कैसे एक टीचर के प्रयासों की मिसाल बन गया है ये स्कूल

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हमारी आज की कहानी एक ऐसे स्कूल की है जहां एक अकेला अध्यापक अपने दम पर छात्रों के लिये मेहनत कर रहा है। हम बात कर रहे हैं अल्मोड़ा जिले के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला, विकासखंड धौलादेवी की। अल्मोड़ा से लगभग 50 किलोमीटर टैक्सी से सफर करने और फिर 6 किमी पहाड़ की चढ़ाई करने के बाद इस गांव और स्कूल में पहुंचा जाता है। इस स्कूल में पिछले 5 साल से अकेले बच्चों की छोटी-छोटी जरुरतों को पूरा कर रहे हैं भास्कर जोशी।

इस स्कूल के अध्यापक भास्कर जोशी पिछले साढ़े पांच साल से इस स्कूल में बच्चों को अकेले पढ़ा रहे हैं। खास बात यह है कि इतने दूरस्थ होने के बाद भी इस स्कूल के बच्चें अंग्रेजी मीडियम स्कूल के बच्चों से कम नहीं है।

यह इस क्षेत्र का सबसे दुर्गम इलाकों में स्थित विद्यालय है, यहाँ कोई नही आना चाहता, न अधिकारियों को कोई मतलब है और न ही किसी जनप्रतिनिधियों को कोई सरोकार है। क्षेत्र बहुत पिछडा है, गरीबी, बेरोजगारी और नशाखोरी से ग्रस्त है। रोजमर्रा के सामनाों के लिये भी लोगों को 50 किलोमीटर दूर अल्मोड़ा जाना होता है।

केवल इतना ही नहीं इस गांव के लोगों को किसी भी तरह के काम के लिए जटेश्वर नदी को पार करना पड़ता है जिसमें अभी बाढ़ आई थी। यहां के लोगों के लिए ये रोज का काम है नदी को पार करके अपनी मेहनत मजदूरी की तलाश मे जाना।

भास्कर जोशी बताते हैं कि, “साल 2013 में जब मेरी पोस्टिंग इस स्कूल में हुई थी और जब मैं पहले दिन यहां पहुंचा तो स्कूल के हालत बहुत ही खराब थी। विद्यालय भवन जर्जर स्थिति मे था, कोई भी भौतिक सुविधा बच्चों के लिए विद्यालय मे नहीं थी छात्र संख्या भी 10 थी। बच्चे या तो स्कूल मे नामांकित नही थे और जो नामांकित थे भी तो वो स्कूल नही आते थे ,वे अपने अभिभावकों के काम मे हाथ बटाते या फिर पशुओं को चराने का काम करते थे।”

इन सारी चुनौतियों का सामना करते हुए आज भास्कर की मेहनत के दम पर स्कूल की हालत बहुत बेहतर है।अब स्कूल में छात्र संख्या 24  हो चुकी है।भास्कर की मेहनत औऱ स्कूल में बढ़ते छात्रों को देखते हुए स्कूल की मरम्मत के लिए ब्लॉक स्तर से मदद की गई जिससे ग्रामीणों को रोजगार भी मिला। इतना ही नहीं भास्कर आए दिन इस क्षेत्र मे नशा उन्मूलन के लिए शिक्षा का प्रसार नशे का तिरस्कार जैसे कार्यक्रम का संचालन करते रहते हैं।

जहां एक तरफ पलायन की मार झेल रहे प्रदेश के सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं, वही इस राजकीय प्राथमिक विद्यालय की छात्र संख्या 10 से बढ़कर 24 हो चुकी है। बेरोजगारी,गरीबी और नशें में डूबे इस क्षेत्र मे कई सामाजिक,शैक्षिक,स्वच्छता व नशा उन्मूलन के कार्यों में हाथ बढ़ाया है, जिससे न केवल क्षेत्र मे शिक्षा का उत्थान हो रहा है,बल्कि क्षेत्र मे लोगो का रुझान सरकारी शिक्षा की तरफ बढ़ रहा है ।

अगर हम स्कूल के विकास की बात करें तोः

  • स्कूल के कक्षा 1 के बच्चें भी धारा प्रवाह से हिंदी और अंग्रेजी पढ़ते है तथा गणित की सभी मुख्य संक्रियाएं कर रहें है,बच्चों का शैक्षिक स्तर किसी भी प्रकार से अन्य प्रकार (पब्लिक स्कूल) के विद्यालयों के छात्रों से कम नही है।
  • कई नवाचारी कार्यक्रम विद्यालय मे चलाये जा रहें है जिनसे छात्रों का शैक्षिक स्तर बढ़ रहा है ।
  • कमजोर छात्रों को स्कूल के बाद पढ़ाया जाता है, जिससे वे भी सभी छात्रों के स्तर पर आ सकें ।
  • भाषा विकास के लिए (हिंदी , इंग्लिश,संस्कृत) गतिविधि आधारित शिक्षण किया जाता है।
  • बच्चे सुबह की प्रार्थना मुख्यतः चार भाषाओं में करते हैं।
  • बच्चें स्मार्ट क्लास से पढ़ते है जिससे उनका शैक्षिक स्तर बहुत अच्छा होता जा रहा है, इस के लिये विद्यालय मे प्रोजेक्टर,कंप्यूटर आदि की व्यवस्था अपने संसाधनों से की है।
  • विद्यालय मे किचन गार्डन का निर्माण किया गया है जहाँ सभी प्रकार की सब्जियां उगाई जाती है व बच्चों के मध्याह्न भोजन के लिये प्रयोग की जाती है।

इसके अलावा ऐसे बहुत से काम है जो भास्कर जोशी की कोशिशों से मुमकिन हो पाया है। भास्कर के अथक प्रयास से ना केवल गांव के लोग बल्कि दूसरे शहर के कुछ एनजीओ ने उनकी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। भास्कर के इन प्रयासों को सरकार से ना तो कोई मदद मिली है ना किसी का ध्यान इसपर जा रहा है। लेकिन अगर आप भास्कर जोशी और इन बच्चों की मदद करना चाहते हैं तो इनसे सीधे जुड़ सकते हैं।

Education for Underprivileged

इसके अलावा आप भास्कर से मोबाइल पर भी जुड़ सकते हैं:  8899477395, 9410166577