विदेशी मेहमान को दिल्ली मे मिले असली दिलवाले

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ईरिश्मान डियरड्रे केनेडी लगभग दो दशक से भारत आ रहीं और उन्हें भारत से प्यार है। 9 नवंबर को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में नोटबंदी की घोषणा के बाद मानो थोड़ी अशांति हो गई। यह तो बस शुरुआत थी आगे की कहानी दिल को छुने वाली है। बिना पैसों के और क्रेडिट कार्ड वो भी हैक किया हुआ, जब वह इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर उतरी उसी पल उन्हें यह ट्रिप मनहूस लगने लगा।

डियरड्रे या डी प्रेमपूर्वक बोले जाना वाला नाम और वो नोर्वे में काम करती हैं, अपने सामान को निकालते हुए वह अपने रंगीन सलवार कुर्ते को देखते हुए बताती हैं कि ये उन्होंने पाँच साल पहले मसूरी से लिया था जिसके साथ उनकी तस्वीर है अपने मसूरी के कुछ दोस्तों के साथ, उन्हें घर की याद आ रही थी और वो बताती हैं कि वो नई दिल्ली से देहरादून की फ्लाइट का इंतजार कर रही थी ।

नोरवे से नई दिल्ली की टिकट उन्हें एक आस्ट्रेलियन दोस्त ने उपहार स्वरुप दिया था और ये हवाई टिकट उनके लिए किसी सपने का पूरा होने जैसा था। उन्होंने अपने लिए पहाड़गंज में होटल बुक करवाया और सभी चीजों का ध्यान रखते हुए वो निकल पड़ी।

उन्हें भारत में हुए विमुद्रीकरण के बारे में कुछ पता नहीं था, जैसे ही डी एयरपोर्ट निकास द्वार से बाहर आई, उन्हें उनके आइरिश क्रेडिट कार्ड कंपनी से एक एस.एम.एस प्राप्त हुआ जिसमें उन्हें बताया गया था की किसी ने अमेरिका में  उनके कार्ड से दो हजार डालर की खरीदारी कर ली है और बस इतना ही नहीं दिल्ली में सभी ए टी एम बंद, उनकी पहले से बुकिंग के ड्राइवर का कहीं नामों निशान भी नहीं था, उनके पास बदलने का लिए करैंसी तक नहीं थी और उसपर से भारत में आते ही उनका ए टी एम कार्ड भी बंद, इससे बुरा कुछ हो सकता है????  “तभी मैनें उसे देखा… एक ड्राइवर जिसने एक नेमप्लेट पकड़ रखा था जिसपे मोटे अक्षरों में लिखा था डियरड्रे केनेडी। मैं उसे देख कर मुस्कराई और वो मुझे देख कर और भी ज्यादा मुस्कराया, मुझे पता था सब कुछ नहीं खोया   

 वो अपने होटल पहाड़गंज पहुंची, लेकिन अगली सुबह भी कुछ खास अच्छी नहीं थी। डी एक नेक इंसान से मिली जिसने उन्हें विमुद्रीकरण के बारे में बताया और ये भी बताया की उनके जैसे बहुत से पर्यटकों को करेंसी की समस्या से जूझना पड़ रहा। उसने एक टैक्सी ड्राइवर को बुलाया जिसने डी की मदद की, ये जानते हुए की वो उसको पैसे देंगी या नहीं। मैंने उसको एक चुइंगम दिया और यह जानते हुए की मेरे पास पैसे नहीं है उसने मुझे भारत सरकार के पर्यटन विभाग के आफिस में छोड़ा ताकि मुझे कुछ पैसे मिल सके।

वो भी काम नहीं आया, लेकिन आफिस में एक अंजान आदमी ने बताया की मुझे कनाट प्लेस के जम्मू एंड कश्मीर बैंक में जाना चाहिए, तब एक बार फिर एक आटो ड्राइवर नें अपनी मर्जी से मुझे बिना पैसों के छोड़ा। जब तक वो वहाँ पहुची बैंक और ए टी एम दोनों आउट आफ कैश हो चुके थे, लेकिन सहायक बैंक मैनेजर ने उन्हें अपने बटुए से 120 रुपए दिए।

अपने पर्स में सिर्फ दस रुपये लेकर बड़ी ही बहादुरी से डी ने फ्लाइट पकड़ी, जहां उनकी हिंदुस्तानी दोस्त मसूरी से उन्हें लेने आईं थीं।अपने घर से दूर दूसरे घर मसूरी में आकर उन्होंने अपने दोस्तों से पैसे उधार लेकर अपना बाकी समय निकाला। उनसे पूछने पर की उनका अनुभव कैसा रहा वो मुस्कुराती हैं और कहती हैं कि इन सबमें उनका दिल्ली के दयालु लोगों के साथ अनुभव जबरदस्त था!! दिल्ली एक ऐसी जगह है जहां लोग हम जैसे टूरिस्ट से ज्यादा पैसे मांगते हैं। बिना पैसों के ऐसे लोगों का मिलना  जिसपे आप विश्वास कर सके और उन लोगों का आपकी मदद करना एक अद्भुत अनुभव था। यह आपको फिर से इंसानियत में विश्वास करने पर मजबूर कर देता है!!!”