उत्तराखंड में मोटर व्हीकल जुर्माना आधा, स्टंट करने वालों की मुसीबतें बढ़ी

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बुधवार को उत्तराखंड मंत्रिमंडल की बैठक संपन्न हुई। बैठक में कईं महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगी। उत्तराखंड में केंद्रीय मोटर व्हीकल एक्ट में भारी भरकम जुर्माने से बड़ी राहत दी गई है। अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कई अपराधों में जुर्माने की दरों को 50 से 75 फीसदी तक कम कर दिया गया है। यह निर्णय बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में हुआ।

बैठक में 16 प्रस्ताव रखे गए, जिसपर 15 को मंजूरी मिल गई। उत्तराखंड जल नीति के आए प्रस्ताव पर विचार किया गया, लेकिन उसे अगली कैबिनेट में दोबारा लाने का निर्णय हुआ। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि परिवहन विभाग ने नए मोटरयान अधिनियम के तहत कंपाउंडिंग शुल्क की दरों का प्रस्ताव रखा, जिसमें संशोधन करते हुए वाहन चालकों को बड़ी राहत दी गई।

बिना लाइसेंस वाहन चलाने पर 10 हजार रुपये के स्थान पर पांच हजार रुपये का जुर्माना वसूल किया जाएगा। इसी तरह नाबालिग के वाहन चलाने पर 5000 रुपये के स्थान पर 2500 रुपये जुर्माना वसूला जाएगा। ध्वनि प्रदूषण या वायु प्रदूषण के मानकों का उल्लंघन करने पर पहली बार 10000 के स्थान पर 2500 रुपये और दूसरी बार में 5000 के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

मोटर व्हीकल एक्ट में ये दी राहत

  • धारा 177, 178, 178(2), 178(3) 112 के नियम में दिए गए जुर्माने को यथावत रखा।
  • बगैर लाइसेंस पकड़े जाने पर केंद्र के तय जुर्माने पांच हजार को घटाकर ढाई हजार रुपये किया।
  • गलत पंजीकरण (नंबर प्लेट) पर 10 हजार रुपये के जुर्माने को पांच हजार रुपये किया गया।
  • मोबाइल पर बात करने पर 5 हजार से घटाकर पहली बार 1 हजार, दूसरी बार 5 हजार जुर्माना।
  • प्रदूषण सर्टिफिकेट न होने पर 10 हजार को पहली बार ढाई हजार, दूसरी बार पांच हजार जुर्माना।
  • धारा 180 में जुर्माना को 5000 से घटाकर 2500 रुपये किया गया।
  • धारा 7 में गाड़ी के मोडिफिकेशन पर जुर्माना एक लाख से घटाकर 50 हजार किया।
  • धारा 182 (ख) में 10000 रुपये जुर्माने को घटाकर 5000 रुपये किया।
  • ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण के लिए 10000 की जगह 2500 का जुर्माना।
  • क्षमता से अधिक सवारी ले जाने पर 200 रुपये प्रति सवारी जुर्माना।
  • सीट बेल्ट न पहनने पर एक हजार रुपये और दूसरी बार दो हजार रुपये जुर्माना।
  • अग्निशमन व एंबुलेंस को रास्ता ना देने पर 10000 से घटाकर 5000 रुपये किया जुर्माना।
  • गतिसीमा से अधिक पर वाहन चलाने पर दो हजार रुपये किया गया है जुर्माना।
  • वाहन से रेस और स्टंट करने पर पर केंद्रीय एक्ट की तरह पांच हजार रुपये जुर्माना।

कैबिनेट के अन्य प्रमुख फैसले

  • 31 मार्च 2019 के बाद होने वाले पूर्व मुख्यमंत्रियों को कोई सुविधा नहीं दी जाएगी। इससे पूर्व मुख्यमंत्रियों का किराया माफ।
  • महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत 2668 पदों को स्थायी रूप से स्वीकृति दी गई। आठ कंप्यूटर प्रोग्रामर के वेतन में भी 5 फीसदी की वृद्धि की गई है।
  • कैंप अधिसूचना के अंतर्गत वार्षिक लेखा को विधान मंडल पटल पर रखने की दी मंजूरी।
  • उत्तराखंड राज्य नियमावली के समूह ग में किए गए संशोधन को मंजूरी दी।
  • उत्तराखंड विशेष अधीनस्थ शिक्षा प्रवक्ता संवर्ग सेवा नियमावली 2019 में संशोधन को मंजूरी।
  • उत्तराखंड अधीनस्थ शिक्षा एलटी के लिए नियमावली में किया गया संशोधन। 10 फीसदी पद भरे जाएंगे प्रमोशन से।
  • एकल आवास के वन टाइम सेटेलमेंट का समय बढ़कर दिसंबर 2019 तक किया।
  • हरिद्वार विकास प्राधिकरण, मसूरी विकास प्राधिकरण और पौड़ी विकास प्राधिकरण में हो रही दिक्कत की वजह से कैबिनेट ने निर्णय लिया कि जिस जिले में जो प्राधिकरण आएगा, वह उसी क्षेत्र में माना जाएगा।
  • गंगोत्री विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण को उत्तरकाशी विशेष क्षेत्र प्राधिकरण में सम्मिलित करने पर सहमति।
  • भागीरथी नदी विकास प्राधिकरण का मुख्य कार्यपालक अधिकारी आवास विभाग का अपर सचिव होगा, जबकि संयुक्त सचिव अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी होगा।
  • ग्रुप हाउसिंग में फ्लैट बनाने वाले बिल्डरों को दी राहत। पूरे प्लान की जगह कुछ फ्लैट बनाने पर मिलेगा निर्माण पूरा होने का सर्टिफिकेट। पर पहले पार्क, सीवरेज, सड़कों का करना होगा निर्माण।
  • ग्राम कांसवाली कोठारी देहरादून में हो रहे 948 मीटर के भवन निर्माण को सड़क निर्माण में दी गई एक मीटर की छूट।

भतपूर्व होने पर मुख्यमंत्रियों को नहीं मिलेगा सरकारी आवास
उत्तराखंड में भूतपूर्व होने वाले मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास की सुविधा न दिए जाने के प्रावधान को कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दे दी। उत्तराखंड पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुुविधा बहाल करने के लिए कैबिनेट ने पूर्व जिस अध्यादेश को मंजूरी दी थी, उसमें ये प्रावधान शामिल नहीं था। लेकिन बाद में सरकार ने इसमें यह प्रावधान कर दिया कि 31 मार्च 2019 से कोई पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी आवास व अन्य सुविधाओं का हकदार नहीं होगा।

विधायी विभाग पहले ही इसकी अधिसूचना जारी कर चुका है। लेकिन नया प्रावधान जोड़े जाने के लिए कैबिनेट की मंजूरी आवश्यक थी। इस अधिसूचना के जारी होने से पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ी राहत मिल। उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर पूर्व मुख्यमंत्रियों से बाजार दर पर किराया वसूली के आदेश दिए थे। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अदालत में अपील की थी, जो खारिज हो गई।

इस बीच प्रदेश सरकार ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित आवास किराये की वसूली सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर की जाएगी। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि 31 मार्च 2019 से कोई पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी आवास व अन्य सुविधाओं का हकदार नहीं होगा। भूतपूर्व होने वाले ऐसे मुख्यमंत्रियों को वाहन, चालक, जनसंपर्क अधिकारी, चतुर्थ श्रेणी कर्मी, टेलीफोन अटेंडेंट, सुरक्षा गार्ड, चौकीदार, ओएसडी की सुविधा नहीं मिलेगी।