देहरादून, उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का अगला चुनाव मैदान कौन सा होगा? इस पर चर्चा शुरू हो गई है। इन चर्चाओं को रावत की पहाड़ में पौड़ी से लेकर रुद्रप्रयाग जिले तक खासी सक्रियता ने जन्म दिया है। इन दोनों ही जिलों की अलग-अलग विधानसभा सीट से रावत चुनाव जीतते रहे हैं। जहां तक हरक सिंह रावत का सवाल है, अपनी विधानसभा सीट को लेकर समय-समय पर सामने आ रहे उनके बयान स्थिति को स्पष्ट करने की जगह और रहस्यमयी बना रहे हैं।
नब्बे के दशक से राजनीति की शुरुआत करने वाले रावत हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। वजह अलग-अलग रही।वह उत्तराखंड की सियासत में कभी गुमनाम नहीं रहे। पौड़ी विधानसभा सीट से 1991 में पहला चुनाव लड़ा और विधायक ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री भी बन गए। इसके बाद, पौड़ी जिले की लैंसडौन सीट को उन्होंने अपना लिया। बाद में रुद्रप्रयाग सीट से चुनाव लड़ा और जीते। वर्ष 2017 के चुनाव में पौड़ी जिले की कोटद्वार सीट हरक का नया ठिकाना बनी। वह जीते और त्रिवेंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बतौर अब भी काम कर रहे हैं।
कुछ समय पहले हरक की ओर से यह बात सामने आई थी कि वह कोटद्वार में ही काम करेंगे, मगर हाल के दिनों में लैंसडौन से लेकर रुद्रप्रयाग तक की सीटों पर हरक ने खासी सक्रियता दिखाई है। रुद्रप्रयाग में अपने समर्थकों के बीच जाकर हरक यह भी बोल आए हैं कि वह तो अब भी अपने को रुद्रप्रयाग का ही विधायक मानते हैं। इस बयान को 2022 के चुनाव के लिए हरक की नई सीट की तलाश से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि हरक सिंह रावत अपने तमाम तरह के बयानों के साथ ये भी कह रहे हैं कि वह 2022 में कोई चुनाव नहीं लड़ना चाहते।
मगर जो लोग हरक सिंह रावत का मिजाज जानते हैं, वह इस पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हैं। वर्ष 2012 में विजय बहुगुणा सरकार का जब गठन हो रहा था, तब हरक ने मंत्री पद लेने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वह मंत्री बहुत बार रह चुके हैं, लिहाजा अब मंत्री पद स्वीकार नहीं करेंगे। उस वक्त वह कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे और बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाने से खफा थे। हालांकि बाद में पूरे पांच साल वह कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे।


















































