क्या इस बार चुनाव में मिथक टूटेगा?

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    उत्तराखंड छोटा राज्य जरूर है पर मिथक “बड़े ” हैं। इन मिथकों में एक यह है कि जो उत्तरकाशी की सीट विशेषकर गंगोत्री सीट जीता उसकी सरकार बनी। दूसरा मिथक यह है कि जिस भी दल ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया समझो चुनावी गंगा में उसकी लुटिया डूबी।

    अब तक आम आदमी पार्टी को छोड़कर किसी भी दल ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। भाजपा इससे परहेज कर रही है। यह अलग बात है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अघोषित चेहरा माने जा सकते हैं। पिछले दिनों कांग्रेस नेता हरीश रावत ने खुद को चेहरा घोषित कराने के लिए ट्वीट किया। मगर उनकी हसरत पूरी नहीं हुई। अलबत्ता आलाकमान ने उनको चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष होने के नाते फ्री हैंड कर दिया है।

    आम आदमी पार्टी ने कर्नल अजय कोठियाल को अपना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है। भाजपा और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने से बच रहा है। उत्तराखंड के चुनावी इतिहास को देखा जाए तो मुख्यमंत्री के घोषित चेहरे वाले दलों को निराशा हाथ लगी है।

    साल 2007 में कांग्रेस ने एनडी तिवारी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था। हालांकि इस चुनाव में एनडी तिवारी ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और बिना चेहरे वाली भाजपा को विजय मिली। इसके बाद जितने भी चुनाव हुए सबमें इससे बचा गया।