गुरुवार को आंशिक आपूर्ति हुई, उनकी बारी नहीं आ सकी। नगरवासी दो दिन से पेयजल के लिए मुश्किल झेल रहे हैं। घर में एकत्रित पानी व आसपास मौजूद स्रोतों व नौलों की शरण ले रहे हैं।

कोसी पंपिंग पेयजल योजना नगर व उससे लगे चंद गांवों की करीब 1.25 लाख की आबादी की पेयजल का आधार है। इसके लिए नगर में करीब 8580 जल संयोजन और 40 जल स्तंभ हैं। महज बरसात में ही दिक्कत नहीं है, बल्कि मांग तो पहले से ही अधूरी है। इतनी आबादी के लिए 14 एमएलडी पेयजल की मांग है, मगर सामान्य स्थिति में भी योजना 6 से 8 एमएलडी (मिलीयन लीटर प्रतिदिन) ही आपूर्ति हो रही है। बरसात में इतनी भी नहीं हो पाती। इसकी वजह से योजना का आवश्यकता के अनुसार पुनर्गठन नहीं होना और घिसी-पिटी व्यवस्था के सहारे बैठे रहना। इसके अलावा राइजिंग मेन के लीकेज तक दूर नहीं हो पा रहे हैं। ये हालात व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं।

बारिश में कोसी में सिल्ट आना और जलापूर्ति बंद होने का यह सिलसिला पुराना है। इसे लोग व्यवस्था की कमजोरी मान रहे हैं। दो दिन भारी वर्षा हुई, तो दोनों ही दिन जलापूर्ति व्यवस्था चरमरा गई। शुक्रवार अपराह्न भी आसमान बादलों से पट गया। जिससे बारिश के आसार बने रहे। स्थिति ये है कि बारिश होने की संभावना से ही पेयजल संकट की चिंता सताने लग रही है। गत वर्ष भी बरसात में ऐसा ही रोना आए दिन लोगों ने झेला।

ईई जल संस्थान नंदकिशोर नदी में बताया कि सिल्ट आने से दिक्कत आ रही है। पंपों के संचालन में खलल से जलापूर्ति में बाधा आई है। फिर भी आपूर्ति करने के पूरे प्रयास हो रहे हैं और पंप संचालन में दिक्कत नहीं आने की दशा में पेयजलापूर्ति नियमित ढंग से चलती रहेगी।