उत्तराखंड से अफगानिस्तान जाएंगे हजारों गुर्जर

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हरिद्वार। अखंड भारत गुर्जर महासभा ने दुनिया भर के गुर्जरों के गौरवशाली इतिहास को दुनिया के सामने लाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय गुर्जर गौरव यात्रा निकालने का ऐलान किया है। ये यात्रा उत्तराखण्ड के द्वाराघाट से शुरू होकर पाकिस्तान से होते हुए अफगानिस्तान के कंधार पहुंचेगी।
प्रेस क्लब में सोमवार को पत्रकारों को यात्रा की जानकारी देते हुए महासभा के अध्यक्ष कर्नल देवानंद सिंह गुर्जर ने बताया कि यात्रा की शुरुआत 31 अक्टूबर को होगी और उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से होते हुए जम्मू एंड कश्मीर पहुंचेगी। यहां से यात्रा पाकिस्तान जाएगी और वहां से अफगानिस्तान कूच करेगी। यात्रा का समापन दिल्ली में अगले साल सितम्बर माह में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि गुर्जरों के इतिहास को मुगलों, अंग्रेजों और आजादी के बाद आई सरकारों ने तोड मरोड कर पेश किया है। हमें अंग्रेजों ने कई यातनाएं दी और मुगलों से लडते हुए हम जंगलों में चले गए। आज गुर्जर, वन गुर्जरों को जंगलों से बाहर निकाला जा रहा है। जबकि हम देश की खातिर लड़ते हुए जंगलों में पहुंचे थे। आजादी के बाद भी हमें हमारा अधिकार नहीं दिया गया। हम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का आरोप वो लोग लगा रहे हैं जो आजादी से पहले और आजादी के बाद सरकारों के पिट्ठू बनकर मलाई कूटते रहे। उन्होंने बताया कि गुर्जर ही दुनिया भर में एक ऐसी कौम हैं, जिसके लोगों ने धर्म बदलने पर भी अपनी पहचान और संस्कृति को नहीं भुलाया है। उन्होंने कहा कि गुर्जरों के गौरवशाली इतिहास को दुनिया के सामने लाने के लिए ये यात्रा निकाली जा रही है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में गुर्जर हिंदू राजा पृथ्वी राज चौहान के शहादत स्थल पर फूल चढाकर श्रद्धांजलि दी जाएगी। उन्होंने सरकार से मांग की है कि पृथ्वी राज चौहान का अंतिम संस्कार भारत में विधि विधान से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में वन गुर्जरों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदेश प्रभारी राहुल बैंसला ने कहा कि यह यात्रा ऐतिहासिक होगी और इसके लिए तमाम तैयारियां कर ली गई है। हजारों लोग इस यात्रा में शामिल होंगे और गुर्जरों के अधिकारों और सम्मान के लिए लडाई लडेंगे। इस मौके पर वन गुर्जर कल्याण समिति के अध्यक्ष शमशेर अली भडाना, फैजान गौसवाल, मुदिता खटाना आदि उपस्थित रहे।