दागी पेयजल निगम को दी जा रही सारी जिम्मेदारी

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पेयजल निगम और योजनाओं में धांधली और घटिया सामग्री के इस्तेमाल के आरोप लगते रहे हैं। निगम की तीन प्रमुख योजनाएं सवालों के घेरे में हैं। दो योजनाओं की जांच शासन स्तर से कराई जा रही है तो एक पर शिकायत आने के बाद पेयजल मंत्री ने जांच के आदेश दिए हैं। इसके अलावा, लेटलतीफी और काम में घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने संबंधी आरोप भी पेयजल निगम पर लगते रहे हैं। उधर, शासन ने पेयजल योजनाओं के निर्माण की पूरी जिम्मेदारी पेयजल निगम के कंधों पर डाल दी है।

निगम की कार्यशाली पर गौर करें तो तीन योजनाएं विवादों में हैं। इनमें 20 करोड़ रुपये लागत की तरलानागपुर रुद्रप्रयाग पेयजल योजना को लेकर आरोप है कि इस योजना के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया और एकल टेंडर निकालकर ही काम शुरू करा दिया गया। शासन ने इस मामले की जांच स्टेट प्लानिंग डिपार्टमेंट को दे रखी है। वहीं, 72 करोड़ रुपये लागत की नानघाट पेयजल योजना पौड़ी निर्माण के साथ ही आरोपों में घिर गई थी। शासन में की गई शिकायत की बात करें तो इस योजना से जल संस्थान को उतना पानी नहीं मिल रहा, जितने पानी के लिए योजना की प्लानिंग की गई थी। शासन के निर्देश पर इसकी जांच भी0 स्टेट प्लानिंग डिपार्टमेंट कर रहा है।
तीसरी योजना 79 करोड़ रुपये लागत की आंवलाघाट-पिथौरागढ़ पंपिंग योजना है। इस योजना को लेकर बीते दिनों विभागीय समीक्षा बैठक में पेयजल मंत्री प्रकाश पंत सवाल खड़े किए। आरोप है कि पाइप लाइन सड़क पर ही डाल दी गई। योजना निर्माण में लापरवाही और घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। प्रबंध निदेशक के निर्देश पर इस योजना की जांच मुख्य अभियंता कर रहे हैं।
निगम के प्रबंध निदेशक भजन सिंह का कहना है कि पिथौरागढ़ की योजना की जांच कराई जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। बाकी दोनों योजनाएं मानकों के अनुरूप तैयार की गई हैं।