भूस्खलन और भूंकप की दृष्टि से चमोली जिला श्रेणी पांच में रखा गया है। बड़ा महकमा आपदा प्रबंधन का भी है मगर आश्चर्य कि बात यह कि आपदा से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन कार्यालय के पास संसाधनों व तकनीकी के नाम पर जल स्तर मापने तक का संसाधन नहीं है। तहसीलों से प्राप्त सूचना पर ही निर्भर रहना पड़ता है। तापमान मापने के लिए बड़ा थर्मामीटर आपदा प्रबंधन के पास नहीं है।
बताते चलें कि प्राकृतिक आपदा की दृष्टि से चमोली जिले को बेहद संवेदनशील माना जाता है। कई बार प्राकृतिक आपदा का दंश झेल चुके चमोली जिले में शासन-प्रशासन की दृष्टि से बरिश को देखते हुए सभी तरह की तैयारियां और सजगता रखने की बात की गई है, लेकिन जब आपदा प्रबंधन विभाग से पूछा गया कि विभाग के पास आपदा संबंधी सूचनाओं के लिए क्या-क्या संसाधन है। विभाग ने बताया कि उनके पास जलस्तर मापने के लिए कोई संसाधन नहीं है। तहसीलों और सिंचाई विभाग से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर जलस्तर की जानकारी मिलती है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदकिशोर जोशी बताते है कि मौसम संबंधी जानकारियों के लिए देहरादून से ही सूचना मिलती है।
जबकि, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने बताया कि प्राप्त जानकारी के अनुसार चमोली, पिथौरागढ़ तथा रुद्रप्रयाग के किसी भी स्थान पर जल्द ही विश्व बैंक की सहायता से मौसम संबंधी जानकारियों के लिए रडार लग सकते हैं। इससे महत्वपूर्ण जानकारियों का आदान-प्रदान हो सकता है। उन्होंने बताया कि पिछले एक दो दिनों से लगातार हो रही वर्षा से चमोली की नदियों में कुछ जल स्तर बढ़ा है मगर अभी चिंताजनक स्थिति नहीं है।
सोमवार को जिले की नदियों का जलस्तर
-नंदाकिनी जलस्तर 867.27 मीटर खतरे का स्तर 871.50 मीटर
-अलकनंदा 554.02 खतरे का स्तर 557.42
-पिंडर 768.62 खतरे का स्तर 773.00 मीटर
                




















































