पहाड़ के बहुत से गांवों को रौशन करेगी ”सूर्य ज्योति”

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    विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में करीब सवा लाख परिवार आज भी विद्युत सुविधा से वंचित हैं। इनमें सीमांत क्षेत्रों के गांव शामिल हैं, लेकिन अब ‘सूर्य ज्योति’ (सोलर डोम) तकनीक पर आधारित संयंत्र से ये गांव रोशन हो सकेंगे।

    एनबी इंस्टीट्यूट फॉर रूरल टेक्नोलॉजी (एनबीआइआरटी) कोलकाता की ओर से विकसित यह संयंत्र प्रथम चरण में राज्य के चार जनपदों के 100 गांवों में लगाए जाएंगे। देहरादून के शुक्लापुर में हेस्को संस्था और एनबीआइआरटी के तत्वावधान में आयोजित प्रशिक्षण के दौरान गुरुवार को इस संयंत्र की लांचिंग की गई। मात्र 1800 रुपये की लागत वाले सोलर डोम से चार घंटे तक बिजली मिल सकेगी।

    सोलर डोम की लांचिंग के मौके पर हेस्को के संस्थापक पद्मश्री डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि यह संयंत्र पहाड़ों के लिए क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है। जिन गांवों में बिजली नहीं है, वहां के लिए यह वरदान से कम नहीं है। एनबीआइआरटी के चेयरमैन एवं पश्चिम बंगाल सरकार के पूर्व सचिव डॉ.एसपी गॉन चौधरी ने सोलर डोम तकनीकी की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सोलर डोम से 24 घंटे बिजली उपलब्ध रहेगी। इससे मोबाइल चार्ज भी हो सकता है तो विटामिन डी भी प्राप्त होगी। इसका बैटरी बैकअप भी चार घंटे का है।

    सोलर डोम प्रशिक्षक अंकन पटनायक ने बताया कि यह संयंत्र दिन में बिना सोलर पैनल के भी रोशनी देता है। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण में हिमाचल, उत्तर प्रदेश, असोम, बिहार, नई दिल्ली की नामी संस्थाओं के साथ ही उत्तराखंड से हेस्को व यूपीईएस के प्रतिनिधि भागीदारी कर रहे हैं। हेस्को के संस्थापक डॉ.जोशी ने बताया कि तीन-चार माह में उत्तराखंड के देहरादून, उत्तरकाशी, चमोली एवं रुद्रप्रयाग के सुदूरवर्ती 100 गांव इस संयंत्र की रोशनी से जगमगाएंगे। उन्होंने बताया कि इसके बाद अन्य गांवों में भी सोलर डोम लगाए जाएंगे।