नई भूमिका में आने के बाद बंशीधर भगत पर भी होंगी निगाहें

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देहरादून,  विधानसभा के गैरसैंण में होने जा रहे सत्र में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत के तालमेल की पहली परीक्षा होगी। सदन में सबकी निगाहें भगत पर होगी कि वह मुख्यमंत्री की ढाल बनने में कितना कामयाब होते हैं। कांग्रेस में प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के बीच अच्छा तालमेल दिखता है। अब त्रिवेंद्र-भगत की जोड़ी को बेहतर तालमेल बनाकर दिखाना है।
सदन में 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद जो स्थिति बनी, उसमें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट नहीं दिख पाए। वजह, रानीखेत से अजय भट्ट चुनाव हार गए थे। इसके विपरीत, कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष डा इंदिरा हृदयेश और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की जोड़ी सरकार पर ताबड़तोड़ हमले करती रही। अब बंशीधर भगत के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद हिसाब बराबर दिख रहा है। यानी सदन में यदि कांग्रेस की नेता इंदिरा के साथ अध्यक्ष प्रीतम सिंह मौजूद हैं, तो नेता सदन त्रिवेंद्र सिंह रावत का साथ देने के लिए प्रदेश अध्यक्ष भगत की मौजूदगी भी रहेगी।
वैसे, सदन में पिछले साल तक मुख्यमंत्री को कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत का बहुत सहयोग मिलता था लेकिन उनके निधन के बाद स्थिति बदली है। हालांकि अनुभवी मंत्री मदन कौशिक के अलावा सुबोध उनियाल, धन सिंह रावत भी मुख्यमंत्री को ताकत देते हैं लेकिन यह भी महसूस किया जा रहा है कि अनुभवी होने के बावजूद डा हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज, यशपाल आर्या जैसे मंत्री मुख्यमंत्री के बहुत ज्यादा काम नहीं आ पाते। इन स्थितियों के बीच, अब पूर्व में मंत्री रह चुके बंशीधर भगत से उम्मीदें रहेंगी। वैसे, सदन में एक सामान्य सदस्य के तौर पर भी भगत अपनी बात रखते थे लेकिन अब एक अध्यक्ष के नाते भी बेहतर तालमेल बनाकर सरकार के बचाव का उन पर दबाब रहेगा। हालांकि भगत पूर्व में ही साफ कर चुके हैं कि सरकार और संगठन के बीच हर जगह बेहतर तालमेल दिखेगा।