यूएई में फंसे 500 उत्तराखंडी, सरकार से मदद की गुहार

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कोरोना काल में संयुक्त अरब अमिरात (यूएई) में उत्तराखंड के 500 प्रवासियों के फंसने का मामला सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि देश वापसी के लिये इन लोगों की तरफ से सभी तैयारियां कर ली गई हैं, लेकिन, सरकारी लाल फीताशाही के चलते यह सभी वहां फंसे हुए हैं।

दरअसल, यूएई में होटल व्यवसाय में काम करने वाले करीब 500 से ज्यादा उत्तराखंड के मूल निवासी वहां फंस गये हैं।  इन लोगों को देश वापस लाने के लिये उत्तराखन्ड ऐसोसिएशन यु.ए.ई ने उन्हे प्राइवेट चार्टर्ड से निकाल कर उत्तराखंड लाने की कोशिश की है। इस हवाई यात्रा का खर्च भी यह सभी लोग मिलकर उठा रहे है। भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय इस पर मुहर लगा चुका है क्योंकि उन्होनें यंहा की हालात देखी है। संस्थान के लोगों का कहना है कि हर एक प्रोसेस को फ़ोलो किया गया लेकिन अंत मे सिविल एविएशन मंत्रालय ना जाने क्यों इस फाइल को रोक लिया है।इन लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द सिविल एविएशन मंत्रालय इन्हे अनुमति दें और फ़्लाइट दुबई से भारत भेंजें।

संस्थान के लोगों ने भारत वापस आने के लिये दुबई की फ्लाई दुबई कंपनी से जहाज किराये पर लिया है। संस्थान का कहना है कि शायद यही कारण है कि उनको इजाजत नहीं मिल रही है। उनके मुताबिक इस कंपनी का चयन इसलिये किया गया क्योंकि यह एक बजट एयरलाइन है और इन सभी लोगों को किफायती पड़ रही है। इन लोगों का कहना है कि, “अगर सरकार को लगता है कि हमने इसके लिए यु.ए.ई कि फ्लाई दुबई ऐयर्लाइन्स कम्पनी को क्यों चुना? दरएसल इन सब गरीब होटेलियरस को बाकि ऐयर्लाइन्स कम्पनी के मुकाबले यह सस्ती पड़ रही है। अगर सिविल एविएशन मंत्रालय , दुबई के कैरियरस् को अप्रूवल नही देना चाहता तो नियम निकाल दे, हम अप्लाई ही नही करेंगे।”

उत्तराखन्ड ऐसोसिएशन UAE के सदस्यों दीपक ध्यानी, शैलेन्द्र नेगी, हेमु नयाल, गौतम चौधरी, अरविन्द पंत, मनवीर गुसाईं आदि ने इन सभी इन सभी लोगों का डाटा तैयार किया फ़ाइल बनाई। उत्तराखन्ड ऐसोसिएशन UAE के सदस्य दीप नेगी से बात करने पर पता चला कि पिछले 10 दिनों से यह मामला लटका है और बड़ी संख्या में भारतीय देश वापस नही आ पा रहे हैं। 7 जुलाई को इस फ्लाइट को उड़ना था,और कई लड़के जो दूर दूर के थे, एक रात पहले ही एयरपोर्ट आ गए। लेकिन विभाग से इजाजत न मिलने के कारण यह फ्लाइट नही उड़ सकी।

आलम यह है कि, अब इन लोगों के पास नौकरी नही है, ना रहने का स्थान, ना खाना और ना पैसे, पर सिविल एविएशन मंत्रालय का दिल नहीं पसीजता। जैसे तैसे संस्थान ने इन लोगों के लिये एक -दो दिन के लिये रहने और खाने की व्यव्स्था की।

वन्दे भारत मिशन कि फ़्लाइटें महीने में एक बार है, और भारतीयों की संख्या यूएई में लाखों मे है। वन्दे भारत की एक फ़्लाइट में 150-200 लोग ही जा सकते हैं। अब अगर ऐसे में लग रहा है कि लोगों की अपने आप देश वापसी की कोशिशों को सिविल एविएशन मंत्रालय का सहयोग नहीं मिल रहा है।

वही इस मामले में एयर इंडिया ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि दुबई से दिल्ली औऱ अन्य शहरों के बीच वंदे भारत मिशन के तहत उड़ाने चलने वाली हैं औऱ इच्छुक लोग उसके जरिये देश वापसी कर सकते है।