देहरादून में दो हजार लोग आयकर विभाग के रेडार पर

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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून ही नहीं यहां के व्यापारिक और व्यावसयिक ही नहीं आयकर विभाग की नज़र में वे लोग हैं जिन्होंने पांच लाख से ज्यादा लेन-देन किए हैं। ऐसे लोगों पर विभाग की निगाह टेढ़ी है। आयकर विभाग ने देहरादून उन बैंक खाता धारकों को नोटिस भेजी है जिन्होंने नोटबंदी के बाद अपने खातों में मोटी रकम जमा की है। इनमें कुछ लोगों को मैनुअल तथा कुछ लोगों को इन नोटिस भेजे जा रहे हैं। कुछ नोटिस केन्द्र से आ रहे हैं तथा कुछ स्थानीय स्तर से भेजे जा रहे हैं।
आयकर विभाग की उन लोगों पर विशेष निगाह है जिन्होंने पांच लाख या उससे अधिक की राशि खातों में डाली है। जानकार बताते हैं कि नोटबंदी के बाद से ही आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इन संदर्भों में सचेत थे और प्रयास कर रहे थे कि ऐसे लोगों को घेरा जाए जो आयकर विभाग की दृष्टि में अभी नहीं आए हैं। विभाग द्वारा ऐसे लोगों के बैंक खातों की समग्र जानकारी के बाद उन्हें नोटिस जारी किए गए हैं। नोटिस मिलने के बाद से ही ऐसे लोगों में काफी हड़बड़ाहट है जिन्होंने इस तरह के लेनदेन खातों के माध्यम से किए हैं।
आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी के बाद बड़े पैमाने पर देहरादून में भी विभिन्न बैंक खातों में भारी मात्रा में पैसा जमा हुआ है। इसकी पोल तब खुली, जब बैंकों ने आयकर विभाग को इन खातों की जानकारी भेजी। अब खाताधारकों से कुछ जानकारियां मांगी जा रही हैं। इनमें लगभग दो हजार लोग शामिल हैं। आयकर विभाग द्वारा उप निदेशक अजय सोनकर और मोहनलाल जोशी की ओर से यह नोटिस भेजे जा रहे हैं। इन नोटिसों के माध्यम से विभाग ने यह जानकारी चाही है कि उपभोक्ता इस राशि का स्रोत बताए कि यह राशि कहा से आई। जिन लोगों के स्रोत पुष्ट होंगे उन्हें छोड़कर शेष लोगों पर विभाग कार्रवाई ही कर सकता है। इतना ही नहीं शिक्षा, व्यापार जगत, प्रॉपर्टी, चिकित्सा के साथ-साथ कई अधिकारियों पर भी विभाग की नजर है।
इसी संदर्भ में, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं करों के जानकार हरवीर सिंह कुशवाहा का कहना है कि इस संदर्भ में यदि विभाग उत्पीड़नात्मक कार्रवाई की, तो सरकार की छवि जनता के बीच धूमिल होगी। उन्होंने बताया कि जिन लोगों को नोटिस भेजे जा रहे हैं, उनमें कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने ढाई लाख से कम भी जमा किया है।
अधिवक्ता कुशवाहा कहते हैं कि जिन लोगों ने बिक्री अथवा कारोबार से पैसा जमा किया अथवा जिन लोगों ने पुरानी बचत जमा कर रखी थी, उन्होंने भी जमा किया है। ऐसे में यदि विभाग ने उत्पीड़नात्मक कार्रवाई की और अधिकारी ने लोगों के जवाब पर विश्वास नहीं किया तब आदमी का गुस्सा बढ़ेगा। उन्होंने कहा है कि उत्पीड़नात्मक कार्रवाई से काले धन के बजाय लोगों का आक्रोश बढ़ेगा। इन प्रकरणों से सरकार और विभाग को बचना चाहिए।