औली के रोप वे और चियर लिफ्ट पर कोरोना का साया, जीएमवीएन को भारी आर्थिक चोट

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औली
दुनिया के बेहतरीन स्कीइंग स्पाॅट मे एक औली में देश के सुसज्जित सबसे लंबे रोप वे तथा चियरलिफ्ट भी कोरोना के कारण बंद पड़े हैं। कोरोना ने जीएमवीएन के आय के प्रमुख स्रोतों मे एक रोप-वे तथा चियरलिफ्ट को भी अछूता नहीं रखा। निगम के दोनों महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट कोरोना के चलते ठप हैं। और निकट भविष्य में इसके संचालित होने के कोई आसार नहीं दिखते।
दरअसल, औली के लिए जोशीमठ-औली रोप वे भारत का सबसे लंगा रोप वे है। इसका संचालन शीतकाल के साथ ही ग्रीष्म काल मे भी लगातार होता रहा है। शीतकाल मे स्कीइंग प्रेमी पर्यटक तो ग्रीष्म काल मे श्री बदरीनाथ व हेमकुंड साहिब-लोकपाल की यात्रा पर आने  वाले श्रद्धालु भी इस रोप वे का लुत्फ उठाने के लिए अवश्य यहां ठहरते हैं। रोप वे के अलावा औली मे चियरलिफ्ट भी है। पर्यटक औली पंहुचकर इसका आंनद भी उठाते है लेकिन कोरोना महामारी ने जीएमवीएन के इन दोनों महत्वपूर्ण आय के स्रोतों पर विराम लगा रखा है। जीएमवीएन के रोपवे परियोजना के आपरेशन मैनेजर इंजीनियर दिनेश भट्ट के अनुसार गत वर्ष अप्रैल से जून महीने तक करीब 16 हजार 745 पर्यटकों ने रोप वे की सैर की जबकि इसी अविध में औली मे स्थापित चियरलिफ्ट का 22 हजार 574 पर्यटकों ने लुत्फ उठाया। हालांकि जनपद स्तर पर धामों की यात्रा शुरू करने की गाइड लाइन तो जारी हुई है लेकिन इस दौरान रोप वे परियोजनाओं के संचालन के लिए किसी प्रकार के दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।
उधर, विश्व विख्यात हिम क्रीड़ा केन्द्र औली मे भी वीरानी छाई हुई है। मई व जून के महीने मे तो औली प्रकृति प्रेमी पर्यटकों से पटा रहता था  लेकिन इस बार कोरोना के कारण यहाॅ सन्नाटा पसरा है। औली के विश्व पर्यटन मानचित्र पर छाने के बाद यहाॅ प्रतिवर्ष हजारों ग्रीष्मकालीन व शीतकालीन पर्यटकों का हुजूम उमड़ता है। श्री बदरीनाथ के कपाट खुलने व विश्व धरोहर फूलों की घाटी खुलने के बाद इन क्षेत्रों मे आने वाले धार्मिक एवं प्रकृति प्रेमी पर्यटक अवश्य ही औली का दीदार करने पंहुचते हैं। औली पर्यटन मानचित्र पर आने के बाद जोशीमठ से औली तक दर्जनों युवाओं ने छोटे-बडे हटस, टेण्ट कालोनी व रिसोर्ट के माध्यम से पर्यटन व्यवसाय से जुड़ कर स्वरोजगार अपनाया लेकिन उनकी भी उम्मीदों पर इस वर्ष पानी फिर गया है। औली मे ही गढ़वाल मण्डल विकास निगम (जीएमवीएन) का आलीशान स्की रिसोर्ट है, जहाॅ वर्षभर ऑनलाइन बुकिंग व कंरट बुकिंग के माध्यम से देश-विदेश के पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती हैं। इसके अलावा अनेक अन्य छोटे-बडे होटल भी हैं, जिन्हें यात्रा काल तथा शीतकाल मे अच्छा-खासा रोजगार मिलता है। हालांकि इस वर्ष मार्च महीने से सबकुछ ठप पड़ा है।
राज्य सरकार की ओर से देवस्थानम बोर्ड ने जनपद स्तर पर चारों धामों की यात्रा शुरू करने का फरमान तो जारी किया है लेकिन गत वर्षो मे कांग्रेस की सरकार के दौरान ‘मेरे बुजुर्ग-मेरे तीर्थ’ तथा भाजपा की सरकार में ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय मातृ-पित्र तीर्थाटन योजना’ के माध्यम मे निशुल्न्क परिवहन, आवास व भोजन तथा दर्शनों का लाभ ले चुके हैं। अब विभिन्न जनपदों  के राज्यवासी क्या इस कोरोना काल मे स्वयं के व्यय पर आशातीत संख्या मे धामों मे पंहुच पाएंगे, कोरोना काल में यह एक यक्ष प्रश्न है। बहरहाल देवस्थानम बोर्ड ने धामों मे चहल-पहल शुरू करने की जो पहल शुरू की है, उसके बहाने होटल व रेस्टोरेंट व्यवसाय 30 जून के हिसाब से अपनी तैयारियां कर रहे हैं। हालांकि यह योजना मूर्त रूप ले पाएगी, इस पर सभी की नजरें लगी हुई हैं।