वनों में आग लगाने वालों की अब खैर नहीं, जाएंगे जेल

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गोपेश्वर। वनों में आग लगाने पर अब जेल की हवा खानी पड़ेगी। वनाग्नि की रोकथाम के लिए जिलाधिकारी आशीष जोशी ने कहा कि जो भी व्यक्ति वनो में आग लगाता है या आग लगाने का दोषी पाया जाता है, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करते हुए सीधे जेल भेजने की कार्यवाही की जायेगी। वनाधिकारियों को सभी संवेदनशील स्थानों पर कैमरे लगाकर नियमित रूप से माॅनिटरिंग करने, क्रू-स्टेशन को सक्रिय रखने तथा लोगों को वनाग्नि के दुष्परिणामों के बारे में भी जागरूक करने के निर्देश दिये।
जिला आपदा कन्ट्रोल रूम में जिलाधिकारी ने वनाग्नि दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए इन्सीडेंट रिसंपोस सिस्टम (आईआरएस) के सभी संबधित अधिकारियों की गुरूवार को बैठक लेते हुए वनाग्नि से निपटने के लिए फायर फाइटिंग प्लान के तहत कार्य करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि कोशिश ये रहे कि पहले तो जंगलों में आग न लगे और आग लग भी जाय तो समय से उसको रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाय, ताकि आग फैल न सके। उन्होंने कहा कि जंगलों में आग लगती है, परन्तु फैलती वन विभाग की लापरवाही से है।
जिलाधिकारी ने कहा कि वनों में आग लगने पर वन विभाग कंट्रोल रूम को समय से सूचना नही दी जा रही है, जो वन विभाग की उदासीनता व घोर लापरवाही को दर्शाता है। उन्होंने वनाधिकारियों को फटकार लगाते हुए अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने तथा वनाग्नि की तत्काल कंट्रोल रूम को सूचना उपलब्ध कराने, फायर की घटनाओं पर निरंतर निगरानी रखने तथा आग लगाने वाले लागों की धरपकड कर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिये।
जिलाधिकारी ने अब तक हुई वनाग्नि घटनाओं की समीक्षा करते हुए सभी संवेदनशील एरिया में कैमरे लगाने, क्रू-स्टेशन कार्मिकों को अलर्ट रखने तथा संवेदनशील एरिया के ग्राम प्रधानों व गांवों में गठित राहत एवं बचाव टीमों से संपर्क रखने के निर्देश दिये। उन्होंने वनो में बनाये गये फायर कंट्रोल लाइनों एवं आसपास क्षेत्र की फिर से साफ-सफाई कराने के भी निर्देश दिये।
जिलाधिकारी ने कहा कि घटना वाले क्षेत्र में सबसे पहले रिस्पोंडर स्थानीय निवासी होते है। जिसके लिए प्रत्येक गांव में आपदा राहत एवं बचाव टीमें गठित की गयी है। उन्होंने वनाधिकारियों को गांवों में गठित टीमों से संपर्क रखने को कहा ताकि वनाग्नि की घटना होने पर रिसपोंस टाईम कम से कम रहे।
प्रभारी वनाधिकारी केदारनाथ सुरेद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जिले में 4 फाॅरेस्ट डिविजन है, जिनमें अभी तक वनाग्नि की 63 घटनाऐं हुई है। जिससे 104 हैक्टैयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। वनाग्नि की रोकथाम के लिए जिले मे 101 क्रू-स्टेशन, 19 मोबाइल क्रू-स्टेशन तथा 04 मास्टर कन्ट्रोल रूम बनाये गये है। इनमें 456 नियमित कर्मचारी तथा 125 दैनिक कर्मचारी कार्यरत है। इसके अतिरिक्त वनाग्नि निगरानी के लिए बद्रीनाथ में 03, केदारनाथ में 04 तथा नंदादेवी वन क्षेत्रांतर्गत 01 वाच टाॅवर स्थापित है।