हे राम से शुरू ‘कथा’ ने दिखाई ‘पानी और प्रेम’ की व्यथा

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बेगूसराय, द प्लेयर्स एक्ट के तत्वावधान में स्थानीय दिनकर भवन में चल रहे राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंगोत्सव की तीसरी कड़ी में लेखक सुधांशु फिरदौस के नाटक ‘कथा’ का मंचन किया गया। द फैक्ट रंगमंडल के रंगकर्मियों ने ‘कथा’ को मंच पर जीवंत किया।  इसका निर्देशन जाने-माने युवा निर्देशक प्रवीण कुमार गुंजन ने किया। गुंजन ने ‘कथा’ के जरिये दर्शकों के साथ अतिथियों को पानी और प्रेम की व्यथा से रूबरू कराया।
‘कथा’ का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, महापौर उपेंद्र प्रसाद सिंह और चर्चित अभिनेत्री विभा छिब्बड़ आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस मौके पर गिरिराज सिंह ने कहा, आज के दौर में रंगमंच को जीवित रखना चुनौती है। इसके लिए बेगूसराय के रंगकर्मी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने सिनेमा और नाटक के बुनियादी फर्क को रेखांकित किया।
‘कथा’ का आरंभ  ‘हे राम, मेरे राम, सबके राम सियाराम’ से हुआ। इसने संदेश दिया  संसार आधी अधूरी कथाओं का जाल है। न कथा पूरी होती है और न ही संसार। इस देश में कथा सुनाने वालों की लंबी परंपरा रही है। यह ऐसे ही कथावाचकों की बातचीत से संभव हुई कथा की व्यथा है। इसमें कथा कहने वाला काथिक-एक अमरेश एवं काथिक-दो चंदन वत्स, गुड़िया (कुमारी अस्मिता) और लोचन (वैभव) की कहानी के माध्यम से प्रेम और पानी को बचाने की बात कहते हैं। उन्हें लगता है कि संसार को बचाए रखने के लिए प्रेम और पानी को बचाने की जरूरत है। आज हर तरफ प्रेम और पानी का अकाल है।
‘कथा’ संवाद में जल संकट को लेकर ‘दरिया सूखा, सूखे पोखर, सूख गया तालाब, पानी तेरी यही कहानी’ के माध्यम से दुनिया को जल संकट से परिचित कराने की कोशिश की गई। गांव के जमींदार की पुत्री कविता और पिछड़े वर्ग के युवा की प्रेम कहानी के दुखांत के माध्यम से बेटी बचाने का मंत्र दिया।
कथा कहने वाले अमरेश कुमार, चंदन कुमार वत्स एवं अंकित शर्मा, पिता- देवानंद सिंह, सूरज- कमलेश ओझा, चरितर- चंदन कश्यप, मलंग- मो. रहमान एवं नौकरजितेंद्र कुमार ने अपनी सशक्त भूमिका से तालियां बटोरीं। संगीत निर्देशक अमरेश कुमार, प्रकाश परिकल्पना कर रहे चिंटू कुमार एवं ध्वनि परिकल्पना कर रहे अभिजीत कुमार के साथ वाद्य यंत्र पर मौजूद दीपक, रविकांत और गायन में लगे लालबाबू, अमरेश, रिमझिम और पूजा ने द फैक्ट रंगमंडल की प्रस्तुति को बेहतरीन मुकाम दिया।